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अमित सिंह
पहले नारियां पहनती थी आभूषण, लगाती थी काजल और बिंदी, परिधान में जिनके, अग्रज था मर्यादा और सम्मान, मांग में होता था सिन्दूर, जिससे आत्मसाद होते, उनके भगवान तुल्य पति, पर आजकल होता है, ओंठो पर ढेर सारी लालिमा, चेहरे पर फेयर नेस क्रीम, और पैरों में महावर की जगह ली है बदबूदार पेंट ने, परिधान में आई है तन्यता, साथ आये है जीन्स ,टॉप, पैंट जिनसे लड़किया , समझती है खुद को खूबसूरत, जिसे आज का सभ्य समाज , पुकारता है फैशन कहकर ..!! और यह कहकर उपहास उड़ा रहा होता है वो अपने परिधान , संस्कार ,संस्कृति और देश का..।। #नारियाँ#parivesh
#काव्यार्पण
नारियाँ हमेशा सही नहीं होती हैं #नारी #Kavyarpan poetry #Motivational #Women Kundan Dubey Sircastic Saurabh Hardik Mahajan Sushant Yash M
read mores गोल्डी
.. चरण छूने योग्य हैं वो नारियाँ जिन्होंने संबंध समाप्त होने के बाद भी अपने प्रेमी के राज़ को स्वयं तक ही सीमित रखा.....!! ©s गोल्डी .. चरण छूने योग्य हैं वो नारियाँ जिन्होंने सं
.. चरण छूने योग्य हैं वो नारियाँ जिन्होंने सं
read moreMiMi Flix
"रानी आदिति की वीरता: गौरवमयी विजय" - एक ऐसे देश में जहां वीरता और नियति का मिलन होता है, रानी आदिति अपने लोगों के लिए आशा की किरण बनकर खड़ी
read moreयशवंत कुमार
मेरी अभिलाषा आओ मिलकर कदम बढ़ायें, हम विकास की ओर! देखो, कोई न रह पाए पीछे, मची हो ऐसी होड़ !! कर्म हमारी पूजा हो, और मानवता हमारा धर्म! कोई कार्य छोटा है या बड़ा, हम सोच करे न शर्म!! ग़लतियाँ अपनी सुधार सकें, हम पायें इतना बल! ज़रूरतमंदों के काम आने की, प्रतिज्ञा करें अटल!! भूले-भटकों को पथ दिखा सकें, हम पायें इतना ज्ञान! हम चढ़ते जायें प्रगति के, निस दिन नए-नए सोपान!! स्वार्थ न पाये कहीं स्थान, हो समग्र विकास का ध्यान! नारियाँ हों आराध्य यहाँ, हर नर हो राम समान!! भारतीय संस्कृति की चकाचौंध से, दुनियाँ हो सारी रोशन! पाश्चात्य सभ्यता जिसके आगे, टिक न पाए दो क्षण!! हमारी कथनी और करनी से, झलके संस्कार हमारा! न पहुंचे दुःख कभी किसी को, ऐसा हो व्यवहार हमारा!! जड़-चेतन सभी हों संतुष्ट, हो ऐसी हमारी भाषा! न झलके हमारे चाल चलन से, कभी अहंकार ज़रा-सा!! कुरीतियों को कर दे विध्वंस, आये ऐसा तेज भूचाल! बदहाली की बदली को ढ़ंक दे, खुशियों का टेस गुलाल!! हृदय से द्वेष का भाव मिटा दे, चले ऐसी शुभ बयार! थाम प्रेम की डोरी, प्रेम बाँटने निकल पड़े संसार!! मेरी अभिलाषा आओ मिलकर कदम बढ़ायें, हम विकास की ओर! देखो, कोई न रह पाए पीछे, मची हो ऐसी होड़ !! कर्म हमारी प
मेरी अभिलाषा आओ मिलकर कदम बढ़ायें, हम विकास की ओर! देखो, कोई न रह पाए पीछे, मची हो ऐसी होड़ !! कर्म हमारी प
read moreयशवंत कुमार
नारी पुरुष प्रधान समाज ने नारी जाति को, यह कैसा सम्मान दिया? निष्प्राण मूरत की पूजा की, और गर्भ में जीवित को मार दिया!? दासी, अबला, जननी, देवी ; न जाने कितने ही उपनाम दिए? ममता की मूरत कह कहकर, उसके सारे सपने बांध दिए।। महानता की कहानियाँ गढ़कर, जिंदगी उसकी सीमित कर दी। नारी को तो सहने की आदत, दुःख से एक उफ़ तक न की!! Read Full piece in Caption.... #narishakti #mahiladiwas #nari #abla #mamtakimurat #aadhiaabadi 🌹नारी🌹 पुरुष प्रधान समाज ने नारी जाति को यह कैसा सम्मान दिया? निष्प्राण मूर
