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Stories related to कुटुंबाचे अधिकार

Shiv Narayan Saxena

#Sad_Status इच्छा पर अधिकार नहीं.....

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White 🙏 सुप्रभात! 🌺

इच्छा  पर  अधिकार  नहीं 
सुख-दुख बस की बात नहीं 
कर्म करे जो  हो वैसा फल 
करम-हीन का  भाग्य  नहीं

                            - शिव.

©Shiv Narayan Saxena #Sad_Status इच्छा पर अधिकार नहीं.....

अरून कुशवाहा युवा अध्यक्ष जन अधिकार पार्टी प्रयागराज

अरून कुशवाहा युवा अध्यक्ष जन अधिकार पार्टी

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Indian Kanoon In Hindi

125 ख़तम | पत्नी को मिले नये अधिकार | Wife Maintenance Rights under New Criminal Laws |

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Indian Kanoon In Hindi

125 ख़तम | पत्नी को मिले नये अधिकार | Wife Maintenance Rights under New Criminal Laws |

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विध्वंस

नवरात्री वो लोग मनाए जो नारी को सम्मान देने की सामर्थ्य रखते है उसे अबला सिद्ध करने की उसको गलत नजर से देखने की प्रवृति वाले लोगो को मां के

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Dr.Shweta Singh

आज छुट्टी का दिन नहीं है, अपनी जिम्मेदारी निभाने का दिन है। मतदान अवश्य करने जाएं। आपका मतदान आपका अधिकार और अपने अधिकार को ऐसे ही जाने ना द

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Arjun Rawat पार्थ

#अधिकार #अनुगामनी, अनुशरण करने वाली Ravi Ranjan Kumar Kausik Kshitija Sh@kila Niy@z puja udeshi Pankaj Pahwa

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MAHENDRA SINGH PRAKHAR

दोहा :- विषय  हिंदी  हिंदी भाषा का हमें , दोगे कब अधिकार । हम भी तो हैं चाहतें , हो इसका विस्तार ।। जो कहते थे मंच पर , हम हिंदी परिवार । अब

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White दोहा :- विषय  हिंदी 
हिंदी भाषा का हमें , दोगे कब अधिकार ।
हम भी तो हैं चाहतें , हो इसका विस्तार ।।
जो कहते थे मंच पर , हम हिंदी परिवार ।
अब कहते बच्चे पढ़े , अंग्रेजी अख़बार ।।
गुरुकुल के उस ज्ञान से , विस्तृत थे संस्कार ।
हिंदी का भी मान था , संस्कृति थी आधार ।।
वन टू थ्री अब याद है, भूले दो दो चार ।
बदल रहे दिन-दिन यहाँ , सबके आज विचार ।।
कब हिंदी दुश्मन हुई , और रुका व्यापार ।
तब भी तो द चली , सत्ता पक्ष सरकार ।।
हिंदी को दो मान्यता , तब आये आनंद ।
गीत ग़ज़ल दोहा लिखे , लिखें मधुर सब छन्द ।
हिंदी हिंदी कर रहे , हिंदी का गुणगान ।
हिंदी चाहे हिंद से , फिर अपना अभिमान ।।
सुबह-शाम जो पढ़ रहे , थे गीता का सार ।
आज उन्हें अब चाहिए , अंग्रेजी अख़बार ।।
हिंदी नंबर प्लेट पर , कट जाते चालान ।
ऐसे हिंदुस्तान में , हिंदी का गुणगान ।।
महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR दोहा :- विषय  हिंदी 
हिंदी भाषा का हमें , दोगे कब अधिकार ।
हम भी तो हैं चाहतें , हो इसका विस्तार ।।
जो कहते थे मंच पर , हम हिंदी परिवार ।
अब

Nimisha Mishra HI

#teachers_day हम शिक्षक ही नही, बल्कि विशेष शिक्षक है हम सब से अलग शिक्षक है, हम IAS, DOCTOR, ENGEENIOR, नही बनाते, हम अपने बच्चो को समा

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White हम शिक्षक ही नही,
बल्कि
 विशेष शिक्षक है 
हम सब से अलग शिक्षक है,
 हम IAS, DOCTOR, ENGEENIOR, नही बनाते,
 हम अपने बच्चो को समाज में नेक इंसान व्यवहार करना, 
खाना, पीना, उठाना, बैठना, बोलना ,चलना सिखाते है , 
समाज से उनका अधिकार दिलवाते है ,
और उस समय बहुत ही खुशी होती है ,
जब वह एक कदम
भी स्वयं से चलता है 
स्वयं का काम स्वयं करे, 
किसी पर निर्भर न रहे ।
और 
समावेशी शिक्षा अर्जित करता है।
और 
समानता के साथ प्राकृतिक रूप से 
अपना जीवन खुशी से यापन करता है ।
 Happy teacher's day all of you
विशेष शिक्षक

©Nimisha Mishra HI #teachers_day हम शिक्षक ही नही,
बल्कि
 विशेष शिक्षक है 
हम सब से अलग शिक्षक है,
 हम IAS, DOCTOR, ENGEENIOR, नही बनाते,
 हम अपने बच्चो को समा

MAHENDRA SINGH PRAKHAR

लावणी छन्द इस माँ से जब दूर हुआ तो , धरती माँ के निकट गया । भारत माँ के आँचल से तब , लाल हमारा लिपट गया ।। सरहद पर लड़ते-लड़ते जब , थक कर देखो

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White लावणी छन्द
इस माँ से जब दूर हुआ तो , धरती माँ के निकट गया ।
भारत माँ के आँचल से तब , लाल हमारा लिपट गया ।।
सरहद पर लड़ते-लड़ते जब , थक कर देखो चूर हुआ ।
तब जाकर माँ की गोदी में , सोने को मजबूर हुआ ।।

मत कहो काल के चंगुल में , लाल हमारा रपट गया ।
जाने कितने दुश्मन को वह , पल भर में ही गटक गया ।।
सब देख रहे थे खड़े-खड़े , अब उस वीर बहादुर को ।
जिसके आने की आहट भी , कभी न होती दादुर को ।।

पोछ लिए उस माँ ने आँसूँ, जिसका सुंदर लाल गया ।
कहे देवकी से मिलने अब , देख नन्द का लाल गया ।।
तीन रंग से बने तिरंगे , का जिसको परिधान मिले ।
वह कैसे फिर चुप बैठेगा , जिसको यह सम्मान मिले ।।

सुबक रही थी बैठी पत्नी , अपना तो अधिकार गया ।
किससे आस लगाऊँ अब मैं , जीने का आधार गया ।।
और बिलखते रोते बच्चे , का अब बचपन उजड़ गया ।
कैसे खुद को मैं समझाऊँ , पेड़ जमीं से उखड़ गया ।।

महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR लावणी छन्द
इस माँ से जब दूर हुआ तो , धरती माँ के निकट गया ।
भारत माँ के आँचल से तब , लाल हमारा लिपट गया ।।
सरहद पर लड़ते-लड़ते जब , थक कर देखो
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