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Stories related to कुण्डलिया छंद के सरल उदाहरण

Ashtvinayak

सीधी सरल नहीं हैं जिंदगी की राहें .. शायरी हिंदी हिंदी शायरी दोस्ती शायरी शायरी attitude

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ऋतु गुलाटी ऋतंभरा

माता कालरात्रि पर तांटक छंद मे आवाहन

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Khushi Kandu

White (दोहा)
जिन्ह मन तजि कुटिलाई,‌ जीवन सुखमय होय।
मन की माया से मुक्त, तन आनंदित होय।।

©Khushi Kandu #GoodMorning 
#khushikandu 
#doha 
#दोहा 
#छंद 
#जीवन

tripti agnihotri

दोहा छंद

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White तृप्ति की कलम से
दोहा छंद 17

जुड़ा भाव का कारवाॅं, लिया शब्द ने रूप।
शब्द - शब्द मुखरित हुआ,ज्यों सरदी की धूप।।

स्वरचित मौलिक
तृप्ति अग्निहोत्री 
लखीमपुर खीरी
उत्तर प्रदेश

©tripti agnihotri दोहा छंद

Kavi Himanshu Pandey

सरल, ज़्यादा Hindi #beingoriginal

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kavitri vibha prabhuraj singh

#कुड़लियां छंद #राधा तकती श्याम की #मन के भाव अपनी कविता #कावित्री विभा प्रभुराज सिंह

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kavitri vibha prabhuraj singh

#अपनी कविता #मन के भाव #विधाता छंद @kavitri VibhaPrabhu Raj Singh

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kavitri vibha prabhuraj singh

#जय सिया राम जय हनुमान 🙏🌹 #दोहा छंद अपनी कविता #मन के भाव #विभा प्रभुराज सिंह ✍️

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MAHENDRA SINGH PRAKHAR

कुण्डलिया छन्द :- राधा-राधा जप रहे , देखो बैठे श्याम । आ जायें जो राधिका , तो पायें आराम ।। तो पायें आराम , चैन की वंशी बोले । फिर यमुना के

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कुण्डलिया छन्द :-

राधा-राधा जप रहे , देखो बैठे श्याम ।
आ जायें जो राधिका , तो पायें आराम ।।
तो पायें आराम , चैन की वंशी बोले ।
फिर यमुना के तीर , प्रेम के वह रस घोले ।।
ग्वाल-बाल का साथ , करे जिनका दुख आधा ।
वह ही है घनश्याम , चली जिनके सह राधा ।।

महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR कुण्डलिया छन्द :-

राधा-राधा जप रहे , देखो बैठे श्याम ।
आ जायें जो राधिका , तो पायें आराम ।।
तो पायें आराम , चैन की वंशी बोले ।
फिर यमुना के

MAHENDRA SINGH PRAKHAR

कुण्डलिया छन्द :- गौ माता के लाल से , खेल रहे गोपाल । चलो दिखाएँ आपको , वहाँ नन्द के लाल ।। वहाँ नन्द के लाल , कहे मुझसे क्यों डरते । बनो सख

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कुण्डलिया छन्द :-
गौ माता के लाल से , खेल रहे गोपाल ।
चलो दिखाएँ आपको , वहाँ नन्द के लाल ।।
वहाँ नन्द के लाल , कहे मुझसे क्यों डरते ।
बनो सखा तुम आज , प्रेम हम तुमसे करते ।।
आओ खेलो संग ,  हमारा निर्मल नाता ।
समझा दूँगा साँझ , चलो घर मैं गौ माता  ।।

महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR कुण्डलिया छन्द :-
गौ माता के लाल से , खेल रहे गोपाल ।
चलो दिखाएँ आपको , वहाँ नन्द के लाल ।।
वहाँ नन्द के लाल , कहे मुझसे क्यों डरते ।
बनो सख
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