Nojoto: Largest Storytelling Platform

New असणाऱ्या प्रत्येक Quotes, Status, Photo, Video

Find the Latest Status about असणाऱ्या प्रत्येक from top creators only on Nojoto App. Also find trending photos & videos about, असणाऱ्या प्रत्येक.

Stories related to असणाऱ्या प्रत्येक

दिलीप कुमार

https://youtu.be/7_boAvyL1Oo?si=sVOl8g678WYUS06f 👆👆👆👆 *Gee Max प्लान की वीडियो* *Gee-Max Entertainment* 👇👇👇👇 यह प्लान आपके और हम सब के बजट

read more
White https://youtu.be/7_boAvyL1Oo?si=sVOl8g678WYUS06f
👆👆👆👆
*Gee Max प्लान की वीडियो*
*Gee-Max Entertainment*
👇👇👇👇
यह प्लान आपके और हम सब के 
बजट में भी है और INR में है 
कृपया एक बार जरूर नजर डालें

Daily 5 video देखने के *₹50*

*5 वीडियो देखने में केवल 8 से 10 मिनट का ही समय लगता है।*

Level-1, 2 & 3 के प्रत्येक व्यक्ति से *5₹*
Level-4 & 5 के प्रत्येक व्यक्ति से *2.5₹*
Level-6 & 7 के प्रत्येक व्यक्ति से *2₹*
Level- 8 के प्रत्येक व्यक्ति से *1₹*
Level-9 & 10 के प्रत्येक व्यक्ति से *0.5₹*

10 डायरेक्ट करते ही ₹500 वीकली सैलरी भी शुरू हो जाती है

https://gee-max.com/signup/GM385730
👆👆👆
Registration Link

WhatsApp Group Link: https://chat.whatsapp.com/Fn7pysn1uhQ52kWcZtBXKj

©दिलीप कुमार 
https://youtu.be/7_boAvyL1Oo?si=sVOl8g678WYUS06f
👆👆👆👆
*Gee Max प्लान की वीडियो*
*Gee-Max Entertainment*
👇👇👇👇
यह प्लान आपके और हम सब के 
बजट

N S Yadav GoldMine

#World_Photography_Day {Bolo Ji Radhey Radhey} प्रत्येक जीव कर्म क्यूँ करता है, सुख प्राप्त करने के लिए?

read more

Vikas Sahni

#पतंगों_के_प्रति आज कविता जुल्मत-ए-सुबह से जग रही है पर सुंदर नहीं लग रही है न नहाने-खाने के कारण स्वतंत्रता के पुराने गाने गाने के कारण चिढ

read more
White 
आज कविता जुल्मत-ए-सुबह से जग रही है
पर सुंदर नहीं लग रही है
न नहाने-खाने के कारण
स्वतंत्रता के पुराने गाने गाने के कारण
चिढ भी रही है वह।
होकर नाराज़ नभ देख रही है
और मैं उसकी आँखों में 
देखते-देखते दस बजे सजे
पुस्तक-पन्नों के शब्दाें को फेसबुक; व्हाट्सएप; इंस्टाग्रामादि पर सजा रहा हूँ,
"प्रसन्न बच्चों की आवाज़ें सर्वत्र गूँज रही हैं;
सभी के लिए यह दिवा मेहमान है,
पतंगों से सजा आसमान है,
जिसकी ओर कविता का भी ध्यान है
और उसकी ओर मेरा ध्यान है।
लाल-पीली; हरी-नीली-पतंगें युद्ध-खेल खेल रही हैं
अनंत आसमानी पानी  और बादलों के बगीचे में
मैंने देखा उन्हें कविता की आँखों से
भरी पड़ी प्रत्येक छत है,
प्रत्येक पतंग प्रतिस्पर्धा में रत है,
कई किन्हीं इशारों पर नाच रही हैं,
कई मुक्ति पाने-जाने के लिए छटपटा रहीं हैं,
पिन्नी वाली फटी फटफटा रही हैं,
कई मुक्त हुए जा रही हैं
पश्चिम से पूर्व की ओर मस्ती में ठुमका लगाते हुए
जा रही हैं अपने लक्ष्य की ओर
तो कई कैदी बने रो रही हैं पक्के धागे के पिंजरे में,
जिस प्रकार पक्षी (पतंग)
अपने अंग-अंग को पटकते हैं पिजरे में बड़ी बेरहमी से
फिर कविता की आँखों की नमी से
पूछा मैंने कि क्या हुआ इससे आगे,
क्या टूट गये वे सारे धागे?
कविता ने कहा, "टूट ही जायेंगे कभी-न-कभी पतंगों के धागे,
टूट ही जायेंगे कभी-न-कभी भिन्न-भिन्न रंगों के धागे।
है आवश्यक अभी कि काश टूट जाते बुराई के धागे!!"
     .                      ...✍️विकास साहनी

©Vikas Sahni #पतंगों_के_प्रति
आज कविता
जुल्मत-ए-सुबह से जग रही है
पर सुंदर नहीं लग रही है
न नहाने-खाने के कारण
स्वतंत्रता के पुराने गाने गाने के कारण
चिढ
loader
Home
Explore
Events
Notification
Profile