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Deepa Didi Prajapati
White आपको आपमें खोजती रही, भटकती रही दर बदर, रोकर पूछा आंसुओं से उन्होंने पता, मेरा ह्रदय बताया। ©Deepa Didi Prajapati #जय मां #जय गुरुदेव
Pallavi Srivastava
वृन्दावन में गुरुदेव के दर्शन #vrindavan #vrindavandham #RadhaKrishna #RadheGovinda #premanandmaharaj wvideos" class="text-blue-400" target="_blank">wvideos
read moreHeer
प्रेम को समझना हर किसी के बस की बात नहीं..... सच्चा प्रेम किसे कहते है ये सिखाने ही तो राधा कृष्ण मनुष्य रूप में धरा पर अवतरित हुए थे। हम म
read moreSurajsingh
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
दोहा :- करे सनातन धर्म यह , हर युग का आभार । हर युग की ही भाँति हो , कलयुग की जयकार ।। कलयुग में भी हो रहे , दैवीय चमत्कार । कहीं पान दातून अब , दिखे भक्त उपहार ।। कलयुग में होंगे वही , सुन लो भव से पार । जो कर्मो के संग में , करते प्रभु जयकार ।। कर्मो का पालन करो , मिल जायेंगे राम । तेरे अंदर भी वही , बना रखे हैं धाम ।। रिश्ते हैं अनमोल ये , करो नही तुम मोल । रिश्ते मीठे बन पड़े , अगर मधुर तू बोल ।। आटो बाइक में नही, करें यहाँ जो फर्क । मिलें उन्हें यमराज जी , ले जाने को नर्क ।। जीवन से मत हार कर , बैठो आज निराश । कर्मो से ही सुन यहाँ , होता सदा प्रकाश ।। जो भी सुत सुनती नहीं , मातु-पिता की बात । वे ही पाते हैं सदा, सुनो जगत में घात ।। मातु-पिता की बात जो , सुने अगर औलाद । तो पछतावा क्यों रहे , फिर गलती के बाद ।। मातु-पिता हर से कहे, प्रखर जोड़ कर हाथ । अपनी खातिर भी जिओ , रह के दोनों साथ ।। मातु-पिता गुरुदेव का , करता नित सम्मान । जिनकी इच्छा से बना , मैं अच्छा इंसान ।। तीनों दिखते हरि सदृश , मातु-पिता गुरुदेव । वह ही जीवन के सुनो , मेरे बने त्रिदेव ।। मातु-पिता के बाद ही , मानूँ मैं संसार । पहले उनका ही करूँ , व्यक्त सदा आभार ।। मातु-पिता क्यों सामने, क्यों खोजूँ भगवान । उनकी मैं सेवा करूँ , स्वतः बढ़े अभिमान ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR दोहा :- करे सनातन धर्म यह , हर युग का आभार । हर युग की ही भाँति हो , कलयुग की जयकार ।। कलयुग में भी हो रहे , दैवीय चमत्कार । कहीं पान दातून
दोहा :- करे सनातन धर्म यह , हर युग का आभार । हर युग की ही भाँति हो , कलयुग की जयकार ।। कलयुग में भी हो रहे , दैवीय चमत्कार । कहीं पान दातून
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White शिक्षक जीवन हमारा गुरु शिष्य के रिश्तों से सम्पूर्ण होता है हर एक शिक्षक जीवन में बहुत ही महत्वपूर्ण होता है । जीवन के शुरुवात से लेकर आखिरी वक्त तक हमारे कुछ सीखने का हुनर हमारे अंदर एक जुनून भरता है माता पिता ही हमारे सबसे महत्वपूर्ण गुरु कहलाते हैं हर किसी के सीखने का सिलसिला यहीं से शुरू होता है स्कूल की शुरूवती शिक्षा हो या स्नातक की डिग्री हो अगर गुरु न हों कभी तो जीवन हमारा स्थूल हो जाता है हर एक शिक्षक ही मार्गदर्शक कहलाए जाते हैं हमारे उनके क्षत्रक्षाया में ही हर कोई अपना एक मुकाम छूता है गुरु के बिना जीवन की कल्पना भी करना उचित नहीं हर एक शिक्षक हमारे जीवन को अलग मुकाम देता है ©Gaurav Prateek #teachers_day #शिक्षकदिवसकीहार्दिकशुभकामनायें #गुरु_ज्ञान_की_मूरत #गुरु_और_शिष्य #गुरु_की_महिमा #गुरुदेव शायरी हिंदी शायरी हिंदी में
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read moreMAHENDRA SINGH PRAKHAR
White दोहा :- बनो प्रचारक हिंद के , हिंदी में दो ज्ञान । मिल जायेगा एक दिन , ऊँचा तुमको स्थान ।। हिंदी भाषा से यहाँ , जो भी हुआ प्रवीण । आज उसे संसार में , मानो तुम उत्तीर्ण ।। बनकर शिक्षक शिष्य को , दिखलाते जो राह । ऐसे गुरुवर की शरण , मिले शिष्य की चाह ।। हिंदी भाषा का सदा , करते हैं गुणगान । इससे ही अब हो रही, अपनी भी पहचान ।। मिला हमें गुरुदेव का , जबसे आशीर्वाद । छन्द ग़ज़ल दोनों रचे , सब देते हैं दाद ।। हिंदी में ही राम का , वृक्ष करे गुणगान । निकट अयोध्या देख लो , जाकर तुम अब स्थान ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR दोहा :- बनो प्रचारक हिंद के , हिंदी में दो ज्ञान । मिल जायेगा एक दिन , ऊँचा तुमको स्थान ।। हिंदी भाषा से यहाँ , जो भी हुआ प्रवीण । आज उसे
दोहा :- बनो प्रचारक हिंद के , हिंदी में दो ज्ञान । मिल जायेगा एक दिन , ऊँचा तुमको स्थान ।। हिंदी भाषा से यहाँ , जो भी हुआ प्रवीण । आज उसे
read moreHeer
आये हैं शरण तुम्हारी गुरुदेव कृपा कर दो, इस दीन दुखी मन में आनंद सुधा भर दो।। दुनिया से हार कर के, अब द्वार तेरे आया, श्रद्धा के सुमन चुन कर, सद्भाव से हूँ लाया, करूणा का हाथ सिर पर, हे नाथ मेरे धर दो।। किस भांति करूँ पूजा, कोई विधि नहीं जानूँ, तेरा स्वरूप भगवन, किस आंख से पहचानूँ, टूटी मन वीणा में, मेरे भक्ति का स्वर भर दो।। अनजानी मंजिल है, चहुं दिशा है अंधियारा, करुणानिधान अब तो, बस है तेरा सहारा, इस दास अकिंचन को, निज परमधाम दे दो।। 'प्रेम पुकार' से ©Heer #गुरुदेव hindi poetry
#गुरुदेव hindi poetry
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