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santoshray

अपनी गलती का एहसास👍👍 #na #Massageoftheday

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सचची सच्ची बातें

©santoshray official अपनी गलती का एहसास👍👍
#na #Nojoto #Massageoftheday

gaTTubaba

#TereHaathMein तुझे अपनी गलती का एहसास हो इसके लिए हमें मरना पड़ेगा क्या ?

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Vandana Rana

यह बात भी इंसान अब किसी को कितनी दफा बताएगा! जाने दो यार अब जो होगा देखा जाएगा, अच्छे हैं अब हम या औरों के लिए बुरे ही सही, भीतर से खोखले

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यह बात भी इंसान अब किसी को
 कितनी दफा बताएगा! 
जाने दो यार अब जो होगा देखा जाएगा, 
अच्छे हैं अब हम या औरों के लिए बुरे ही सही,
भीतर से खोखले हो गए हैं हम या 
भावनाओं से भरे ही सही, 
इंसान को एक ना एक दिन,
अपनी गलती का एहसास हो ही जाएगा, 
मगर उलझन यह हैं कि इस कश्मकश में 
समय निकल जाएगा,
ख़ैर छोड़ो! 
यह बात भी इंसान किसी को कितनी दफा बताएगा! 
Vandana Rana यह बात भी इंसान अब किसी को कितनी दफा बताएगा! 
जाने दो यार अब जो होगा देखा जाएगा, 
अच्छे हैं अब हम या औरों के लिए बुरे ही सही,
भीतर से खोखले

Mohammad Arif (WordsOfArif)

ख्वाबों का दयार बढ़ाया है मैनें तुमको तभी तो यार पाया है मैनें इम्तिहान की घड़ियां खत्म हो गई मिलने का तभी तो मयार पाया है मैंने दिलों का

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ख्वाबों का दयार बढ़ाया है मैनें
तुमको तभी तो यार पाया है मैनें

इम्तिहान की घड़ियां खत्म हो गई
मिलने का तभी तो मयार पाया है मैंने

दिलों का हाल हमें पता नहीं था
अपनों से तभी तो हार पाया है मैनें

अपनी गलती का एहसास हमें है
माफ़ी पर तभी तो दीनार पाया है मैनें

मिट जाएं दिलों से ख्याल उनका
आंखों से तभी तो दीदार पाया है मैंने

अपनी आंखों पर भरोसा नहीं होता
आरिफ ऐसा तभी तो किरदार पाया है मैनें ख्वाबों का दयार बढ़ाया है मैनें
तुमको तभी तो यार पाया है मैनें

इम्तिहान की घड़ियां खत्म हो गई
मिलने का तभी तो मयार पाया है मैंने

दिलों का

Alok Vishwakarma "आर्ष"

"सेवक का अहंभाव" एक अनुशंशनीय कविता हे मेरे प्राणाधार मुझे क्षमा कर दें। गत 2 दिनों से मेरे भीतर एक सूक्ष्म से अहंकार ने जन्म लिया था। मै

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न मैं पुण्य का आकांक्षी हूँ, न कीर्ति का रागी हूँ।
प्रकट हुए जो शब्द वो लिख दूँ,
परमेश्वर अनुरागी हूँ।।
ज्ञान नहीं है मुझमें कोई, न लेखन का कोई अधार।
मैं तो तुच्छ एक सेवक हूँ,
प्रभु आज्ञा ही तत्त्वागार।।
जब लग व्यक्त करन मैं चाहूँ, चरण धरूँ मैं हरि तेरे।
तुम तो द्रष्टा हो त्रिलोक के,
ज्ञान पसारो बहुतेरे।।
कविता की निःकृष्ट भेंट लो, हे प्रभुवर मैं तुम अधीन।
आश तुम्हारी केवल मुझको,
कीजो मेरा अहम् विलीन।। "सेवक का अहंभाव"
एक अनुशंशनीय कविता

हे मेरे प्राणाधार
मुझे क्षमा कर दें। 

गत 2 दिनों से मेरे भीतर एक सूक्ष्म से अहंकार ने जन्म लिया था। मै

Mohammad Arif (WordsOfArif)

उनसे बिछड़ने का इरादा मैंने कर लिया बहुत सोचा मैंने फिर उनसे प्यार कर लिया अपनी गलती का एहसास है मुझको फिर तेरी बातों पर मैंने एतबार कर लिय

