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SAMSHER P
रात भर इक चांद का साया रहा इश्क़ का इक ज़ख्म नुमाया रहा। नींद में भी करवटें हम बदलते रहे शायद सपनों में तू था आया रहा। बात बात पे तेज़ होती है धड़कनें बहुत दिल को मैंने समझाया रहा। इतने संगदिल होना भी अच्छा नहीं याद तेरी में सब कुछ भुलाया रहा। चाहत होती तो निभा भी सकते थे मजबूरी का राग बेकार गाया रहा। ©SAMSHER P #sayari #kavita
Writer
White जो तुम मुझको मिलते तो मैं इतराती जो मैं तुमको मिलती तो तुम भी इतराते यही वजह है की हम एक दूसरे को नही मिले । ©Writer 🥀🍁🥀 #06nov2024 #07:59am
🥀🍁🥀 #06nov2024 07:59am
read morePOONAM SHARMA
White 💜KAVYA KA JOSH💜 "Tere ishq ki zaroorat hai, Mere dil ko, mere jazbaat ko, Tujhse hi hai, tujhpe hi hai, Mere dil ka yeh aarzoo hai. 💜💜 💜 ©POONAM SHARMA #KAVITA
Vibha
White Kanto se sikha hmne rksha krna Tootte tare se sikha hmne logo ki iksha puri krna Ek asafal Guru hi btaya hme kaise safal hai hona ..........#see positivity in everything ©Vibha #kavita
shiv putra
White शब्द वाक् अलंकारिक है केवल । अहम् भावों का होना चाहिए यूँ कहीं भी न खोला करें मन की किताबे कोरे कागज को पढ़ने का हुनर भी तो होना चाहिए ।। विचार पीयूष achrya Pt. saurabh dhar ©shiv putra #kavita
kavi Dinesh kumar Bharti
मेरी कविता में खो जाओ मेरी कविता के हो जाओ ©kavi Dinesh kumar kavita
kavita
read more"सीमा"अमन सिंह
White घर की छत और बचपन, वो यादों का आसमान, जहाँ उड़ते थे सपने, जैसे पतंगों के रंगीन सामान। छत पर बैठकर देखना, सूरज का ढलता रंग, वो छोटी-छोटी बातें, जो दिल को करतीं तंग। बारिश की बूँदों में, छत पर नाचते पांव, माँ की पुकारें भी तब, सुनाई नहीं देतीं, मानो खो जाएँ। रात में तारे गिनना, और चाँद से बातें करना, उस छत पर बैठकर, दुनिया को भूल जाना। छत पर खेलते खेल, वो हँसी और शोर, बचपन की वो छत ही थी, जो करती थी दिल को चोर। आज भी जब छत पर जाऊँ, वही अहसास जगता है, बचपन का वो मासूमपन, फिर से दिल में बसता है। ©"सीमा"अमन सिंह #banarasi_Chhora Date:- 07/10/2024
#banarasi_Chhora Date:- 07/10/2024
read moreYash
White Aasman hai neelā, Gulāb hai laal. Aur bhai, Kya haalchaal. ©Yash #kavita
Prakash Vidyarthi
White " विषय अनुरूप ज्ञान" लिखते हैं आज कुछ विषय वस्तु अनुरूप ज्ञान। कहीं छाया तो कहीं धूप फिर कैसा और क्यों अभिमान प्राइमरी वाली नखरा करे हाई क्लास वाली करे प्यार। मिडिल वाली मन को भाए जाति धर्म बना दीवार।। मैथ वाली मोहब्ब्त करी अंग्रेज़ी वाली आंखे चार। हिन्दी वाली होश उड़ा गईं संस्कृत वाली प्रेम आधार ।। हिस्ट्री वाली हिसाब करे इकोनॉमिक्स वाली दर्द बढ़ाएं। साइंस वाली चाहत शौक रही ज्योग्राफी वाली दिल में समाए।। ऊर्दू वाली परी बड़ी सुन्दर लगे भोजपुरी वाली स्नेह रास रचाती। केमिस्ट्री वाली घुलना मिलना चाहें फिजिक्स वाली दुर भाग जाती।। बायोलॉजी वाली करीब जो आती दिल में कम्पन बढ़ाती। यूपी बंगालन झारखंडी हीरोइन सब हैं भाव बडी खाती।। मनोविज्ञान वाली मन को समझे योगा वाली योगसन सिखाए। राजनीति शास्त्र वाली खेल खेलें नागरिक शास्त्र वाली सभ्य बनाए। प्राकृत भाषा वाली प्यारी लगे गृह विज्ञान वाली ललचाए। सोशियोलॉजी साथ निभाती नहीं विद्यार्थी रूप प्रकाशित हों जाए।। स्वरचित:- प्रकाश विद्यार्थी भोजपुर बिहार ©Prakash Vidyarthi #women_equality_day #kavita