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Parasram Arora
White पहले थोड़ी कमाई से भी वृहद परिवार का भरन्न पोषणआराम हो जाता था लेकिन आज लूट खसोट वाली कमाई करने के बावजूद घर परिवार मुश्किल से चल पाता है ©Parasram Arora घर परिवार
घर परिवार
read morem kalvadiya
White कड़वा हे मगर सच है कूछ ओरते जिन्हे बहू घर कि लक्ष्मी कहा जाता हे उनकी हालत काम वाली बाई से ग ई गुजरी होती है कम से कम काम वाली बाई को उसकी सेलरी तो मिलती है ओर तो ओर तिज त्योहारो पर पर खूशी से भेंट भी मिलती है लेकिन घर की लक्ष्मी घर के झाडू से भी नकारा समझी जाती हे कम से कम उसकी भी ईज्जत होती है ©m kalvadiya #घर किलक्ष्मी
#घर किलक्ष्मी
read moreShiv Narayan Saxena
White घर - घर में होने लगे, नारी का सम्मान। जग अपना लगने लगे, सभी सुखों की खान।। नवरातों के बाद जो, मान करै ना कोय। अपने हाथ विनाश को, निकट बुलावै सोय।। 'शौक' शौक में देखिये, सुमिरन ना छुट जाय। हरि साथै जो खेलिये, जन्म-मरण छुट जाय।। कण-कण उनका वास है, सब सांसों में वोहि। छण-छण उनका नाम ले, मनगति थिर तब होहि।। घर - घर में होने लगे , जगराते हरि बोल। हृदपट भी खुलनें लगें , जै मां जै मां बोल।। ©Shiv Narayan Saxena #good_night घर-घर में होने लगे.....
#good_night घर-घर में होने लगे.....
read moreSunil Kumar Maurya Bekhud
बिजली जब जी करता आ जाती हो बिना बताए जाती हो भीग पसीने से जाते हम तुम इतना तड़पाती हो तेरे आशिक जब से हम सब बाट जोहते रहतें हैं तेरे आते ही खुश होते जाने पर दुःख सहते हैं इतना कष्ट हुआ ना पहले जब तुमसे ना नाता था कोई भी मौसम आता था इतना नहीं सताता था बेखुद अब तो तुम बिन मानव बहुत अधूरा लगता है नींद नहीं आती रातों में रात रात भर जगता है ©Sunil Kumar Maurya Bekhud #बिजली
Vandana Rana
White माता-पिता को अपने घर के दरवाज़े अपनी बेटियों के लिए हमेशा खुले रखने चाहिए ताकि गलत शादी में पड़ने के बाद वह अपने घर आने में झिझके नहीं। ©Vandana Rana माता-पिता को अपने घर के दरवाज़े अपनी बेटियों के लिए हमेशा खुले रखने चाहिए ताकि गलत शादी में पड़ने के बाद वह अपने घर आने में झिझके नहीं।
माता-पिता को अपने घर के दरवाज़े अपनी बेटियों के लिए हमेशा खुले रखने चाहिए ताकि गलत शादी में पड़ने के बाद वह अपने घर आने में झिझके नहीं।
read moreSangeeta Verma
White चार दीवारी से नहीं बनता घर अपनों के प्यार के बिना अधूरा है हर घर बच्चों की किलकारी सी ही तो महकता है घर बुज़ुर्गो के आशीर्वाद से फलता है घर माँ का दुलार पिता की फटकार से मज़बूत बनता है घर भाई बहन से लड़ना झगड़ना रूठाना मानना से खिलता है घर थोड़े से आँसू थोड़ी सी हँसी से थोड़े से गम थोड़ी सी खुशी बस इस से ही तो खड़ा रहता है घर। ( चाँदनी ) sangeeta verma ©Sangeeta Verma #घर # कविता
#घर # कविता
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