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Deepti Garg
पहली दफ़ा जब उससे मिली रातों की नींद गई दिल का चैन गया । हर वक्त उसका इंतजार-2 रहा। हर बार फोन पर नजर जाना दिल बेकरार रहा। जब तक ना हो जाती उससे बातें, दिल परेशानियों से घिरा रहा। एक नजर उसको देखने को, मेरी आँखों को उसका इंतजार रहा। पहली दफ़ा जब उससे मिली। खूब सारी बातें और दिल सीने के पार हुआ। ना सोचा ना समझा हल्का-हल्का खुमार हुआ। ©Deepti Garg #पहली दफ़ा#dilkikalamse#deeptigarg #yqdidi _yqbaba
दिशांत नागराज
रात सोने में गुजर जायेगी सुबह की पहली किरण तेरी यादों का झोंका। लायेगी ©दिशांत नागराज शामली
शामली
read moreLawyer Bhati
वो ढूंढ़ती रहती हैं उसे ये इश्क़ पहली दफ़ा था वो छोङकर गया तो इसमें उसका भी कौन सा नफ़ा था ©Lawyer Bhati ये इश्क़ पहली दफ़ा था #lawyerbhati #nojoto #fourlinepoetry #fourlinepoetry
ये इश्क़ पहली दफ़ा था #lawyerbhati nojoto #fourlinepoetry #fourlinepoetry
read moreAnkit Mishra
इश्क़ कि अदालतो कि में बस इतनी ही फ़ीस न ज़मानत मंजूर होगी न जिरह न तफ़्तीश दफ़ा
दफ़ा
read morePagal
वक्त की तरह मगरुर नहीं है सुमित बुरे वक्त में आज भी साथ ही खड़े पाओगे। ©पागल सुमित कोरी #माही #लड्डू #शामली #kavisonitkumar #Janamashtmi2020
#माही #लड्डू #शामली #kavisonitkumar #Janamashtmi2020
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मैं गर इश्क़ लिखूं तो तुम शामली समझ जाना। ©पागल सुमित कोरी #माही #लड्डू #शामली #लव #पोएट्री #पागल
Ankit Mishra
इन सितारो कि भीड़ में एक तेरे सिवा कुछ नही खोता हू मैं नज़र को तो कई खामोशियॉ मूद लेती है पर सोता नही हू मैं.. कई दफ़ा बहस तक हो जाती है मेरी उस आसमान से जो कभी खिल-खिलाकर हस तलक देता है एकेलेपन पर सितारो संग चॉद के.. भले कितने वायद़े कर लू तुझसे भला तेरे कैसे नहीं मायूस होता हू मैं हॉ बस कभी जीत पर खुश हो लेता हू पर कभी कभी हार कर तुझसे रोता हू मैं.. कई दफ़ा
कई दफ़ा
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. चेहरे पर हंसी, दिल मे अरमां लिए . बहुत मुस्कुराया करती थी वो लड्डू अजीब थी जो दो चोटी कर स्कूल जाया करती थी। उसकी एक बहन आंखे तो. छोटे वाली बहुत शर्माया करती थी। वो लड्डू अजीब थी जो दो चोटी कर स्कूल जाया करती थी। . कभी पास्ता कभी परांठा, कभी मैगी बनाया करती थी। कभी तेज़ धूप मे खड़ी होकर अपनी सूरत दिखाया करती थी वो लड्डू अजीब थी जो दो चोटी कर स्कूल जाया करती थी। मुझे बहार बुलाने के लिए. ये तरीका आजमाया करती थी। गली में खड़ी हो तेज चिल्लाया करती थी. वो लड्डू अजीब थी जो दो चोटी कर स्कूल जाया करती थी। उसके काले कुर्ते वाली ड्रेस, मुझे बहुत भाया करती थी। पूछकर हाल अपनी ड्रेस का. खुद को रिझाया करती थी. वो लड्डू अजीब थी जो दो चोटी कर स्कूल जाया करती थी। अपनी बड़ी बहन से भी कभी -2 बात कराया करती थी। मोहल्ले वालों से सावधान रहो वो ये समझाया करती थी। वो लड्डू अजीब थी जो दो चोटी कर स्कूल जाया करती थी। #उसके हिस्से के सारे गम, उसकी खुशी में तब्दील हो जाए ऐ!खुदा ऐसी रहम कर मेरी उम्र भी लड्डू को लग जाए। ©Pagal 5#शायरी #कविता #गज़ल #पागल #माही #शामली