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Bhaskara Bedi
_सुहाग रात_ एहसास हुआ उस रात को ,तुझमें कितनी नशा है, जो फासले नज़दीक थे,इन लबों के बीच में, धड़कनें बढ़ रही थी,रात की गहराई में, डूब रहा था मैं तेरे हुस्न-ओ-शबाब में , बरस रही थी स्वच्छ चाँदनी उन बेदाग बदन पर, थी शरारत तुझमें भी,जो दिख रही थी तेरी आँखों में, तू है एक शोख हसीना,है मन मेरा प्यासा, घूल रही थी तेरी खुशबू,उन खामोश फिज़ाओं में, बेशर्म थे वो हवा के झोखें,सरक गयी जो चुनरी तेरी, उलझे हुए थे तेरे इरादे ,तू लिपट गयी मेरी बाहों में, था वो वक़्त मुकर्रर,पर रात भी दिवानी थी, कई शिकायतें होतीं तुझसे,गर डूबता न तेरे रंग-ए-इश्क़ में, मिट रही थी ख्वाइशें मेरी,तेरे चुंबन की बरसात से, पा रहा था सुकूँ मैं,तेरे जिस्म के स्पर्श से, इस जुम्बिश को देख कर चाँद भी शर्मा गया , हो गये थे दो जिस्म एक ,जो सुहाग की उस रात में।। -भास्कर बेदी मेरा मन क्यों तुम्हें चाहे,मेरा मन
मेरा मन क्यों तुम्हें चाहे,मेरा मन
read moreवैभव जैन
🔷🔶मेरा मन🔷🔶 कीचड़ और कीचड़ से मुक्ति दोनों जल से होती है पाप बंध और पाप से मुक्ति दोनों मन से होती है मन से बंधन से मन मुक्ति मन में ही महावीर बसा मन ही रावण मन दुर्योधन मन में ही तो कंश बसा संयम धारण करले मन कुंदन करेगी तप की अगन निज में रमजा अब तो मन चिंतन मंथन कर ले मन राम जगेगा तुझ में मन ओ मेरे बैरागी मन ©वैभव जैन #मेरा मन
#मेरा मन
read moreseema patidar
White मेरा मन हमेशा अंतर्द्वंध से लड़ता रहता है कभी ख्वाबों के पुलिंदे सजाता है तो कभी मायूसी को गले लगाता है कभी भविष्य की संभावनाओं को निहारता है तो कभी अतीत के जख्मों को टटोलता है कभी समझदार बनकर जिम्मेदारियों से डरता है तो कभी सारे बंधन तोड़ आजाद होने को करता है कभी मान सम्मान के दायरे तय करता है तो कभी कल्पनाओं के साकार होने की दुआ करता है कभी स्वार्थ में खुद के लिए प्रेम ढूंढता है तो कभी निस्वार्थ बन अपने हिस्से का प्रेम भी ओरो के लिए उड़ेल देता है कभी जो हासिल हुआ उसी में सब्र कर लेता है तो कभी जो पाना रह गया उसकी शिकायते करता रहता है मेरा मन हमेशा अंतर्द्वध से लड़ता है क्या तुम्हारा भी मन कभी अंतर्द्वंध से लड़ता है। ©seema patidar मेरा मन
मेरा मन
read moreSumit Kumar
इतना खाली कभी कुछ नहीं हो सकता, जितना खाली होता है एक भरा हुआ मन.. ©Sumit Kumar मेरा मन"
मेरा मन"
read moreNeelam Bhola
गुम अंधेरे सा, सुनसान कोठरी में, बंद कैदी सा, नन्हा सा मेरा मन, उड़ने की चाह,ललक आकाश छूने की, क्षितिज तक उड़ के जाने को करता है मेरा मन, सुबह की पहली किरणों सा, चांदनी रात के जैसा, दीयो सा जगमगा जाऊं करता है मेरा मन, मन करता है जुगनू पकड़ लाओ , भागू तितलियों के पीछे,बह जाओ नदी के संग , चल दू किसी के संग आंख मीचे, मन बावरा है करता है अटखेली, सुनता नहीं मेरी कहता नहीं कुछ, चुपचाप रहता है, हो जैसे कोई पहेली!!! हृदय की भी सुनता नहीं मन, हूं भयभीत देख कर यह प्रलयकारी स्पंदन, एक भूचाल सा, रोके नहीं रुकता, कभी एक शांत तूफान सा है मेरा मन, काबू कर ना पाई कभी मन की छवि को, बड़ा विकराल सा है मेरा मन!!! -नीलम भोला मेरा मन
मेरा मन
read morePayal Sri "Atal"
जलती धरती मन मेरा सूखा पड़ा उपवन मेरा जल बिन अन्न नही उगता भूखा सोता बचपन मेरा माँ हूँ मुझको सब्र नही होता वस्त्र श्वेत अब लाल हो गया केश रक्त में भीगे मेरे गर माँ हूँ फिर क्यूँ आखिर बच्चे गोद में मरते मेरे आँख उठाकर देखूँ गर मै लाशों के अम्बार लगे हैं छोड़ो तुमसे कुछ ना होगा मुझे शस्त्र अब लाकर दे दो जिनको मैने जन्म दिया है उनकी रक्षा-भार मुझे ही सौंपों एक भी मेरा लाल गोद में मेरी दम ना तोड़ेगा एक भी बेटी मेरी अब माँग श्वेत ना रक्खेगी माना माँ की लाज रक्खे बेटे का तो फर्ज़ यही है लेकिन बेटे के संकट को माँ ही बस हर सकती है अपने बच्चों की खातिर लक्ष्मी से पल भर में काली बनती है पल भर में काली बनती है ... Payal Sri "Atal" #मन मेरा
#मन मेरा
read moreKavi Swaroop Dewal Kundal
आज ये उदास मन मेरा जार जार रोने को करता है किसी ज़ुदाई का खौफ मुसाफिर-ए-मौत होने को करता है सालिमियत अब होती नहीं मुझसे उसको किये हुए वादों की आसमान की बुलंदियो के आगे पहचान अपनी खोने को करता है मन मेरा
मन मेरा
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