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Muskan Raj
प्रेम के हैं वो प्रयाग एक दूसरे के हैं भिन्न देह किन्तु भाग एक दूसरे के हैं आपकी मुस्कान । #नोजोटो #हिंदी #इंडिया #कविता #काव्य #शायरी #शायर #प्रेम #श्रृंगार
Shweta Singh
ये मांग का सिंदूर भी बोले छोड़ दे मुझे भरना ये लाली नहीं काला कंलक है, तेरा ! ये माथे की बिंदिया भी बोले छोड़ दे मुझे सजाना ये दमकते ललाट पर, लगे काले ग्रहण का छाया ! ये गले का मंगलसूत्र भी बोले छोड़ दे मुझे लटकाना ये सूत्र तेरा मंगल नहीं करने वाला ये तो है अमंगल का कारक ! ये अनामिका में फंसी हीरे की मुद्रिका भी बोले उतार दे मुझे ये तेरे प्राणनाथ के प्रेम को तेरे हृदय से नहीं जोड़ने वाली ये तो तेरे हृदय को उसके छल से करेगी छलि ये कलाई की कगंन भी बोले छोड़ दे मुझे पहना ये गोरी कलाई पर खनके तो लगे हथकड़ी का पहरा ! ये पावं की पायल भी बोले छोड़ दे मुझे बांधना ये बंधे तो लगे तेरे पावं में पड़ी हैं ,बेड़ियाँ! ✍️श्वेता सिंह श्रृंगार
श्रृंगार
read moreSumit Kumar
मैं मुस्कुराता हुआ आईने में दिखुंगा, वो भी मुस्कुरा उठेगी अचानक श्रृंगार करते हुए ©Sumit Kumar श्रृंगार..
श्रृंगार..
read moreRohit Saini
हर "शब्द" का अपना "तापमान" होता है, बस शर्ते शब्द का "श्रृंगार" कैसा है । ©Rohit Saini #श्रृंगार
Manmohan Dheer
तुम यलगार लिखते हो में श्रृंगार लिखता हूँ तुम प्रहार लिखते हो मैं उपसंहार लिखता हूँ तुम क्रुद्ध युगों युगों से चीखते हिंसक वेदना में मैं प्रकृति को विधान मान कर बहार लिखता हूँ शब्दों को विन्यास में सजा कर बस रख देता मैं विश्वपटल पर बात के माइने हज़ार लिखता हूँ विवादों के बंजर सूखे रेगिस्तानों से दूर विचरता धधक रहे धरातलों पर वर्षा का आभार लिखता हूँ पारदर्शी शीशे सा आरपार सा दिख जाए चित्त ऐसा प्रेम लिखता हूँ मैं प्रेम के व्यवहार लिखता हूँ . तुम यलगार लिखते हो मैं श्रृंगार लिखता हूँ . धीर श्रृंगार
श्रृंगार
read moreAnkur Mishra
आईने के आगे बैठे के यूँ श्रृंगार ना किया कर तुझे तू भी देखे इतने प्यार से गवारा नहीं ये मुझे ©Ankur Mishra #श्रृंगार