Nojoto: Largest Storytelling Platform

New केदारनाथ साहनी Quotes, Status, Photo, Video

Find the Latest Status about केदारनाथ साहनी from top creators only on Nojoto App. Also find trending photos & videos about, केदारनाथ साहनी.

Stories related to केदारनाथ साहनी

gudiya

nojotophoto उधर- उधर उसने कहा जिधर उसकी पतंग भागी जा रही थी मैं स्वीकार करूं मैने पहली बार जाना हिमालय किधर है !

read more
White हिमालय किधर है?
मैने उस बच्चे से पूछा जो स्कूल के बाहर
पतंग उड़ा रहा था

उधर- उधर उसने कहा
जिधर उसकी पतंग भागी जा रही थी

मैं स्वीकार करूं
मैने पहली बार जाना
हिमालय किधर है !

-केदारनाथ सिंह

©gudiya #nojotophoto 

उधर- उधर उसने कहा
जिधर उसकी पतंग भागी जा रही थी

मैं स्वीकार करूं
मैने पहली बार जाना
हिमालय किधर है !

राज़ मेहरा

जय बाबा केदारनाथ 🙏❤️ #Inlove #viral #viralvideos #viralreels #Reels

read more

Vikas Sahni

#कठिनाइयों_के_काल_में सुकून देता है कठिनाइयों के काल में केवल कविता को चाहना, सुकून देता है कठिनाइयों के काल में केवल इस ही को सराहना

read more
White 

सुकून देता है
कठिनाइयों के काल में केवल कविता  को चाहना,
सुकून देता है
कठिनाइयों के काल में केवल इस ही को सराहना
शेष शोर हैं,
शेष चोर हैं 
और हैं सिर्फ़ सफलता के आशिक 
इस कायनात में कविता ही है इक,
जिसे इस रूप में 
लिखकर गर्व होता है कि अच्छा किया जो
इतिहास में किसी को
प्रेम नहीं किया अलावा कविता के,
अच्छा किया जो इतिहास में किसी को
दिल नहीं दिया अलावा कविता के,
कष्टों के काल में 
ऐसा सोचकर गर्व होता है,
मातम-मलाल में 
ऐसा सोचकर गर्व होता है,
कविता को वो नहीं नोच सकते,
जिन्हें नोचकर गर्व होता है क्योंकि कविता को कोई
देख  नहीं सकता 
क्योंकि कविता को कोई 
छू नहीं सकता,
जो कभी नहीं था थकता
वह भी 
कदाचित कविता को 
तलाशते-तलाशते 
थक गया 
होगा।
                                                                     ...✍️विकास साहनी

©Vikas Sahni 
#कठिनाइयों_के_काल_में
सुकून देता है
कठिनाइयों के काल में 
केवल कविता  को चाहना,
सुकून देता है
कठिनाइयों के काल में 
केवल इस ही को सराहना

suman gaur

केदारनाथ मंदिर का नजारा भैरव बाबा के पास से बहुत मनमोहक दृश्य है हर हर महादेव 🙏🙏 हर हर महादेव

read more

–Muku2001

Vikas Sahni

#मौका_छूट_गया इस साल और अधिक अहित हुआ, सही होते हुए भी ग़लत साबित हुआ और बुरी तरह टूट गया। कल मातम मनाते-मनाते मौका छूट गया।। **** ****

read more
White #मौका_छूट_गया
इस साल और अधिक अहित हुआ,
सही होते हुए भी ग़लत साबित हुआ 
और बुरी तरह टूट गया।
कल मातम मनाते-मनाते मौका छूट गया।।
****    ****    ****    ****    ****
यह देख दोबारा कविता करीब आई,
अनुभूत करता रहा जिसकी गहराई, 
जिसका दिल मेरा मन लूट गया।
कल मातम मनाते-मनाते मौका छूट गया।।
****    ****    ****    ****    ****
अतः आज और अधिक हो गया है कठिन काम,
यह देख दिल बहला रहा था अक्षरधाम 
कि मदहोशी का मटका फूट गया।
कल मातम मनाते-मनाते मौका छूट गया।।
                                     ...✍️विकास साहनी

©Vikas Sahni #मौका_छूट_गया
इस साल और अधिक अहित हुआ,
सही होते हुए भी ग़लत साबित हुआ 
और बुरी तरह टूट गया।
कल मातम मनाते-मनाते मौका छूट गया।।
****    ****

Vikas Sahni

#पतंगों_के_प्रति आज कविता जुल्मत-ए-सुबह से जग रही है पर सुंदर नहीं लग रही है न नहाने-खाने के कारण स्वतंत्रता के पुराने गाने गाने के कारण चिढ

read more
White 
आज कविता जुल्मत-ए-सुबह से जग रही है
पर सुंदर नहीं लग रही है
न नहाने-खाने के कारण
स्वतंत्रता के पुराने गाने गाने के कारण
चिढ भी रही है वह।
होकर नाराज़ नभ देख रही है
और मैं उसकी आँखों में 
देखते-देखते दस बजे सजे
पुस्तक-पन्नों के शब्दाें को फेसबुक; व्हाट्सएप; इंस्टाग्रामादि पर सजा रहा हूँ,
"प्रसन्न बच्चों की आवाज़ें सर्वत्र गूँज रही हैं;
सभी के लिए यह दिवा मेहमान है,
पतंगों से सजा आसमान है,
जिसकी ओर कविता का भी ध्यान है
और उसकी ओर मेरा ध्यान है।
लाल-पीली; हरी-नीली-पतंगें युद्ध-खेल खेल रही हैं
अनंत आसमानी पानी  और बादलों के बगीचे में
मैंने देखा उन्हें कविता की आँखों से
भरी पड़ी प्रत्येक छत है,
प्रत्येक पतंग प्रतिस्पर्धा में रत है,
कई किन्हीं इशारों पर नाच रही हैं,
कई मुक्ति पाने-जाने के लिए छटपटा रहीं हैं,
पिन्नी वाली फटी फटफटा रही हैं,
कई मुक्त हुए जा रही हैं
पश्चिम से पूर्व की ओर मस्ती में ठुमका लगाते हुए
जा रही हैं अपने लक्ष्य की ओर
तो कई कैदी बने रो रही हैं पक्के धागे के पिंजरे में,
जिस प्रकार पक्षी (पतंग)
अपने अंग-अंग को पटकते हैं पिजरे में बड़ी बेरहमी से
फिर कविता की आँखों की नमी से
पूछा मैंने कि क्या हुआ इससे आगे,
क्या टूट गये वे सारे धागे?
कविता ने कहा, "टूट ही जायेंगे कभी-न-कभी पतंगों के धागे,
टूट ही जायेंगे कभी-न-कभी भिन्न-भिन्न रंगों के धागे।
है आवश्यक अभी कि काश टूट जाते बुराई के धागे!!"
     .                      ...✍️विकास साहनी

©Vikas Sahni #पतंगों_के_प्रति
आज कविता
जुल्मत-ए-सुबह से जग रही है
पर सुंदर नहीं लग रही है
न नहाने-खाने के कारण
स्वतंत्रता के पुराने गाने गाने के कारण
चिढ
loader
Home
Explore
Events
Notification
Profile