#narishakti #mahiladiwas #Nari #Abla #mamtakimurat #aadhiaabadi 🌹नारी🌹 पुरुष प्रधान समाज ने नारी जाति को यह कैसा सम्मान दिया? निष्प्राण मूर
read moreSangeeta Patidar
कृपया रचना अनुशीर्षक में पढ़ें 👇 उधर पुरुष युद्धों में लड़ते, इधर नारियाँ भी लड़ती हैं, अपने अधिकारों की खातिर, बंध तोड़ने को चलती है। विश्वयुद्ध जब बीत गया तो, "नारी दल ने मा
उधर पुरुष युद्धों में लड़ते, इधर नारियाँ भी लड़ती हैं, अपने अधिकारों की खातिर, बंध तोड़ने को चलती है। विश्वयुद्ध जब बीत गया तो, "नारी दल ने मा
read moreHirenkumar R Gandhi
गगन में लहरता है भगवा हमारा ॥ गगन मे लहरता है भगवा हमारा । घिरे घोर घन दासताँ के भयंकर गवाँ बैठे सर्वस्व आपस में लडकर बुझे दीप घर-घर हुआ शून्य अंबर निराशा निशा ने जो डेरा जमाया ये जयचंद के द्रोह का दुष्ट फल है जो अब तक अंधेरा सबेरा न आया मगर घोर तम मे पराजय के गम में विजय की विभा ले अंधेरे गगन में उषा के वसन दुष्मनो के नयन में चमकता रहा पूज्य भगवा हमारा॥१॥ भगावा है पद्मिनी के जौहर की ज्वाला मिटाती अमावस लुटाती उजाला नया एक इतिहास क्या रच न डाला चिता एक जलने हजारों खडी थी पुरुष तो मिटे नारियाँ सब हवन की समिध बन ननल के पगों पर चढी थी मगर जौहरों में घिरे कोहरो में धुएँ के घनो में कि बलि के क्षणों में धधकता रहा पूज्य भगवा हमारा ॥२॥ मिटे देवाता मिट गए शुभ्र मंदिर लुटी देवियाँ लुट गए सब नगर घर स्वयं फूट की अग्नि में घर जला कर पुरस्कार हाथों में लोंहे की कडियाँ कपूतों की माता खडी आज भी है भरें अपनी आंखो में आंसू की लडियाँ मगर दासताँ के भयानक भँवर में पराजय समर में अखीरी क्षणों तक शुभाशा बंधाता कि इच्छा जगाता कि सब कुछ लुटाकर ही सब कुछ दिलाने बुलाता रहा प्राण भगवा हमारा॥३॥ कभी थे अकेले हुए आज इतने नही तब डरे तो भला अब डरेंगे विरोधों के सागर में चट्टान है हम जो टकराएंगे मौत अपनी मरेंगे लिया हाथ में ध्वज कभी न झुकेगा कदम बढ रहा है कभी न रुकेगा न सूरज के सम्मुख अंधेरा टिकेगा निडर है सभी हम अमर है सभी हम के सर पर हमारे वरदहस्त करता गगन में लहरता है भगवा हमारा॥ #NojotoQuote गगन में लहरता है भगवा हमारा ॥ गगन मे लहरता है भगवा हमारा । घिरे घोर घन दासताँ के भयंकर गवाँ बैठे सर्वस्व आपस में लडकर बुझे दीप घर-घर हुआ शू
गगन में लहरता है भगवा हमारा ॥ गगन मे लहरता है भगवा हमारा । घिरे घोर घन दासताँ के भयंकर गवाँ बैठे सर्वस्व आपस में लडकर बुझे दीप घर-घर हुआ शू
read moreDR. SANJU TRIPATHI
काश ऐसा होता तो कृपया अनुशीर्षक में पढ़ें👇👇👇👇 #काश_ऐसा_होता_तो #collab_zone युगों युगों से नारी अपने अदम्य साहस त्याग और बलिदान का परिचय देती रही है राष्ट्रहित में उसका समर्पण समाज के
#काश_ऐसा_होता_तो #collab_zone युगों युगों से नारी अपने अदम्य साहस त्याग और बलिदान का परिचय देती रही है राष्ट्रहित में उसका समर्पण समाज के
read moreDr. Vishal Singh Vatslya
ना जाने कितनी बार सम्भाला मैने उसे जो कहता था ... मैं सम्भाल लूंगा तुझे .. (Read in Caption) Dr.Vishal Singh "इतना अच्छा निशाना क्या रेसिपी हैं आप पर ... क्या खाती है आप...." गाली " बहुत दिन से तमन्ना थी कि एक फिल्म आयी है " सांड की आंख " उसे देखा ज
"इतना अच्छा निशाना क्या रेसिपी हैं आप पर ... क्या खाती है आप...." गाली " बहुत दिन से तमन्ना थी कि एक फिल्म आयी है " सांड की आंख " उसे देखा ज
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