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Stories related to बोलिया बुजुर्ग का मौसम

Nandani patel

एक बुजुर्ग पिता का साथी

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kavi Hemant Lohiya

एक बुजुर्ग का दर्द...... #शेर

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बुढ़ापा आना मत रोटियाँ नहीं मिलती। 
अपनो के अपने दिलों में दया नहीं मिलती।। एक बुजुर्ग का दर्द...... #शेर

pankaj balania

हुस्न की बोलिया #Husn

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Rahul Apne

#यादों का मौसमबारिश का मौसम

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यादों का मौसम हमेशा हरा-भरा रहता है
इसे किसी बारिश के बूंदों की जरूरत नहीं
एक नजर भरा लम्हा ही काफी है याद आने के लिए!
 #यादों का मौसम#बारिश का मौसम

Abhishek Singh

#बिन मौसम बरसात का मौसम

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तेरे बिना सूना सा लगता है 

तेरे बिना कुछ अधूरा सा लगता है 

अब ये दो पहियों की ज़िन्दगी, नहीं काटी जाती अकेले

क्युकी  

इस हसीं भरे मौसम मे, मै तोह हूँ 

पर तेरे ना होने से 

ये मौसम 

बिन मौसम बरसात सा लगता है 

अब तेरा सहारा चाहिए ज़िन्दगी जीने के लिए 
अब तेरे इशारा चाहिए ज़िन्दगी की राह पे चलने के लिए 
जो हुआ उसे एक भूल समझ के माफ़ कर देना 
और मेरा एक इंसाफ कर देना 
और मिलती रहना पहले जैसी 
मिलके खिलतीं रहना पहले जैसी #बिन मौसम बरसात का मौसम

Diwan G

बारिशों का मौसम। #कहर #मौसम

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Mumbai Rains बारिशों के मौसम में,
जब भी नजर आती हो।
भीगी जुल्फों से तुम ,
मुझपे कहर ढाती हो।


Diwan G बारिशों का मौसम।
#कहर #मौसम

Nilam Agarwalla

पूर्वार्थ

अक्सर बुजुर्ग,जीके हाँथ में लोई 
तीको सब कोई,सुनाते थे 

मगर जब तब देखा तब ,तब कुछ और ही दिखा 
ये कुछ और कुछ और था जो,समय समय पर बदलता रहा 

ये कुछ सुहावना नहीं ,डरावना भी नहीं 
कुछ और ही था ,कुछ अजीब सा.

©पूर्वार्थ #बुजुर्ग

SG

बुजुर्ग

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Sarthak Karnatak

बुजुर्ग

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ज़मीर टटोलती बात थी, या रिश्तो मे वो मात थी 
दुनिया अपनों से अनजान थी ,क्या ये कलयुग की औकात थी ?
जिसने  ऊँगली थामी थी ,आज उन्हें बेसहारा कर दिया 
सुख दुःख मे जो साथ थे, उनसे क्यों रुख मोड़ दिया
 बेबस नीरस काया मेरी, धुंदली होती छाया मेरी 
रो  रो के चिलाया मेने, क्या बोया क्या पाया मेने 
दो वक़्त की रोटी मांगी थी ,पर मेरी दवाईआ आज तेरी जरूरतों से महंगी हो गयी ,  
मेरी कदर आज गेरो से भी कम हो गयी,
  खुशी के मोको पर मुझे भी शामिल कर लिया करो,
 समाज मे रहने की शर्म हममे आज भी है,
 परिवार  के प्रति वफादारी आज भी है ,
अपने बच्चो  के प्रति माँ की ममता आज भी है ,
परिवार  के अनुभव के लिए पिता का मार्गदर्शन आज भी है 
वो रात बड़ी असमंजस की रात थी 
जमीर टटोलती बात थी, या रिश्तो मे वो मात थी ,
दुनिया  अपनों से अनजान थी क्या ये कलयुग की औकात थी ?
 #NojotoQuote बुजुर्ग
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