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manvendra singh poet
लहजा-ए-खामोशी रखोगे तो तन्हा ही रह जाओगे सुकूं चाहते हो तो फितरत में हाल-ए-बयां लाओ #NojotoQuote मान के अल्फाज
मान के अल्फाज
read moreManmohan Dheer
दोस्त ही रहा वक़्त मेरा ये मान के चलिए वज़ह दुश्मनी की न थी ये मान के चलिए . नए बरस की तारीखों में क्या ख़ास हुआ अपने ढर्रे से ही गुजरेगा ये मान के चलिए . चलिए कि चलना भी दुनिया का दस्तूर है ज़िंदगी खिसकती रहेगी ये मान के चलिए . भागते हैं सब यहाँ जाने कौन कहाँ जाता है कहीं भी न पहुंचेगा कोई ये मान के चलिए . सफ़र तारीख़ी न सही पर मंज़िलों का मुद्दा है वक़्त तो यूं भी कट जाएगा ये मान के चलिए . दरवाज़े भी किसी बरस बंद न हुए हैं धीर के इस बरस भी खुला मिलेगा ये मान के चलिए . मान के चलिये
मान के चलिये
read moreCK JOHNY
बहुत हो चुका बर्बादी का रोना आज गीत आज़ादी के गायेंगे। बेरंग हो चुकी इस ज़िंदगी में आज हम तिरंगा इक रंग जायेंगे। कुर्बानी का रंग कुछ रंग अमन का हरा भरा रंग भर देंगे अपने चमन का। हर तरफ खुशियों के फूल खिल जायेंगे। बहुत हो चुका बर्बादी का रोना आज गीत आज़ादी के गायेंगे। गरीबों कुचलों के आँसू पोंचे हाथ थाम उनका कुछ सोचें। हर हाथ को काम दें पैरों पर उन्हें खड़ा करें। अपने हिंदुस्तानी होने का हक अदा करें। देखो कैसे फिर सबके दिल मिल जायेंगे। बहुत हो चुका बर्बादी का रोना आज गीत आज़ादी के गायेंगे। बी डी शर्मा चण्डीगढ़ 15.08.2020 आज़ादी के गीत
आज़ादी के गीत
read moreHarish
मन होता है आज एक गीत गुनगुनाऊं। कभी टूटी आसों में, धुंधलाती विश्वासों में, नवजीवन की अहसास जगाऊं। मन होता है आज, एक गीत गुनगुनाऊं। कुछ रिश्तों की गांठों को, दिल में आयी बांटो को फ़िर से एक बार सुलझाऊं, मन होता है आज एक गीत गुनगुनाऊं। कुछ अधूरी लकीरों को, द्वार पर खड़े फकीरों को, उनके मंज़िल तक पहुचाऊं। मन होता है आज एक गीत गुनगुनाऊं। उन हाथों की छुअन को, ममता की तपन को, फ़िर एक बार अपने पास लाऊं। मन होता है आज एक गीत गुनगुनाऊं। अतीत में दबे गहरे, व्यतीत हुए बहुत ही सुनहरे, उन खूबसूरत पन्नों को फ़िर आज वापस पाऊं। मन होता है आज एक गीत गुनगुनाऊं। अतीत के गीत
अतीत के गीत
read moreVivek
मन के गीत देह पे बहे झरने की तरह जल के दर्पण में शब्दों ने अपना सिंगार देखा हर वर्ण ने अपना रूप देखा लेखनी ने अपना प्यार देखा...!!! ©Vivek #मन के गीत
#मन के गीत
read moreRajni Bala Singh (muskuharat)
कुछ कहते क्यों नहीं पास बैठे हो मुस्कुराते क्यों नहीं रूसवाईयों में ज़िन्दगी गुजर गई जो वख़्त बचा है उसमें प्यार के गीत गुनगुनाते क्यों नहीं ©Rajni Bala Singh (muskuharat) #प्यार के गीत
#प्यार के गीत
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