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गोरक्ष अशोक उंबरकर
तुम सूरज चांद नहि बल्की आसमा के तारे हो.. किसी एक के नहीं सबके दिल के सितारे हो.. खेल मे जो हारे है उनके तुम सहारे हो.. डूबने वाली नौका के आप ही एक किनारे हो.. धन्य जो माता पीता जो आपके पालनहारे हो.. हर कोई चाहे आप जैसा गुरू हमारे हो.. दिल से दुवा करते है क्यूकी तुम सच में बहुत प्यारे हो.. ©गोरक्ष अशोक उंबरकर गुरू
गुरू
read moreरिपुदमन झा 'पिनाकी'
प्रथम गुरु माता से सीखते हैं हम लिखना पढ़ना। और गुरु बन पिता सिखाते ऊँचाई पर चढ़ना। क़दम - क़दम पर संघर्षों, बाधाओं की ठोकर है- मात पिता ही थाम के ऊँगली सिखलाते हैं बढ़ना। दूजे गुरु जो पूज्य हमारे ज्ञान की दीक्षा देते हैं अनुशासन,कर्त्तव्यनिष्ठता की हमें शिक्षा देते हैं। ज्ञानकोष के अनुपम मोती भरते हैं झोली में- दानी गुरु महान दान में शिक्षा की भिक्षा देते हैं। जीवन गुरु महान सिखाता इन तीनों से ज्यादा नहीं असंभव कुछ भी बंदे कर ले अगर इरादा। बाधाएं कितनी भी आएं कभी हौसला टूटे ना - बिना हार माने है जीतना कर लो ऐसा वादा। जीवन में हम क़दम क़दम पर सीखते हैं जीवन से। जीवन को हम कुछ देते और लेते हैं जीवन से। जीवन जैसा गुरु नहीं कोई जग सा नहीं विद्यालय- सीख दे जाते हैं जो पाते गुरु कितने हैं जीवन से। रिपुदमन झा 'पिनाकी' धनबाद (झारखण्ड) स्वरचित एवं मौलिक ©Ripudaman Jha Pinaki #गुरू
कमल "किशोर"
"गुरू" ।। कहाँ अंत है तीन लोक का, कहाँ चराचर हुआ शुरू, कहां गूंजता नाद गगन में, किस से करते बात तरु, गिरि से कैसे छूटी धारा, क्यों है जल से विरक्त मरु, सकल विश्व का ज्ञान समेटे, भृकुटि ध्यान लगा कर के, वचन से अपने एक ही पल में, सब संशय करे दूर गुरू ।। अज्ञान तमस को चीर मिटाये, ज्योति-पुंज-प्रकाश गुरू..।। बिन भेदी के दर-दर डोले, ज्यों स्वामी बिन ढोर "किशोर" हाथ पकड़ कर राह दिखाते, राह भटकों की आस गुरू। ©कमल "किशोर" गुरू
गुरू
read moreआशिष गंगाधरजी चोले
गुरुऋण काढले ज्यांनी समाजातून अंधश्रद्धेचा भेव सर्व प्रथम करीतो प्रणाम वंदनीय माझे बाबा जुमदेव जादू टोण्याचे धूर जेव्हा आसमाणी दाटले वाईट व्यसनातुनी आम्हांस जुमदेवजींनी सावरले मानव आहे बेईमान हे तुम्हास आधीच गवसले तरीही कोणताच मोबदला न घेता सत्य मर्यादा प्रेमाने जुमदेवजींनी सेवकांस तारले सेवकांच्या कल्याणास चंदनापरी देह तुम्ही झिजवले तत्व शब्द नियमांनी महानत्यागी तुम्ही मानवधर्म घडविले आशिष चोले म्हणे तुमच्या ऋणातून आम्ही कधीच होणार नाही मुक्त म्हणूनच जुमदेवा हे गुरुऋण व्यक्त लेखन:- आशिष गंगाधरजी चोले मु पो रेवराळ नागपूर. गुरू
गुरू
read moreSheel Sahab
मन बंजारा सा दिल आवारा सा, *पुरुष* की आखिरी गुरू उसकी *पत्नी* होती है। उसके पश्चात उसे न तो कोई ज्ञान की आवश्यकता होती है, न ही कोई ज्ञान काम आता है *गुरु पूर्णिमा की बधाई* #गुरू
Jamit Rao
Guru Purnima गुरू से भेद ना मानिए , गुरू से रहें न दूर, गुरू बिन 'सलिल' मनुष्य हैं , आँखें रहते सूर गुरू
गुरू
read moreSatish Deshmukh
गुरु चरणाची धूळ लावतो मी कपाळाला ! काव्यसिद्धी द्यावी जरा कवितेला जपायाला ! कृपादृष्टी ठेवा आता मला घ्यावे सावलीत ! सृजनाच्या संवेदना टाका माझ्या ओंजळीत ! ©Satish Deshmukh गुरू
गुरू
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