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Azeem Khan
उनका मोहब्बत में था दाबा , कि रख देंगें दिल निकालकर । ये कैसे आशिक हैं, जो चेहरे जला रहे हैं तेजाब डालकर । एसिड अटैक
एसिड अटैक
read moreAbhi saxena
मेरे जिस्म को तो जला दिया तुमने क्या मेरी रूह को जला पाओगे ..? अभी बहुत सारे सपने बाकी है मेरे क्या तुम मेरे सपने के पर को काट पाओगे .? एसिड अटैक पीड़िता की आवाज़ #acidattack #dreams #life #government #attacked #beautiful #hindi #voice #quotes #hindiquotes #feelings #thoughts
एसिड अटैक पीड़िता की आवाज़ #AcidAttack #Dreams #Life #government #Attacked #Beautiful #Hindi #voice #Quotes #hindiquotes #feelings #Thoughts
read morevikas Mourey
हैवानियत को पार किया है ।उसने फूल से चेहरे पर एसीड का बार किया है उसने । हां मैं थोड़ा सहम गई थी... दर्द से चिल्ला और चीख रही थी। वो हादसा बड़ा खौफनाक रहा है मेरा.. उस वक्त मैं जिंदगी और मौत के बीच झूल रही थी.. रो-रो कर उसे सीट के भयंकर पार को झेल रही थी। उस हादसे में मैं एक जिंदा लाश बन गई थी। ना जीने में रही थी ना मैं मरने में रही थी... बस उस दरिंदे सी मेरी रूह दया की भीख मांग रही थी.. चेहरा जला दिया तो क्या हुआ.., हौसला जलाना पाया है, अब तो मैं भी कह सकती हूं सर उठा कर कि भगवान ने मुझे हौसलों से मजबूत बनाया है... जलाने वाला तो सिर्फ हमें एक बार ही चलाता है ,,पर यह समाज हमें तिल तिल कर सदा जलाता है... पर चेहरा जला दिया तो क्या हुआ भगवान ने मुझे हौसलों से मजबूत बनाया है.. अरे दुश्मन ने मेरे कतली की कोशिश तो की बहुत पर मां की दुआओं ने.. मौत के मुंह से बचाया है। मुझे एक बार फिर नया जीवन दान देकर... जमाने में सर उठा कर जीने के काबिल बनाया है।.. क्योंकि घर से चली तो दरी चे में दीया रखकर आई थी। कैसे मार देता मेरा दुश्मन मुझे... मैं तो अपने कंधों पर ,,,अपने मां बाप की दुआ रख कर लाई थी लेखक-✍✍✍ Vikas (VNMS) छपाक मूवी का एसिड अटैक Writer- vikas (VNMS)✍✍✍ vikas ke Alfhaz 🙏🙏🙏 kriss.writes Amar Anand Zarna dayma deepshi bhadauria mohd_saquib_537
छपाक मूवी का एसिड अटैक Writer- vikas (VNMS)✍✍✍ vikas ke Alfhaz 🙏🙏🙏 kriss.writes Amar Anand Zarna dayma deepshi bhadauria mohd_saquib_537
read moreAditya Yadav
Kese byan kru wo hadsa Ruh ki mohabbat ne n jane kb jismo ka mod bna liya शुक्रवार की देर रात भागलपुर(बिहार) के अलीगंज स्थित गंगा विहार कॉलोनी में 16 वर्षीय छात्रा के साथ गैंगरेप के प्रयास में असफल 4 सिरफिरे मनचलों
शुक्रवार की देर रात भागलपुर(बिहार) के अलीगंज स्थित गंगा विहार कॉलोनी में 16 वर्षीय छात्रा के साथ गैंगरेप के प्रयास में असफल 4 सिरफिरे मनचलों
read morevibrant.writer
#Proposal and #acidattack प्रेम के प्रस्ताव तक ठीक है पर मुझे तुम्हें ही चुनना होगा ? मेरी ना को तुम बर्दाश्त नहीं कर सकते, मुझे चुनाव करने की स्वतंत्रता नहीं देते। फिर तुमने प्यार का मतलब समझा ही नहीं फिर गहरे में कहीं वासना दबी है... इसी वासना की आग मे तुम जलते रहते हो, और बदला लेने के लिए तुम एसिड बनते हो। प्यार है तो एक बात ठीक से समझनी होगी, प्यार यानी स्वतंत्रता, वासना यानी मालिक होना। #Proposal and #acidattack प्रस्ताव और एसिड अटैक प्रेम के प्रस्ताव तक ठीक है पर मुझे तुम्हें ही चुनना होगा ? मेरी ना को तुम बर्दाश्त नहीं
