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Saani
अब जो रूठोगे तुम हार जाओगे। हम मनाने का हुनर भूल बैठे है।। (saani) हम मनाने का हुनर भूल बैठे हैं।
हम मनाने का हुनर भूल बैठे हैं।
read moreKaran Yaduvanshi
मनाने का हुनर भूल बैठे हैं 😔 #NojotoPhoto
मनाने का हुनर भूल बैठे हैं 😔 Photo
read moreRishu singh
तुझे इतना सोचते हैं 🤔🤔 कि🥰 खुद को ही भूल बैठे हैं 😇😇 ©Rishu singh #BehtaLamha तुझे इतना सोचते हैं 🤔🤔 कि🥰 खुद को ही भूल बैठे हैं 😇😇
#BehtaLamha तुझे इतना सोचते हैं 🤔🤔 कि🥰 खुद को ही भूल बैठे हैं 😇😇
read moreबादल सिंह 'कलमगार'
हमारे गॉव के रास्ते कदमों की आहट भूल बैठे हैं.. #badalsinghkalamgar Poetry Love #SAD amit Kaushal https://youtu.be/9r2nccQ5RAI ब
read moreSarfaraj idrishi
जनाज़ा रहबरी करता है पीछे चलने वालों की, उन्हें रास्ता दिखाता है जो रास्ता भूल बैठे हैं..!! ©Sarfaraj idrishi #friends जनाज़ा रहबरी करता है पीछे चलने वालों की, उन्हें रास्ता दिखाता है जो रास्ता भूल बैठे हैं..!!मañjü pãwãr Roshni queen Faraz Khan Ze
#friends जनाज़ा रहबरी करता है पीछे चलने वालों की, उन्हें रास्ता दिखाता है जो रास्ता भूल बैठे हैं..!!मañjü pãwãr Roshni queen Faraz Khan Ze
read moreChandrawati Murlidhar Gaur Sharma
ये यह जगत पिता जिन्होंने हमें संभाल रखा है और हम उनके बच्चे उनको भूल बैठे हैं पर वह हमें याद करते हैं वह पल भर के लिए भी हमें भूलते नहीं और
read moreAkib Javed
दिल में हमको कभी भी बसाते नही दिल वो हमसे कभी भी लगाते नही। घर वो अपने कभी भी बुलाते नही देख हमको कभी मुस्कुराते नही। होश मेरा हमेशा उड़ाते रहे सामने देख नज़रे झुकाते नही। ज़ख्म पाये बहुत ज़िन्दगी से हमी दर्द अपना किसी से बताते नही। भूल बैठे हैं वादा किया था कभी वो भी वादा किसी से निभाते नही। आशियाँ सब बनाये हैं कागज़ पे ही कागज़ों के मकाँ को जलाते नही। बेवफ़ा को कभी भूल पाये न हम दिल में चाहत कभी भी जगाते नही। -आकिब जावेद दिल में हमको कभी भी बसाते नही दिल वो हमसे कभी भी लगाते नही। घर वो अपने कभी भी बुलाते नही देख हमको कभी मुस्कुराते नही। होश मेरा
दिल में हमको कभी भी बसाते नही दिल वो हमसे कभी भी लगाते नही। घर वो अपने कभी भी बुलाते नही देख हमको कभी मुस्कुराते नही। होश मेरा
read moreSHAYARI BOOKS
तेरी बुराइयों को हर अख़बार कहता है, और तू मेरे गांव को गँवार कहता है! ऐ शहर मुझे तेरी औक़ात पता है, तू बच्ची को भी हुस्न ए बहार कहता है! थक गया है हर शख़्स काम करते करते, तू इसे अमीरी का बाज़ार कहता है! गांव चलो वक्त ही वक्त है सबके पास, तेरी सारी फ़ुर्सत तेरा इतवार कहता है! मौन होकर फोन पर रिश्ते निभाए जा रहे हैं, तू इस मशीनी दौर को परिवार कहता है! वो मिलने आते थे कलेजा साथ लाते थे, तू दस्तूर निभाने को रिश्तेदार कहता है! बड़े-बड़े मसले हल करती थी पंचायतें, अंधी भ्रस्ट दलीलों को दरबार कहता है! अब बच्चे भी बड़ों का अदब भूल बैठे हैं, तू इस नये दौर को संस्कार कहता है! तेरी बुराइयों को हर अख़बार कहता है, और तू मेरे गांव को गँवार कहता है! ऐ शहर मुझे तेरी औक़ात पता है, तू बच्ची को भी हुस्न ए बहार कहता है! थक
तेरी बुराइयों को हर अख़बार कहता है, और तू मेरे गांव को गँवार कहता है! ऐ शहर मुझे तेरी औक़ात पता है, तू बच्ची को भी हुस्न ए बहार कहता है! थक
read moreमहेन्द्र सिंह (माही)
bhagwan quotes तेरी बुराइयों को हर अख़बार कहता है, और तू मेरे गांव को गँवार कहता है। ऐ शहर मुझे तेरी औक़ात पता है, तू बच्ची को भी हुस्न ए बहार कहता है। थक गया है हर शख़्स काम करते करते, तू इसे अमीरी का बाज़ार कहता है। गांव चलो वक्त ही वक्त है सबके पास, तेरी सारी फ़ुर्सत तेरा इतवार कहता है। मौन होकर फोन पर रिश्ते निभाए जा रहे हैं, तू इस मशीनी दौर को परिवार कहता है। वो मिलने आते थे कलेजा साथ लाते थे, तू दस्तूर निभाने को रिश्तेदार कहता है। बड़े-बड़े मसले हल करती थी पंचायतें, अंधी भ्रस्ट दलीलों को दरबार कहता है। अब बच्चे भी बड़ों का अदब भूल बैठे हैं, तू इस नये दौर को संस्कार कहता है। महेन्द्र #NojotoQuote तेरी बुराइयों को हर अख़बार कहता है, और तू मेरे गांव को गँवार कहता है। ऐ शहर मुझे तेरी औक़ात पता है, तू बच्ची को भी हुस्न ए बहार कहता है। थक गय
तेरी बुराइयों को हर अख़बार कहता है, और तू मेरे गांव को गँवार कहता है। ऐ शहर मुझे तेरी औक़ात पता है, तू बच्ची को भी हुस्न ए बहार कहता है। थक गय
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