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Manmohan Dheer
कई सवाल छोड़ गई फिर इक़ रात ढलते हुए अकेले अब ऊब गए हैं अलाव भी जलते हुए . जो क़ायदों से ही बैठे हैं क़ायदों के ख़िलाफ़ वक़्त लम्बा हुआ सड़कों पे उन्हें पलते हुए . ज़मीन से जुड़े हैं जो वो ज़मीन पे ही बैठे हैं यूं ही नही बैठे है रहना उनको हाथ मलते हुए . जम्हूरियत की नुमाइश से कदम जो रुक गए वो क़ीमती रास्ते तरक्की पे हैं तेज चलते हुए . शहरों में आजकल गरमागरम ख़बर चलती है क्या अच्छे लगते हैं इंसान जाड़े में गलते हुए . जम्हूरियत
जम्हूरियत
read moreSatyam Mishra
जम्हूरियत नज़र नहीं आती। बंद हाथों में बेड़ियां, क्यूं नजर नहीं आती।। एक दौर ऐसा था एक और ऐसा है। अम्मी को अब नींद नही आती।। क्या धुंध क्या खौफ फैला है। अब लड़कियां घर से बाहर नही आती।। किस जम्हूरियत के चर्चे हैं। अब अधेरे में रोशनी नहीं आती।। जम्हूरियत
जम्हूरियत
read moreमोहम्मद मुमताज़ हसन
26 जनवरी की शुभ सुबह आई ये वतन जाग उठा! जम्हूरियत का परचम लहराई ये वतन जाग उठा!! ©मोहम्मद मुमताज़ हसन #RepublicDay #वतन #जम्हूरियत
#RepublicDay #वतन #जम्हूरियत #शायरी
read moreshaukat ali shaukat
जम्हूरियत का जश्न मनाऊँ मैं किस तरह? जम्हूरियत का जबकि जनाज़ा निकल गया। शौकत अली ،शौकत, #Desh_ke_liye जम्हूरियत का जश्न मनाऊँ मैं किस तरह? जम्हूरियत का जबकि जनाज़ा निकल गया। शौकत अली ،शौकत,
#Desh_ke_liye जम्हूरियत का जश्न मनाऊँ मैं किस तरह? जम्हूरियत का जबकि जनाज़ा निकल गया। शौकत अली ،शौकत,
read moreChandan Ki kalam
मुझ बंदे पर ख़ुदा ने एक रहम किया है, इंसानियत का मरहम मुझमें जिंदा किया हैं ! ©Chandan Ki kalam इंसानियत #इंसानियत #रहम
आदित्य रहब़र
जम्हूरियत का अनोखा खेल दिखा रहा जमूरा तोड़ दी कलमें, छिन ली किताबें गांजे, भांग का भोग लगा सबको पिला रहा नफ़रत का धतूरा सत्य की वो गांधी की लाठी अब दंगाइयों के हाथ है औघड़ बना फिर रहा सब,सियासतदार भी उनके साथ है शिक्षा का व्यापार बना, सरकार मस्त है पीकर सूरा सच बोलने वालों की खैर नहीं झूठे को मिला है मौका पूरा जम्हूरियत का अनोखा खेल दिखा रहा जमूरा जम्हूरियत का अनोखा खेल दिखा रहा जमूरा
जम्हूरियत का अनोखा खेल दिखा रहा जमूरा
read moreRatan Kumawat
जिंदगी जीने का सलीका अब बदलना होगा, खुद के लिए नहीं बल्कि दूसरों के लिए जीना होगा. इंसानियत #इंसानियत,प्यार,भाईचारा
इंसानियत #इंसानियत,प्यार,भाईचारा
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