#proposal and #AcidAttack प्रस्ताव और एसिड अटैक प्रेम के प्रस्ताव तक ठीक है पर मुझे तुम्हें ही चुनना होगा ? मेरी ना को तुम बर्दाश्त नहीं
read moreMission-Ek_beti_ki_Guhar (Priyanka Jain)
#Stoprape #stopacidattacks #givejustice #ekbetikiguhar आज की यह घटना अमानवीयता और भाई बहन के रिश्ते पर विश्वास करने पर संदेह को दर्शाती है,
read moreDr Upama Singh
“एसिड अटैक” (प्रेरक लेख) अनुशीर्षक में://👇👇 मेरी एक दोस्त भावना एक दिन लखनऊ शहर में शिरोज काफ़ी रेस्त्रा में साथ जाने के लिए आमंत्रित किया। ये रेस्त्रा लखनऊ के अलावा आगरा और उदयपुर में
मेरी एक दोस्त भावना एक दिन लखनऊ शहर में शिरोज काफ़ी रेस्त्रा में साथ जाने के लिए आमंत्रित किया। ये रेस्त्रा लखनऊ के अलावा आगरा और उदयपुर में
read moreManjeet Singh Thakral
फिल्म छपाक एसिड अटैक सर्वाइवर लक्ष्मी अग्रवाल की वास्तविक जीवन की कहानी पर आधारित है। मात्र 15 वर्ष की आयु में उनपर नईम खान ने तेजाब फेंक दि
फिल्म छपाक एसिड अटैक सर्वाइवर लक्ष्मी अग्रवाल की वास्तविक जीवन की कहानी पर आधारित है। मात्र 15 वर्ष की आयु में उनपर नईम खान ने तेजाब फेंक दि
read moreSatya Prakash Upadhyay
घर से चल दी घर की बेटी ... अच्छा मम्मी मैं चलती हूँ पहुँच कर पापा पर कॉल करती हूँ अभी चली थी पाँच कदम हीं घूरते नज़रों से खुद को छिपाती हूँ नुक्कड़ के चाय की टपरी पर मनचलो से भी निपटा करती हूँ कहीं बात आगे न बढ़ जाए बिन गलती के भी डरती हूँ अभी थोड़ी देर है बस को आने में चलो अखबार हीं पढ़ लेतीं हूँ मन घबरा जाता है जब हर समाचार में खुद जैसी को हीं पाती हूँ बस आ गई सवार हो गई पर यहाँ भी उन्हीं संस्कारों को पाती हूँ क्या किसी को अब भान न रहा मैं भी जगदम्बा की हीं थाती हूँ चलो भाई स्टॉप आ गया अब कैब /ऑटो बुक कर लेती हूँ पर एक ऐसा ना मिला जिसके शीशे में चुभती निगाहें न पाती हूँ मालिक हो या किरायेदार सब की नजरों में एक सी पलती हूँ ऐसे समाज को देख देख अब भीतर हीं भीतर जलती हूँ भरे बाजार निहार रहे मैं ख़ुद ख़ुद में सिमट जाती हूँ तुम तो बस समाचार पढ़ रहे,मैं प्रतिदिन ये सब झेला करती हूं जब स्त्री भी स्त्री का साथ न देती अपनी नजरो में खुद गिर जाती हूँ कोई एक अपना तो होता जो कहता मैं उसकी बहन बेटी हूँ ख़बरों में ज़िक्र हो एसिड अटैक तब भीतर से हिल जाती हूँ मार्किट हो या वर्क प्लेस घर से बाहर बस गिद्धों को हीं पाती हूँ लोगों की चुपड़ी बातों से मैं हर पल छली जाती हूँ किसी के संग दो बातें कर ली तो क्या क्या समझी जाती हूँ घर से निकल कर घर तक पहुंचने में कितना शर्मशार मैं होती हूँ क्या बन जाएगी मानसिकता मेरी मैं खुद ये समझ नही पाती हूँ किसी दिन खबर न बन जाऊं मैं ये सोच सोच घबराती हूँ न जाने जतन कर कितने किसी तरह लाज घर की बचाती हूँ disclaimer:- This poem does not belong to all. यह कविता सभी के लिए नहीं है। #घर_से_चल_दी_घर_की_बेटी ... अच्छा मम्मी मैं चलती हूँ पहुँच कर
disclaimer:- This poem does not belong to all. यह कविता सभी के लिए नहीं है। #घर_से_चल_दी_घर_की_बेटी ... अच्छा मम्मी मैं चलती हूँ पहुँच कर
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