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Stories related to महासेना क्या है मृत्यु

Parasram Arora

मृत्यु क्या है?

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मृत्यु क्या है?
हम सिर्फ मृत्यु के विषय मे सोच सकते है
लेकिन तथ्य यही है जो हम सोच रहे है
वह सच्ची मृत्यु नहीं है
मृत्यु क़ो जानने के लिए  मरना होगा
मृत्यु क़ो जानने के लिए जीना होगा
अच्छा यही है कि हम मृत्यु के बारे मे न सोचे
ज़ब तक जीवन है जीये और. जीवन क़ो जाने.
अगर हमने जीवन क़ो जान लिया  तो मृत्यु
क़ो भी जान लेंगे
क्योंकि  मृत्यु जीवन का शिखर है
जीवन की पूर्णता है
एक मरता हुआ आदमी पूछता है  कि जीवन क्या था
और जीता हुआ व्यक्ति पूछता है  मृत्यु क्या है?
हर व्यक्ति क़ो जानना चाहिए कि  जीवन क्या है.. वह उसे जाने उसके साथ एक हो जाये उसे पूरी तरह से पी जाए.
और फिर मृत्यु क़ो  आने दे

©Parasram Arora मृत्यु क्या है?

dilip Mehra

#मृत्यु क्या है

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Amit Srivastva

मृत्यु क्या है। #krishna_flute

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Zust For Fun

मृत्यु क्या है ? #डेथ #virak #Trending

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SK Poetic

क्या मृत्यु भोज करना उचित है? #illuminate

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शास्त्रों में मृत्यु भोज वर्जित है।महाभारत में एक वाक्य मिलता है जिसमें कृष्ण कहते हैं कि कहीं भोजन तब करो जब भोजन कराने वाले और भोजन करवाने वाले का मन प्रसन्न हो।दुख के समय किसी को कहीं भोजन करने नहीं जाना चाहिए। कहीं-कहीं तो मृत्यु वाले घर को छूतक मानकर लोग भोज में नहीं जाते।
किन्ही परिवारों या समुदायों में यह परंपरा से चल रहा है।संस्कार से नहीं।संस्कार तो हमारे यहां सोलह है। अंत्येष्टि के बाद कोई संस्कार नहीं है।आप यदि मृतक के नाम पर दान करना चाहते हैं तो अच्छा होगा पेट भरो को भोजन कराने से बेहतर होगा गरीब बेसहारा बच्चों को भोजन करवाएं। किसी गरीब बच्चों की फीस भरे।किसी गरीब को कंबल दे।पर मृत्यु भोज ना करें।
   ‌                     मृत्यु भोज क्यों नहीं खाना चाहिए?
हिंदू धर्म में मुख्य सोलह संस्कार बनाए गए हैं‌।इनमें सबसे पहला संस्कार गर्भाधान है और अंतिम व 16 वां संस्कार अंत्येष्टि है। यानी कि इन 16 संस्कारों के बाद कोई 17वां संस्कार है ही नहीं।
अब जब 17 वां संस्कार की कोई बात ही नहीं कहीं गई है तो तेरहवीं संस्कार कहां से आ गया?आज हम आपको महाभारत में मृत्यु भोज से जुड़ी हुई एक कहानी के बारे में बताएंगे जिससे आपको एक हद तक समझ में आ जाएगा कि क्या वाकई में मृत्यु भोज में जाना उचित है या नहीं?
इस कहानी में स्वयं भगवान श्रीकृष्ण ने शोक या दुख की अवस्था में करवाए गए भोजन को ऊर्जा का नाश करने वाला बताया है।इस कहानी के अनुसार,महाभारत का युद्ध शुरू होने ही वाला था। भगवान श्री कृष्ण ने दुर्योधन के घर जाकर संधि करने का आग्रह किया।उन्होंने दुर्योधन के सामने युद्ध ना करने का प्रस्ताव रखा।हालांकि दुर्योधन ने श्री कृष्ण की एक ना सुनी।दुर्योधन ने आग्रह को ठुकरा दिया। जिससे श्री कृष्ण को काफी कष्ट हुआ।वह वहां से निकल गए।जाते समय दुर्योधन ने श्री कृष्ण से भोजन ग्रहण कर जाने को कहा। इसपर श्रीकृष्ण ने कहा कि
'सम्प्रीति भोज्यानि आपदा भोज्यानि वा पुनै:'
अर्थात हे दुर्योधन जब खिलाने वाले का मन प्रसन्न हो, खाने वाले का मन प्रसन्न हो,तभी भोजन करना चाहिए। इसके विपरीत जब खिलाने वाले एवं खाने वाले के मन में पीड़ा हो, वेदना हो,तो ऐसी स्थिति में कदापि भोजन नहीं ग्रहण करना चाहिए।
महाभारत की इस कहानी को बाद में मृत्यु भोज से जोड़ा गया।जिसके अनुसार अपने किसी परिजन की मृत्यु के बाद मन में अथाह पीड़ा होती है,परिवार के सदस्यों के मन में उस दौरान बहुत दुख होता है।जाहिर सी बात है कि ऐसे में कोई भी प्रसन्नचित अवस्था में भोज का आयोजन नहीं कर सकता, वहीं दूसरी ओर मृत्यु भोज में आमंत्रित लोग भी प्रसन्न चित्त होकर भोज में शामिल नहीं होते।ऐसा कहा गया है कि इससे ऊर्जा का विनाश होता है।कुछ लोगों का तो ये तक कहना है कि तेरहवीं संस्कार समाज के चंद चालाक लोगों के दिमाग की उपज है।महर्षि दयानंद सरस्वती, पंडित श्रीराम शर्मा, स्वामी विवेकानंद जैसे महान ऋषियों ने भी मृत्यु भोज का पुरजोर विरोध किया है।किसी व्यक्ति की मृत्यु पर लजीज व्यंजनों को खाकर शोक मनाने को किसी ढंग से कम नहीं माना गया है।
इसलिए हमें मृत्यु भोज का बहिष्कार करना चाहिए।