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उनसे बिछड़ने का इरादा मैंने कर लिया
बहुत सोचा मैंने फिर उनसे प्यार कर लिया

अपनी गलती का एहसास है मुझको
फिर तेरी बातों पर मैंने एतबार कर लिया

ख्वाइशें आज भी मुन्तजिर है उनके दर की
इसीलिए तो मैंने उनका इंतज़ार कर लिया

दूरियां कम करने का कोई तरीका नहीं 
रात के ख्वाबों में उनका दीदार कर लिया

कुछ पता नहीं लगता क्या मामला है उनका
शायद इसीलिए उसने हमसे तकरार कर लिया

भरोसा है मुझे उस पर वो मेरी चाहत है
आरिफ फिर उसने हमसे इकरार कर लिया उनसे बिछड़ने का इरादा मैंने कर लिया
बहुत सोचा मैंने फिर उनसे प्यार कर लिया

अपनी गलती का एहसास है मुझको
फिर तेरी बातों पर मैंने एतबार कर लिय

Mohammad Arif (WordsOfArif)

जिस जिस पर मैं यकीं करता था वक्त आने पर उसी ने मुझे धोखा दिया है जिसे अपना नहीं माना था मैंने कभी वहीं बुरे वक्त आने पर मेरा साथ दिया है उ

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जिस जिस पर मैं यकीं करता था
वक्त आने पर उसी ने मुझे धोखा दिया है

जिसे अपना नहीं माना था मैंने कभी
वहीं बुरे वक्त आने पर मेरा साथ दिया है

उन लोगों से मैंने मुस्लसल प्यार किया था
मगर छोटी सी कमी के लिए मुझे दरकिनार कर दिया है

अपनी गलती का एहसास होगा उनको एक दिन
मैं सबसे छोटा हूं अपना नम्बर आने का भरोसा दिया है

हमारी मुहब्बत को अगर पहचानते तो कुछ और बात थी
आरिफ उनके लिए हर वक्त अपने हिस्से का प्यार दिया है जिस जिस पर मैं यकीं करता था
वक्त आने पर उसी ने मुझे धोखा दिया है

जिसे अपना नहीं माना था मैंने कभी
वहीं बुरे वक्त आने पर मेरा साथ दिया है

उ

इकराश़

एक बलात्कार हुआ। बलात्कारी को फिर सज़ा भी मिल गई। उसे कुछ समय बाद अपनी गलती का एहसास भी हो गया। उसने पश्चाताप भी कर लिया। और अपने आप को फिर ख

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क्या हासिल हुआ किसी को,
इंसानियत फिर शर्मसार हुई। एक बलात्कार हुआ। बलात्कारी को फिर सज़ा भी मिल गई। उसे कुछ समय बाद अपनी गलती का एहसास भी हो गया। उसने पश्चाताप भी कर लिया। और अपने आप को फिर ख

Mohammad Arif (WordsOfArif)

हर सुबह एक नया मुसीबत नजर आता है जिन्दगी की राहों में खराब हालत नजर आता है मुश्किलें कम होने की नाम नहीं ले रही है हर रोज मुल्क में नया दास

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हर सुबह एक नया मुसीबत नजर आता है
जिन्दगी की राहों में खराब हालत नजर आता है

मुश्किलें कम होने की नाम नहीं ले रही है
हर रोज मुल्क में नया दास्तान नजर आता है

बात बस यही है इंसान खुदा को भूल गया है
गुरुर बहुत है बुरा हालतें मंजर नजर आता है

अपनी गलती का एहसास होता नहीं है शायद
हालत बद से बद्तर होता दिखता नजर आता है

अच्छा काम नहीं कर सकते तो अच्छा बोलों
मुल्क की हालत देखकर मुझे डर नजर आता है

दास्तानों में भी नाम नहीं लिया जायेगा आरिफ
ये कैसा फैलता रोग चारों ओर मगर नजर आता है हर सुबह एक नया मुसीबत नजर आता है
जिन्दगी की राहों में खराब हालत नजर आता है

मुश्किलें कम होने की नाम नहीं ले रही है
हर रोज मुल्क में नया दास

परवाज़ हाज़िर ........

#onestory एक बार एक किसान ने अपने पडोसी को भला बुरा कह दिया, पर जब बाद में उसे अपनी गलती का एहसास हुआ तो वह एक संत के पास गया.उसने संत से

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