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gudiya
White वह तोड़ती पत्थर; देखा उसे मैं इलाहाबाद के पथ पर - वह तोड़ती पत्थर कोई ना छायादार पेड़ वह जिसके तले बैठी हुई स्वीकार ; श्याम तन, भर बंधा यौवन, नत नयन ,प्रिय- कर्म -रत मन, गुरु हथोड़ा हाथ , करती बार-बार प्रहार ;- सामने तरु -मालिका अट्टालिका ,प्राकार । चढ़ रही थी धूप; गर्मियों के दिन दिवा का तमतमाता रूप; उठी झुंझलाते हुए लू रूई - ज्यों जलती हुई भू गर्द चिनगी छा गई, प्राय: हुई दुपहर :- वह तोड़ती पत्थर ! देखे देखा मुझे तो एक बार उस भवन की ओर देखा, छिन्नतार; देखकर कोई नहीं, देखा मुझे इस दृष्टि से जो मार खा गई रोई नहीं, सजा सहज सीतार , सुनी मैंने वह नहीं जो थी सुनी झंकार; एक क्षण के बाद वह काँपी सुघर, ढोलक माथे से गिरे सीकर, लीन होते कर्म में फिर जो कहा - मैं तोड़ती पत्थर 'मैं तोड़ती पत्थर।' - सूर्यकांत त्रिपाठी निराला ©gudiya #love_shayari #Nojoto #nojotophoto #nojotoquote #nojotohindi #nojotoenglish वह तोड़ती पत्थर; देखा उसे मैं इलाहाबाद के पथ पर - वह तोड़ती प
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read moreF M POETRY
White खुला बादल गगन के ये सितारे.. सभी में अक्स दिखते हैँ तुम्हारे.. यूसुफ़ आर खान.... ©F M POETRY #खुला बादल गगन के....
#खुला बादल गगन के....
read moreसंस्कृतलेखिकातरुणाशर्मा-तरु
स्वलिखित संस्कृत रचना हिन्दी अनुवाद सहित #सांझ #nojotohindi Poetry #कवितावाचिका #wellwisher_taru #Trending #संस्कृत
read moreVinod Mishra
बेजुबान शायर shivkumar
White शरद ऋतु का आगमन।। गदराई धानों की बाली, है पसरी चहुँमुख हरियाली। गया दशहरा, आया मेला, धूप गुनगुना, मोहक बेला। पड़ने लगे तुहिन कण। शरद ऋतु का आगमन।। गर्म कपड़े धुलने लगे हैं, बूढ़े अब ठिठुरने लगे हैं। क्षितिज़ पर छाने लगे कुहरें, परत सफेद गगन में बिखरे। रवि रथ पर दक्षिणायन । शरद ऋतु का आगमन।। उफनाईं नदियाँ सिमट रही, तने से लताएँ लिपट रही। धीवर चले ले जलधि में नाव, मन मोहक अब लगता गाँव। निखर उठे हैं तन - मन। शरद ऋतु का आगमन।। लहराते खेतों में किसान, मन ही मन गा रहा है गान। धरती सार सहज बतलाती, धूप छांव जीवन समझाती। नाच रहे मस्त मगन , शरद ऋतु का आगमन।। ©बेजुबान शायर shivkumar #मौसम Sethi Ji Bhanu Priya Kshitija Sana naaz puja udeshi हिंदी कविता कविताएं कविता कोश बारिश पर शरद ऋतु का आगमन।। गदराई धानों की बा
#मौसम Sethi Ji Bhanu Priya Kshitija Sana naaz puja udeshi हिंदी कविता कविताएं कविता कोश बारिश पर शरद ऋतु का आगमन।। गदराई धानों की बा
read morePawan Kumar Jain
मैं पवन जैन अपने एक गीत के साथ..गीत के बोल हैं........ "प्रिय कभी तो आकर देखो.. उस मोलसरी के पेड़ तले!"
read moreNeel
White साँझ उतरी है ज़मीं पर, सुबह की लाली लिए, खुशबुएँ फैलीं पहर में, पूजा की थाली लिए। कुछ रीती सी है ज़िन्दगी, कुछ गुनगुनाते स्वप्न हैं, चाँदनी बिखरी ज़मीं पर, रात मतवाली लिए। मशरूफ़ हैं वो फिर कहीं, झूठा बहाना ओढ़कर, जज़्बात फिर ढलने लगे हैं, ऑंखों में पानी लिए। दहलीज पर फुर्सत से हम, थककर खड़े थे रात भर, तुम सुबह बिखरे आ गए, फिर हाथ को खाली लिए। गुजरेगा फिर ये वक्त भी, आएँगी शामें गुनगुनी, गालों को मेरे चूमेगा, फिर हाथों में बाली लिए। ओढूँगी तेरी प्रीत को, आगोश में छुप जाऊँगी, फिर दिन सुहाने आएँगे, साथ खुशहाली लिए। और बनके मेरा तू मुकद्दर, साथ मेरे चल पड़ा, नज़रें झुकी हैं फिर हया से, गालों पर लाली लिए।। 🍁🍁🍁 ©Neel सांझ 🍁
सांझ 🍁
read moreकाव्य महारथी
काव्य महारथी संध्या श्रीवास्तव "सांझ", छतरपुर, मध्यप्रदेश हिंदी कविता कविता कविता कोश प्रेरणादायी कविता हिंदी हिंदी दिवस पर कविता
read moreDevesh Dixit
White स्वतंत्रता दिवस स्वतंत्रता पाने की खातिर कितनों के दिमाग लगे शातिर अंग्रेजों ने जब तक राज़ किया था देशवासियों का अपने अपमान किया था क्रांतिकारी भी जोश में थे नेता अपने होश में थे अंग्रेजों की सत्ता हिलाई थी दांतों तले उंगलियां दबवाई थी शासन अंग्रेजों का डोल गया था धीरज उनका बोल गया था क्रांतिकारियों से थर्राने लगे थे नेताओं से वो घबराने लगे थे बोरिया बिस्तरा अपना बांध लिया था एक एक अंग्रेज देश छोड़ कर भाग लिया था देश अपना तब आजाद हुआ हिंदुस्तानी अपना आबाद हुआ ध्वजारोहण तब से हुआ है 15 अगस्त विख्यात हुआ है यह राष्ट्र दिवस हमारा है हमको जां से प्यारा है ........................................................... देवेश दीक्षित ©Devesh Dixit #happy_independence_day स्वतंत्रता दिवस स्वतंत्रता पाने की खातिर कितनों के दिमाग लगे शातिर अंग्रेजों ने जब तक राज़ किया था
#happy_independence_day स्वतंत्रता दिवस स्वतंत्रता पाने की खातिर कितनों के दिमाग लगे शातिर अंग्रेजों ने जब तक राज़ किया था
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