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सीखे
मेवाड़ राजवंश पार्ट 10 #गूहिल #वंश के #प्रमुख #शासकों का उल्लेख #गुहादित्य Entrance examination
read moreMili Saha
// राणा अमर सिंह // जिनकी वीरता और साहस ने, अकबर तक को विचलित किया, उस वीर दयालु और राष्ट्र प्रेमी, राणा अमर सिंह की है यह कथा, बचपन से ही सुनते आ रहे थे जो, अपने पूर्वजों की गौरव गाथा, पौत्र महाराणा उदय सिंह के और महारानी अजबदे पंवार माता, शिशोदिया राजवंश मेवाड़ के शासक पिता वीर महाराणा प्रताप, पिता की भांति ही अमर सिंह में कूट-कूट कर था देशभक्ति भाव, न्याय भावना, नेतृत्व, वीरता, दयालुता और बहादुरी का सम्मान, मुगलों के समक्ष महाराणा अमर सिंह को मिला चक्र वीर उपनाम, महाराणा प्रताप सदैव समझते, अमर सिंह आलस से है ग्रसित, किन्तु उन्होंने साहस से, अपनी वीरता को कई बार किया सिद्ध, राष्ट्र से प्रेम था अमर सिंह को, पूर्वजों के इतिहास से था लगाव, शौर्य और प्रताप का संगम था वो, था उसमें देशभक्ति का भाव, संग्राम और प्रताप का वंशज फिरंगीयों के आगे कभी न झुका, अपनी रगों में बहते हुए लहू का, सदैव अमर सिंह ने मान रखा, मृत्यु से पूर्व महाराणा प्रताप ने उत्तराधिकारी था किया घोषित, मेवाड़ वंश परंपरा अनुसार, अमर सिंह हुए शासक स्वीकारित, न्याय प्रियता, कृपाशिलता गुण इनके, प्रजा करती थी आदर, राष्ट्र-हित के लिए अमर सिंह ने, निर्माण करवाया बढ़-चढ़कर, प्रतापेश्वर महादेव मंदिर, महाराणा प्रताप के नाम से बनवाया, सिसोदिया राजवंश का इतिहास, ग्रंथ अमरसार में लिखवाया, मुगलों से कभी न मानी थी हार, हर अनुबंध को पैरों तले रौंदा, राष्ट्रभक्ति दिल में लिए मर मिटा था वो अमर सिंह वीर योद्धा। ©Mili Saha राणा अमर सिंह जिनकी वीरता और साहस ने, अकबर तक को विचलित किया, उस वीर दयालु और राष्ट्र प्रेमी, राणा अमर सिंह की है यह कथा, बचपन से ही सुन
राणा अमर सिंह जिनकी वीरता और साहस ने, अकबर तक को विचलित किया, उस वीर दयालु और राष्ट्र प्रेमी, राणा अमर सिंह की है यह कथा, बचपन से ही सुन
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अब्बास द ग्रेट के नाम से इतिहास में आमतौर पर जाना जाता है शाह अब्बास सफ़विद राजवंश के महानतम शासकों में एक था वो कहता है ये बात ईरानी इतिहास। शाह मोहम्मद खोदबंदा का था वो तीसरा पुत्र और माता थी उसकी खैर अल-निसा बेगम मिला था ये अब्बास नाम उसे अपने दादा से नाम था जिनका तहमासप प्रथम। मात्र अठारह महीने की उम्र में ही अब्बास अपने परिवार से हो गया अलग पन्द्रह वर्षों के पश्चात मिलना हुआ फिर पिता से किंतु माता को कभी न देखा हुआ जो विलग। क़िजिलबाश जो अभिभावक बने अब्बास के उन्हीं से सीखे सैनिक के आवश्यक कौशल शिकार करना पोलो खेलना एक जुनून की तरह कठिन होते थे बड़े प्रशिक्षण के वो पल। किया जाता था अब्बास को प्रशिक्षित अक्सर वहांँ पर घरेलू गुलामों के साथ ही उनके साथ अधिक समय बिताने के कारण बन गए थे वहीं बचपन के कई साथी खास। सफ़वी साम्राज्य के लिए अब्बास बड़े कठिन समय में सिंहासन पर आया अपने राज्य की राजधानी एक महान निर्माता बन वो कज़्वीन से लेकर इस्फ़हान तक ले गया। अपने शासनकाल की उपलब्धियों के लिए प्रशंसित एक मजबूत और निर्णायक शासक था अब्बास किंतु एक अत्याचारी के तौर पर भी है उसकी पहचान बेटे और कई रिश्तेदारों का हत्यारा बना था अब्बास। आश्चर्यजनक सांस्कृतिक विरासत का अधिकांश अंश आधुनिक ईरान में मौजूद दिखाई देता जो आज भी अपने युग के सबसे महान शासकों में से एक यह सांस्कृतिक विरासत थी अब्बास द ग्रेट की। ©Mili Saha अब्बास द ग्रेट के नाम से इतिहास में आमतौर पर जाना जाता है शाह अब्बास सफ़विद राजवंश के महानतम शासकों में
अब्बास द ग्रेट के नाम से इतिहास में आमतौर पर जाना जाता है शाह अब्बास सफ़विद राजवंश के महानतम शासकों में
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