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JogiRupSon Sant
Chotu छोटू ये छोटू बडा सुन्दर गुनगुनाता है, रोज़ सुबह चाय की प्यालियां लाते लाते, बम्बैय्या भाषा मे सुनाता है कहानियां, ठिठक जाता है वापस जाते जाते, छोटू #छोटू #chotu #WOD
dimple
** छोटू ** छोटी मोटी बातें सुनकर भूल जानी पड़ती हैl रिश्ते बनाए रखने है तो ये रीत निभानी पड़ती हैl जीवन है, मुश्किलें तकलीफें आयेंगी ये तो तय है, हालात कैसे भी हो, हिम्मत तो दिखानी पड़ती है l क्या मतलब है ज़माने को मेरी परेशानियों से, सबको बस हंसती हुई सूरत दिखानी पड़ती है l क्या सर्दी गर्मी, क्या धूप छांव और क्या बारिश तूफान, पिता को हर हाल में दो वक्त की रोटी कमानी पड़ती हैl दुकानों पर काम करने वाले छोटू बड़े होते है घर के, भाई बहनों को पढ़ाने के लिए, अपनी किताबें जलानी पड़ती है l ------------- June 2023 ©Dimple Kumar #छोटू
Sumit Kumar
छोटू छोटी -छोटी दुकानों और होटलों में जो छोटू होता है ना, वो अपने घर का बड़ा होता है.. #छोटू
तृप्ति
छोटू कुछ तो है उसकी मजबूरी वरना इतनी छोटी सी उम्र में यूं ही कौन करता है मजदूरी जरा सोचो....... कैसे वह इतने काम करता है आखिर वो भी तो एक बच्चा है | ग्राहकों को चाय पिलाना उसका काम है सबके लिए छोटु उसका नाम है | मुमकिन हो वह कोई बेसहारा है या किसी के लिए एक अकेला सहारा है जो अपने साथ साथ किसी और का पेट पालता है | बाल मजदूरी गलत है ऐसा लोगों का कहना है पर क्या करेंगे वह लोग आखिर उन्हीं भी तो जीना है | ऊंची उड़ाने तो वो भी भरना चाहते हैं पर पास उनके पंखों की कीमत नहीं पूरी कर दे उनके ख्वाबों को किसी ऐसे का सर पर है हाथ नहीं | छोटू
छोटू
read morePooja Mehra poetry
#OpenPoetry छोटू पुकारते है सब मुझे छोटू बस यहीं अब मेरी है पहचान बनना तो चाहता था बड़ा पर कमा ना सका कोई नाम पिता ने छुड़वाया किताबें व स्कूल का बस्ता कहा "नहीं है ये सब हमारे बस का" माँ मेरी करती थी घर घर जाकर जूठे बर्तन साफ पिता पीते थे दिन भर कच्ची शराब मुझे दुःख है पिता मेटे ने नहीं दिया हमारा साथ करता क्या मैं, नहीं था घर में आटा दाल वो वक्त भी देखा मैंने जब हम भूखे ही सो जाते थे माँ को पापा दिन रात सताते थे उस वक्त का ग़म आज भी है चाहता हू अब माँ को हर सुख दूँ ग़मो की छाया उस पर फटकने ना दूँ क्या हुआ जो पढ़ लिख ना सका पर माँ कहती है तू तो वो भी पढ़ गया जो कभी सीखा ना था @पूजा मेहरा छोटू
छोटू
read moreतृप्ति
छोटू कुछ तो है उसकी मजबूरी वरना इतनी छोटी सी उम्र में यूं ही कौन करता है मजदूरी जरा सोचो....... कैसे वह इतने काम करता है आखिर वो भी तो एक बच्चा है | ग्राहकों को चाय पिलाना उसका काम है सबके लिए उसका नाम है | मुमकिन हो वह कोई बेसहारा है या किसी के लिए एक अकेला सहारा है जो अपने साथ साथ किसी और का पेट पालता है | बाल मजदूरी गलत है ऐसा लोगों का कहना है पर क्या करेंगे वह लोग आखिर उन्हीं भी तो जीना है | ऊंची उड़ाने तो वो भी भरना चाहते हैं पर पास उनके पंखों की कीमत नहीं पूरी कर दे उनके ख्वाबों को किसी ऐसे का सर पर है हाथ नहीं | छोटू
छोटू
read moreDr. PRAMILA TAK
मै वही छोटू हूं .. जिसने अपने सपनो को, चूल्हे पर जला कर तुम्हे चाय पिलाई़... हां मै वही छोटू हूं.. जिसने अपने सपनो की चमक तुम्हारे गंदे बर्तनो मे लाई.... छोटू....
छोटू....
read moreVarsha Shrivastava
बचपन में ही बड़ा हो गया, नाम रखा है उसका छोटू, दुबली पतली उसकी काया, पर फुर्ती है बड़ी गज़ब की, दौड़ दौड़ कर गाहक सुनता, बोली मीठी लगे अदब की बाप पड़ा है धुत्त नशा कर, हार चढ़ा है माई फोटू,बचपन में ही बड़ा हो गया, क्या होता है पढ़ना लिखना, पढ़ लिख कर एक अफसर बनना, माई होती तो कुछ करती, उसे नहीं पड़ता यह करना, छोटी मुनिया रहेगी भूखी, नहीं कमाने जाये तो तू,बचपन में ही बड़ा हो गया, चाय जरा सी छलक गयी थी, एक साहब के कपड़ों पर, उसे बहुत डर लगने लगता, ग्राहक मालिक झगड़ों पर, साहब के संग एक दुलारा, उस पर एक खिलौना मोटू,बचपन में ही बड़ा हो गया कानूनन यदि देखा जाये, पाबंदी है बालक श्रम पर, लेकिन छोटू चला रहा है, पूरा घर ही खुद के दम पर, यह मालिक यदि रखे नहीं तो, फिर भटकेगा कहीं पे छोटू वर्षा श्रीवास्तव "अनीद्या" ©Varsha Shrivastava छोटू
छोटू
read moreShreyashi Mishra
नन्ही सी कलाई पर जब मैंने राखी बाँधी थी याद हैं मुझे वो उतारने को उतावला हो गया था ,हाथो में उलझी डोरियों को देख वो लड्डू भी नही खाया था ,बड़ी बड़ी उन आंखों में उस दिन आशू भी आया था। हो गया हैं अब,थोड़ा बड़ा वो ,राखी का इंतज़ार भी करता हैं ,सबसे सुंदर राखी को हफ़्तों संजोये रखता हैं। अपनी कलाइयों को बार बार वो निहारता हैं, मेरा छोटा सा भाई अब थोड़ा बड़ा सा लगता हैं।। छोटू
छोटू
read moreAmaan Moradabadi
छोटू क्यों धो रहा है वो झूठी चाय की प्यालियाँ , क्योंकि छोटू पर पड़ गयी है घर की ज़िम्मेदारियाँ ! #छोटू