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Narendra Sonkar
Life in 5 Words कोख से जन्मे जीव के रूप में 'जिंदगी-मौत' का उद्घाटन होता है ©Narendra Sonkar "कोख से जन्मे जीव के रूप में"
"कोख से जन्मे जीव के रूप में"
read moreNarendra Sonkar
गोया कि वो पशु योनि में जन्मे हैं हैं मानव से सही कहूं तो बीस वही ©Narendra Sonkar "गोया कि वो पशु योनि में जन्मे हैं"
"गोया कि वो पशु योनि में जन्मे हैं"
read moreAnkit Bari
ज़िंदगी दिसंबर सी जिंदगी दिसम्बर सी इस दिसम्बर के महीने में कुछ अकेली ठंडक और मिल गए तो दोस्तों के साथ की चाय अच्छी लगती है लगता है कि ये दिसंबर और दोस्तों के नंबर आते है 🌃🌃💓Ankit rawat 💓💓 इस दिसम्बर में कुछ दोस्तों के पल
इस दिसम्बर में कुछ दोस्तों के पल
read moreचाँदनी
bench भरी जनवरी सीने को बर्फ ना कर सकी देखो दिसम्बर की हल्की बारिश मेरे अक्स तक के निशा मिटा दिए ©चाँदनी #दिसम्बर
Manmohan Dheer
दिसम्बर का ये मौसम तुम मेरे नाम लिख दो मेरे नौतपे पे शबनमी थोड़ी बारिश लिख दो . दिसम्बर
दिसम्बर
read moreRahul Saraswat
चलिये नई साल की आमद में, कसीदे़(बधाई) पढ़िए खत्म़ होने को, फिर इक बार, माह-ए-दिसम्बर है आया ख्वाहिश है बीते ये साल, बेमिसाल खुशहाली से जाते हुए सालों ने तो है, बस कैद ही करवाया .. दिसम्बर
दिसम्बर
read moreSavita Suman
#दिसंबर ये जो गुजर रहा है वो गुजर जाएगा वक्त कब रुका है ये भी ना रुक पाएगा लायेगा फिर नया भोर जीवन का उम्मीद फिर कई वो दिखलाएगा पर जो ठहरा है दर्द सीने में मेरे बन कर नस्तर सा सीने में मेरे कोई कहदे कभी मुझे आकर क्या वो भी कभी गुजर पाएगा लोग कहते हैं लाता है खुशियां दिसंबर पर गया वक्त भी क्या वो फिर लायेगा सो गई है खुशी कहीं सर्द की रजाई में धूप नए वर्ष का क्या उसे जगाएगा फिर कोई सिहरते थरथराते देह पर मखमली गर्म एहसास कराएगा दूर सन्नाटों में गुम गया है आवाज जो क्या कोई फिर कानों में गुनगुनाएगा रह रह कर उठती है एक टीस जिगर में क्या मरहम कोई प्यार का फिर दे जाएगा कैसे कैसे समझाती है "सुमन" अपने दिल को क्या कोई इस दर्द को भी समझ पाएगा @सविता सुमन ©Savita Suman #दिसम्बर
सत्यम...S❤️S
एक रात काली थी वो दिसम्बर सी. मन में उठ रही थी हिलोरे बबंडर सी.. मिलन था शायद उस रात हमारा उससे. वो न आई,.और रह गयी ये इला खंडहर सी.. #दिसम्बर
मोहम्मद मुमताज़ हसन
दिसंबर का महीना रातें सर्द होती जा रही है दिन सिकुड़ रहे हैं नरम पड़ चुके हैं सूर्य के तेवर पहाड़ों को ढंक दिया है बर्फ ने सफेद चादर से सज गया है गर्म कपड़ों का बाजार ये दिसम्बर की दस्तक है आओ हम भी लुत्फ़ उठाएं ठंडी ठंडी सुबह का #दिसम्बर