Find the Latest Status about भिखारी का गाना from top creators only on Nojoto App. Also find trending photos & videos about, भिखारी का गाना.
Jitendra Kumar Som
भिखारी का आत्मसम्मान एक भिखारी किसी स्टेशन पर पेँसिलोँ से भरा कटोरा लेकर बैठा हुआ था। एक युवा व्यवसायी उधर से गुजरा और उसनेँ कटोरे मेँ 50 रूपये डाल दिया, लेकिन उसनेँ कोई पेँसिल नहीँ ली। उसके बाद वह ट्रेन मेँ बैठ गया। डिब्बे का दरवाजा बंद होने ही वाला था कि अधिकारी एकाएक ट्रेन से उतर कर भिखारी के पास लौटा और कुछ पेँसिल उठा कर बोला, “मैँ कुछ पेँसिल लूँगा। इन पेँसिलोँ की कीमत है, आखिरकार तुम एक व्यापारी हो और मैँ भी।” उसके बाद वह युवा तेजी से ट्रेन मेँ चढ़ गया। कुछ वर्षों बाद, वह व्यवसायी एक पार्टी मेँ गया। वह भिखारी भी वहाँ मौजूद था। भिखारी नेँ उस व्यवसायी को देखते ही पहचान लिया, वह उसके पास जाकर बोला-” आप शायद मुझे नहीँ पहचान रहे है, लेकिन मैँ आपको पहचानता हूँ।” उसके बाद उसनेँ उसके साथ घटी उस घटना का जिक्र किया। व्यवसायी नेँ कहा-” तुम्हारे याद दिलानेँ पर मुझे याद आ रहा है कि तुम भीख मांग रहे थे। लेकिन तुम यहाँ सूट और टाई मेँ क्या कर रहे हो?” भिखारी नेँ जवाब दिया, ” आपको शायद मालूम नहीँ है कि आपनेँ मेरे लिए उस दिन क्या किया। मुझे पर दया करने की बजाय मेरे साथ सम्मान के साथ पेश आये। आपनेँ कटोरे से पेँसिल उठाकर कहा, इनकी कीमत है, आखिरकार तुम भी एक व्यापारी हो और मैँ भी। आपके जानेँ के बाद मैँने बहूत सोचा, मैँ यहाँ क्या कर रहा हूँ? मैँ भीख क्योँ माँग रहा हूँ? मैनेँ अपनीँ जिँदगी को सँवारनेँ के लिये कुछ अच्छा काम करनेँ का फैसला लिया। मैनेँ अपना थैला उठाया और घूम-घूम कर पेंसिल बेचने लगा । फिर धीरे -धीरे मेरा व्यापार बढ़ता गया , मैं कॉपी – किताब एवं अन्य चीजें भी बेचने लगा और आज पूरे शहर में मैं इन चीजों का सबसे बड़ा थोक विक्रेता हूँ। मुझे मेरा सम्मान लौटानेँ के लिये मैँ आपका तहेदिल से धन्यवाद देता हूँ क्योँकि उस घटना नेँ आज मेरा जीवन ही बदल दिया ।” Friends, आप अपनेँ बारे मेँ क्या सोचते है? खुद के लिये आप क्या राय स्वयँ पर जाहिर करते हैँ? क्या आप अपनेँ आपको ठीक तरह से समझ पाते हैँ? इन सारी चीजोँ को ही हम indirect रूप से आत्मसम्मान कहते हैँ। दुसरे लोग हमारे बारे मेँ क्या सोचते हैँ ये बाते उतनी मायनेँ नहीँ रखती या कहेँ तो कुछ भी मायनेँ नहीँ रखती लेकिन आप अपनेँ बारे मेँ क्या राय जाहिर करते हैँ, क्या सोचते हैँ ये बात बहूत ही ज्यादा मायनेँ रखती है। लेकिन एक बात तय है कि हम अपनेँ बारे मेँ जो भी सोँचते हैँ, उसका एहसास जानेँ अनजानेँ मेँ दुसरोँ को भी करा ही देते हैँ और इसमेँ कोई भी शक नहीँ कि इसी कारण की वजह से दूसरे लोग भी हमारे साथ उसी ढंग से पेश आते हैँ। याद रखेँ कि आत्म-सम्मान की वजह से ही हमारे अंदर प्रेरणा पैदा होती है या कहेँ तो हम आत्मप्रेरित होते हैँ। इसलिए आवश्यक है कि हम अपनेँ बारे मेँ एक श्रेष्ठ राय बनाएं और आत्मसम्मान से पूर्ण जीवन जीएं। ©Jitendra Kumar Som # भिखारी का आत्मसम्मान
# भिखारी का आत्मसम्मान
read moresantosh soni
एक भिखारी भीख मांग रहा था तो एक ब्यक्ती ने पुछा ब्यक्ती = हिंदु हो या मुसलमा भिखारी = मैं तो भुंखा हूँ । भुंख की कोई जाति नही होती। #NojotoQuote भिखारी का जवाब
भिखारी का जवाब
read moreManojkumar Kumar
भिखारी का पूरा उधार भिखारी का पूरा उधार बाकी है
भिखारी का पूरा उधार भिखारी का पूरा उधार बाकी है
read moreAmbika Mallik
#दरवेश (भिखारी) जन्म जन्म की मेरी नैना प्यासी आर्त दरवेश दर्शन की अभिलाषी नित दिन तेरी चरण पखारूं अब तो झलक दिखा दे वो बनवारी अम्बिका मल्लिक ✍️ ©Ambika Mallik #भिखारी
Puspa
कमाल के है ये भिखारी जिन्होंने देहेज में माँगी है फ़्रिज़, लाखो रूपये और Bolero गाड़ी कमाल के है ये भिखारी अपनी अर्द्धांगिनी से करते हैं जबरदस्ती हर बार ही वाकई कमाल के है ये सरकारी कर्मचारी जो असल में है एक भिखारी!! ©"Puspa" #भिखारी
sandeep badwaik(ख़ब्तुल) 9764984139 instagram id: Sandeep.badwaik.3
सुबह से आँखॆं आसमान मॆं सीढ़ी लगा रहॆ है... और पुराने शौक़ सूरज को बीड़ी लगा रहॆ हैं..। तुम किसी भी आसरे मॆं खुद को महफूज़ न समझना... कि, तमाम रिश्तें आदमी को हथकड़ी लगा रहॆ हैं..। जब वक़्त था ही नही तब भी ये दुनिया मौजूद थी... चंद अक्लमंद कलाई पे इक घड़ी लगा रहॆ हैं..। आप भीड़ को देखकर सिर्फ़ सिर पटक सकते हो... जिसको सिर नहीं है उनको भी पगड़ी लगा रहॆ हैं..। रोज इनको लगता है एक दिन खुदा ख़रीद लेंगे... ये जो सब भिखारी,अपनी-अपनी दमड़ी लगा रहॆ हैं..। - ख़ब्तुल संदीप बडवाईक ©sandeep badwaik(ख़ब्तुल) 9764984139 instagram id: Sandeep.badwaik.3 भिखारी
भिखारी
read moresai mahapatra
बस इतना फर्क है मन्दिर के बाहर बैठ ने वाले भिखारी में और हम में वो मंदिर के बाहर अपने ज़िन्दगी में कुछ पल और जीने केलिए भीख मांग ता हैं और हम मंदिर के अंदर अपने ज़िन्दगी में कुछ और जादा पाने के लिए भीख मांग ते हैं... by Sai Prasad Mahapatra भिखारी
भिखारी
read more