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anup.ji.star

यह धरती यह माहौल हमसे कुछ कहता है

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इतनी सी जिंदगी की कहानी मेरी अपना बना कर किसी ने वक्त गुजारा किसी ने वक्त गुजारने के लिए अपना बनाया  मैं  प्रकृति हूं मेरी संरचना अद्भुत है मेरे कार्य अनूप है मेरी कला अनूप है मेरी सुंदरता भिन्न-भिन्न है मेरे रक्षक महान है मैं सबका हूं सब मेरे हैं मेरी रक्षा आपका धर्म है नमस्कार मैं प्रकृति हूं यह धरती यह माहौल हमसे कुछ कहता है

Neophyte

अंबर!

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इससे पहले की उसपर किसी और कि नज़र पड़े
ख़ुदा कोई करामात करे कि,मुझे ख़बर पड़े

उसके बेपरवाही से मुझे कोई उलझन तो नही
बस उसके सिर पर मेरे ही इश्क़ का अंबर पड़े

उसका वास्ता ही न हो किसी शख़्स से
उसे सिर्फ मैं मिलू या कोई बर्बर मिले

सब भूल जाए वो जब मैं साथ रहूं
उसे सब पता हो,गर रक़ीब रहबर मिले

वो साथ हो तो दुनिया रंगों से भरी हो
वो बिछड़े तो अगले ही कदम कब्र मिले

©क्षत्रियंकेश अंबर!

tripathi ji

अंबर

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अपनी इंडिया में सरकार हो या शादी,
सबको एक साल में खुश खबरी चाहिए..। 😛 अंबर

Shubham patel

ये आसमा, नीला ये अंबर धरती समंदर न जाने कहां मुझको ले जाए

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ये आसमा, नीला ये अंबर धरती समंदर न जाने कहां मुझको ले जाए, मैं जाने ना दूंगा ऐसे ही कश्ती को मंजिल की तरफ में बढ़ाता चलूं, आसमा को छूती यह लहरें बताती है समंदर भी आया है जिद पे न जाने ले जाए मुझको कहां, मैंने भी ठाना है कश्ती बढ़ाना है मंजिल की राहों पर इसे ले जाना है ||

©Shubham patel ये आसमा, नीला ये अंबर धरती समंदर न जाने कहां मुझको ले जाए

Brajesh Kumar Bebak

शहीदों की यह धरती है (गीत)

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Naresh chand

#है यह धरती महान ❣️❣️

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Deepak Kohli

यह धरती मजदूरों मेहनत कारों की

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Vandana

स्वर्ग से सुंदर यह धरती अंबर आकाश,,,, जर्रे जर्रे में है परमात्मा का एहसास,,, यह धरती फिर से हो जाए हरी-भरी काश,,, सब खुल कर ले फिर से सांस,

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भांति भांति के फूल है भांति भांति के अन्न,,,
कई तरह के पशु पक्षी कई तरह के वन,,,
परमात्मा ने सजाया धरती को कतरा कतरा,,,
जर्रा जर्रा खुशबू से बिखेरा,,,
कण-कण में भी नहीं हुई कुछ भूल,,,,
कहीं सागर की गहराई,, कहीं पर्वतों की ऊंचाई,,,
सुंदरता उकेर दी चहुँ ओर,,,,
मानव ने स्वार्थ की भेंट चढ़ा डाला,,,
इस धरा को,,,,
वन को काट भवन बना डाले,,,,
उपजाऊ भूमि को बंजर बना डाला,,,,
खेत खलियान में उद्योग लगा डालें,,, 
बेचारे पंछी भी भटकते बसेरे के लिए,,,, 
पशु भी अब भूख की तृप्ति के लिए,,,, 
शहरों की तरफ भागे,,,,,
ग्लेशियर अब पिघल रहे पहाड़ अब टूट रहे,
कहीं सुनामी कहीं बाढ़,,,
जन्नत जैसी पृथ्वी का कर दिया तूने क्या हाल,,,,
पापी मानव अब तो भुगत रहा,,,
जिन पैसों के लिए तूने हरी-भरी धरा को नुकसान पहुंचाया,,,
आज वह पैसा भी तेरे काम नहीं आया,,, स्वर्ग से सुंदर यह धरती अंबर आकाश,,,,
जर्रे जर्रे में है परमात्मा का एहसास,,,
यह धरती फिर से हो जाए हरी-भरी काश,,,
सब खुल कर ले फिर से सांस,

@Gudiya*****

अनामिका अंबर

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tripathi ji

अंबर त्रिपाठी

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ज़िन्दगी में कुछ गम जरुरी है
वर्ना खुदा को कौन याद करता

मिलता नसीब चाहने से तो
खुदा से फरियाद कौन करता

होता सुकून हर निगाह में तो
खुदा का दीदार कौन करता अंबर त्रिपाठी
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