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SohrabAlam
gaTTubaba
White कुछ टूटा पर आवाज न आयी पत्थर तोडकर चूप रहा और शीशा टूटकर ©gaTTubaba #Sad_Status कुछ टूटा पर आवाज न आयी पत्थर तोडकर चूप रहा और शीशा टूटकर
#Sad_Status कुछ टूटा पर आवाज न आयी पत्थर तोडकर चूप रहा और शीशा टूटकर
read moreF M POETRY
White क्या बचा है पास मेरे अब तुझे खोने के बाद.. सिर्फ तन्हाँ सिर्फ तन्हाँ हुँ तेरे होने के बाद.. नींद आयी ही नहीं सर दुख रहा था रात भर.. चंद लम्हों के लिए सोया हुँ पर रोने के बाद.. यूसुफ़ आर खान.... ©F M POETRY #नींद आयी ही नहीं सर दुख रहा था रात भर..
#नींद आयी ही नहीं सर दुख रहा था रात भर..
read moreAnjali Singhal
"मन में ये कैसी आस जगी, तुझसे मिलने की प्यास बढ़ी; निहारी जब तस्वीर तेरी, खिल-खिल मेरी साँस महकी। महकी इन साँसों से, बढ़ धड़कनें और तेज़ चल
read moreमुखौटा A HIDDEN FEELINGS * अंकूर *
White बेशक गलती सिर्फ तेरी नहीं, कुछ मेरी भी होगी खामोश रातों में आंखें तेरी भी भीगी होगी यकीन है हमें तू भी तड़पा होगा भीगी पलकों के साथ बीते लम्हों की तुझे भी याद आयी होगी बेशक गलती सिर्फ तेरी नहीं, कुछ मेरी भी होगी वो रातों की कुछ शरारतें जिस में अक्सर नींदें खो जाया करती थी बेशक तुझे भी याद होगा कि किस कदर तेरी मुहब्बत में अक्सर आंखें भीग जाया करती थी बुरा नहीं है तू बेशक गलती सिर्फ तेरी नहीं कुछ मेरी भी होगी ©मुखौटा A HIDDEN FEELINGS * अंकूर * #बेशक गलती सिर्फ तेरी नहीं, कुछ मेरी भी होगी खामोश रातों में आंखें तेरी भी भीगी होगी यकीन है हमें तू भी तड़पा होगा भीगी पलकों के साथ बीते लम
#बेशक गलती सिर्फ तेरी नहीं, कुछ मेरी भी होगी खामोश रातों में आंखें तेरी भी भीगी होगी यकीन है हमें तू भी तड़पा होगा भीगी पलकों के साथ बीते लम
read moreF M POETRY
White थी नहीं तू वहाँ मगर आयी.. ज़र्रे ज़र्रे में तू नज़र आयी... यूसुफ आर खान.... ©F M POETRY #ज़र्रे ज़र्रे में तू नज़र आयी....
#ज़र्रे ज़र्रे में तू नज़र आयी....
read moreबादल सिंह 'कलमगार'
आज फ़िर याद आयी.. #badalsinghkalamgar Poetry Love #Hindi poonam atrey suresh gulia Noor Hindustani Urvashi Kapoor M@nsi Bisht
read moreMAHENDRA SINGH PRAKHAR
मुक्तक :- करके सुख का त्याग , बना देखो वह सैनिक । थाम तिरंगा हाथ , नहीं वह होता पैनिक । इस जीवन में प्यार , नही होगा दोबारा । लेता है यह कौल , देश का सैनिक दैनिक ।। ये भी हैं इंसान , हृदय इनके भी होते । यह मत सोचों आप , चैन से सैनिक सोते । कुछ मत पूछो याद ,उन्हें जब घर की आती- किसी किनारे बैठ , सिसक कर वह भी रोते ।। लिए तिरंगा हाथ , बढ़े सैनिक जब आगे । बढ़े देश की शान , खौफ़ से दुश्मन भागे । ऐसे वीर जवान , देश में मेरे अपने- सुनकर दुश्मन आज, रात भर अपना जागे ।। मुझ सैनिक के पास , बहन की राखी आयी । देख उसे अब आज , याद वैशाखी आयी । बहनों का ही प्रेम , जगत में सबसे ऊपर - यही दिलाने याद , घरों की पाती आयी ।। अब भी है उम्मीद , बहन राखी का तेरी । आ जाये जब याद , भेज दे राखी मेरी । तेरा भैय्या आज , दूर सरहद पर बैठा- क्या है तू मजबूर , हुई जो इतनी देरी ।। जिनको दिया उधार , कहीं न नजर वो आते । जग में ऐसे लोग , तोड़ देते हैं नाते । मानो मेरी बात , दूर अब रहना इनसे- ये है काले नाग , समय पाकर डस जाते ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR मुक्तक :- करके सुख का त्याग , बना देखो वह सैनिक । थाम तिरंगा हाथ , नहीं वह होता पैनिक । इस जीवन में प्यार , नही होगा दोबारा । लेता है यह कौ
मुक्तक :- करके सुख का त्याग , बना देखो वह सैनिक । थाम तिरंगा हाथ , नहीं वह होता पैनिक । इस जीवन में प्यार , नही होगा दोबारा । लेता है यह कौ
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