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BHOORA
मर्द में मर्दानगी और औरत में हया अगर नही है तो ना तो वो मर्द हैंडसम और ना ही वो औरत खूबसूरत है... ©Jatalfaz #alone #मर्द #औरत #लव #खूबसूरती
Hemlatadew08
🌳🦚आज की कहानी🦚🌳 💐💐औरत और साधु💐💐 एक औरत अपने घर से निकली, उसने घर के सामने सफ़ेद लम्बी दाढ़ी में तीन साधू-महात्माओं को बैठे देखा। वह उन्हें पहचान नही पायी। उसने कहा, ” मैं आप लोगों को नहीं पहचानती, बताइए क्या काम है ?” ” हमें भोजन करना है।”, साधुओं ने बोला। ” ठीक है ! कृपया मेरे घर में पधारिये और भोजन ग्रहण कीजिये।” ” क्या तुम्हारा पति घर में है ?”, एक साधू ने प्रश्न किया। “नहीं, वह कुछ देर के लिए बाहर गए हैं।” औरत ने उत्तर दिया। “तब हम अन्दर नहीं आ सकते “, तीनो एक साथ बोले। थोड़ी देर में पति घर वापस आ गया, उसे साधुओं के बारे में पता चला तो उसने तुरंत अपनी पत्नी से उन्हें पुन: आमंत्रित करने के लिए कहा। औरत ने ऐसा ही किया, वह साधुओं के समक्ष गयी और बोली,” जी, अब मेरे पति वापस आ गए हैं, कृपया आप लोग घर में प्रवेश करिए!” ” हम किसी घर में एक साथ प्रवेश नहीं करते।” साधुओं ने स्त्री को बताया। ” ऐसा क्यों है ?” औरत ने अचरज से पूछा। जवाब में मध्य में खड़े साधू ने बोला,” पुत्री मेरी दायीं तरफ खड़े साधू का नाम ‘धन’ और बायीं तरफ खड़े साधू का नाम ‘सफलता’ है, और मेरा नाम ‘प्रेम’ है। अब जाओ और अपने पति से विचार-विमर्श कर के बताओ की तुम हम तीनो में से किसे बुलाना चाहती हो।” औरत अन्दर गयी और अपने पति से सारी बात बता दी। पति बेहद खुश हो गया। “वाह, आनंद आ गया, चलो जल्दी से ‘धन’ को बुला लेते हैं, उसके आने से हमारा घर धन-दौलत से भर जाएगा, और फिर कभी पैसों की कमी नहीं होगी।” औरत बोली,” क्यों न हम सफलता को बुला लें, उसके आने से हम जो करेंगे वो सही होगा, और हम देखते-देखते धन-दौलत के मालिक भी बन जायेंगे।” “हम्म, तुम्हारी बात भी सही है, पर इसमें मेहनत करनी पड़ेगी, मुझे तो लगता ही धन को ही बुला लेते हैं।”, पति बोला। थोड़ी देर उनकी बहस चलती रही पर वो किसी निश्चय पर नहीं पहुच पाए, और अंतत: निश्चय किया कि वह साधुओं से यह कहेंगे कि धन और सफलता में जो आना चाहे आ जाये। औरत झट से बाहर गयी और उसने यह आग्रह साधुओं के सामने दोहरा दिया। उसकी बात सुनकर साधुओं ने एक दूसरे की तरफ देखा और बिना कुछ कहे घर से दूर जाने लगे। ” अरे ! आप लोग इस तरह वापस क्यों जा रहे हैं ?”, औरत ने उन्हें रोकते हुए पूछा। ” पुत्री, दरअसल हम तीनो साधू इसी तरह द्वार-द्वार जाते हैं, और हर घर में प्रवेश करने का प्रयास करते हैं, जो व्यक्ति लालच में आकर धन या सफलता को बुलाता है हम वहां से लौट जाते हैं, और जो अपने घर में प्रेम का वास चाहता है उसके यहाँ बारी- बारी से हम दोनों भी प्रवेश कर जाते हैं। इसलिए इतना याद रखना कि जहाँ प्रेम है वहां धन और सफलता की कमी नहीं होती।”, ऐसा कहते हुए धन और सफलता नामक साधुओं ने अपनी बात पूर्ण की। 💐💐💐 सदैव प्रसन्न रहिये। जो प्राप्त है, पर्याप्त है।। 🙏🙏🙏🙏🌳🌳🌳🙏🙏🙏🙏🙏 ©Hemlatadew08 #औरत और साधु
