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Stories related to नाट्य शास्त्र

Tera yaar Jp

नाट्य

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somnath gawade

'शास्त्र' चुकीच्या
हातात पडले की
 त्याचे 'शस्त्र' होते.
 #शास्त्र

HP

शास्त्र

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स्वाध्याय केवल पुस्तकें पढ़ने को ही नहीं कहते। उसका वास्तविक उद्देश्य आत्म-निरीक्षण के लिए प्रेरणा प्राप्त करना है।
 शास्त्र कहता है। शास्त्र

Choubey_Jii

नृत्य, गायन, अभिनय, वादन व रंगमंचन होता है !!
ये नाट्य कला, संपूर्ण कलाओं का संगम होता है !!

ये रंगमंच मंदिर होता है पर्दे हैं द्वार उस मंदिर के !!
कलाकार कठपुतली निर्देशक के मन के अंदर के !!
 
सहयोगी होते नींव नाट्य के नहीं कोई कम होता है !!
ये नाट्य प्रदर्शन पूजन है दर्शक ईश्वर सम होता है !!

कलाकार का श्रम मंच पर, मनोरंजन बन आता है !!
चंद मिनट में महीनों की, मेहनत का रंग दिखाता है !!

संपूर्ण सभा में दर्शक की जो ताली से गुंजन होता है !!
वह गुंजन उपहार कलाकार जीवन पर्यंत संजोता है !!

#चौबेजी !! #worldtheatreday #विश्वनाट्यदिवस #चौबेजी #नाट्य #कविता

Pt. Ashish Dubey

#तर्क शास्त्र

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Astro shiv

# ज्योतिष शास्त्र

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Sanjay Kumar Gupta

#वास्तु शास्त्र

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कोई ऐसी करवट,
जो गीला न करे
तकिये को,
क्या पता है तुम्हे?
मुझे मालूम हुआ है,
आप वास्तु शास्त्र के
बड़े जानकर है। #वास्तु शास्त्र

Ritika Thakur

kullu नाट्य उत्सव ♥♥♥

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मनोज कुमार झा "मनु"

#Sunhera शास्त्र वचन

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शास्त्रे प्रतिष्ठा सहजश्च बोधः
प्रागल्भ्यमभ्यस्तगुणा च वाणी।
कालानुरोधः प्रतिमानवत्वम्
एते गुणाः कामदुधाः क्रियासु।।

शास्त्र में निष्ठा, स्वाभाविक ज्ञान, प्रगल्भता, गुणों के अभ्यास से सम्पन्न वाणी, 
कार्य के उचित समय का अनुसरण 
और प्रतिभा की नवीनता - 
ये सभी गुण 
मनोरथों को पूर्ण करनेवाले होते हैं।

(मालतीमाधव - ३/११

©मनोज कुमार झा "मनु" #Sunhera शास्त्र वचन

HP

शास्त्र कहता है।

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शास्त्र कहता है ‘सत्यं सुखं संजयति’ सत् से सुख उपजता है। यदि आप अपने को सुखी बनाना चाहते हैं तो अपने अन्दर दृष्टि डालिये, अपनी बुराइयों का सुधार कीजिए, अपने में सद्गुण उत्पन्न कीजिये। ‘स्व’ को सँभालते ही ‘पर’ सँभल जाता है। दुनिया दर्पण है, इसमें अपनी ही शकल दिखाई पड़ती है। पक्के मकान में आवाज गूँजकर प्रतिध्वनि उत्पन्न होती है इसी प्रकार अपने गुण कर्म, स्वभावों के अनुरूप प्रत्युत्तर संसार से मिलता है। हम जिधर चलेंगे छाया भी पीछे-पीछे उधर ही चलेगी। इसलिए उचित है कि सुख प्राप्त करने का अपने को अधिकारी बनावें अपने आचरण और विचारों में समुचित संशोधन करें यही सफलता का मार्ग है। शास्त्र कहता है।
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