©S Talks with Shubham Kumar क्या मृत्यु भोज करना उचित है?

#illuminate

Kaluram Bhil

आदिवासी भील महासेना करेड़ा

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Angesh Kumar Singh

मृत्यु सत्य है

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आशीष सरोज इ.वि.वि.

क्या यही है देश प्रेम मृत्यु की सैया पर लेट जाना

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क्या यही है देश प्रेम
            मृत्यु की सैया पर लेट जाना

©आशीष सरोज इ.वि.वि. क्या यही है देश प्रेम
            मृत्यु की सैया पर लेट जाना

rahasyamaya tathya

जानिये मृत्यु के बाद की रहस्यमयी दुनिया को || मृत्यु के बाद क्या होता है || Visit now:- rahasyamaya . com

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सोमेश त्रिवेदी

मृत्यु भी जीवंत है

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इस जग की है रीत पुरानी,
जीव का तो अंत है।
पर क्या जान सका है कोई,
मृत्यु भी जीवंत है।

हो  गति जबतक हृदय में,
मृत्यु पा सकता न जीवन।
जीवन मोह का संगि साथी,
मृत्यु मोक्ष का है आरोहण।

कर्तव्यों के प्रति जागरूक,
काल समान अनंत है।
पर क्या जान सका है कोई,
मृत्यु भी जीवंत है।

अटल सत्य से भय लगता है,
क्षण भंगुर जीवन से प्रेम।
महा भंवर सा ये जीवन है,
मृत्यु बिना मिले ना चैन।

मृत्यु से ना कोई बच पाया है,
मृत्यु तो अरिहंत है।
पर क्या जान सका है कोई,
मृत्यु भी जीवंत है।

माया मोह महा पापिनी,
देह पाप पुण्य का साधन।
मृत्यु को कोई बांध ले,
नहीं बना वो बंधन।

प्रिया मिलन के आस लिए,
हृदय की ज्योति ज्वलंत है।
पर क्या जान सका है कोई,
मृत्यु भी जीवंत है।

सोमेश त्रिवेदी (पीयूष) #NojotoQuote मृत्यु भी जीवंत है
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