#औरत और साधु
read moreRita Kanwar
💞💦पानी जैसी होती है औरत की शख्सियत,जो उसमे मिलाओगे वैसे ही बन जाती हैं। 💨प्यार, वफा, या धोखा ©Rita Kanwar औरत और पानी
औरत और पानी
read moreP A hashmi
एक साथ चार महिलाएं थीं और बिलकुल खामोश थीं 🤣😂 ©P A hashmi औरत और खामोश रहे इससे बड़ा झूठ कोई और नहीं #औरत
औरत और खामोश रहे इससे बड़ा झूठ कोई और नहीं #औरत
read moreअनुषी का पिटारा "अंग प्रदेश "
इश्क़ करने के लिए खुद़ा ने औरत तो बनाया है पर मुख्य कई बात उसने हर एक से छुपाया है जो कोई इन्सान धोखा करेंगे औरत से अपना उन्हें ग़जे शक्लें दिखाई देगा आइने में अपना मोटे -मोटे शीशे के लगे आँखों पर चश्म़े होंगे अश्क़े बहेंगी आँखों से थोबड़े इतने गंदे होंगे ©Anushi Ka Pitara #इश्क़ #और #औरत #Women
Shayar Aman
गाँव मे सभी मर्द औरत को कमजोर समझते है मर्द को पता ही नही की औरत के अंदर दुर्गा-माँ की शक्ति होतीं है औरत घर के सारे काम करती है मर्द को लगता है की औरत बस घर के काम कर सकती है औरत के अंदर बहुत शक्ति होती हैं वो घर के काम और बार के काम भी कर सकती हैं,बच्चे को भी सऺभाल थी है ©Aman Malik औरत और मर्द #freebird
औरत और मर्द #freebird
read moreSonam kuril
मर्दों की लड़ाई में माँ बहने पिस जाती है , बड़े ही अभद्र अपशब्दों से बहन बेटी तक पहुंच जाते है , न वक़्त कल सुधरा था न आज बदला है , माँ बहन के नाम पर सारे मर्दों का मुँह सिला है , धरने पर बैठी औरत , माना की तेरी अपनी नहीं , पर खुद के अहम के लिए , उसके चरित्र को ललकारना , तेरी मर्यादा तो नहीं , कहता है खुद को देशभक्त वो , नजरों में उनकी माँ बेटियों के लिए तनिक भी सम्मान नहीं , क्या हिन्दू क्या मुस्लिम , सुन जरा औरत के बिना तेरा कोई वजूद नहीं , तू मर्द किस काम का जो निगाहों में तेरी औरत के लिए इज्जत नहीं, नोच लेता है छातियां , उसको ही तवायफ पुकारता , जिसके आँचल की छाँव में पला , उसको ही गलियों से नवाजता , वाह रे ये दोगलापन तेरा , किस बात पर तुझको गुमान है , रात के अँधेरे में जो करते औरतों का शिकार है, घर में जो न टीकते कदम एक पल को तेरे , न हो औरत तो वो घर बन जाये शमशान से , जानता सब फिर न जाने हर दोष मढ़ता , क्यों औरत के नाम पे , रुक जा , ठहर या संभाल जा , याद रख कमजोर नहीं औरत जो तेरी बद्सलूकियाँ सहती है , वो चुप है क्यूंकि वो माँ होती है | SONAMKURIL औरत ,माँ और सम्मान
औरत ,माँ और सम्मान
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