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Stories related to प्रदेशों की राजधानियां

Ek villain

#दिल्ली ने दिखाई पहाड़ी प्रदेशों को उम्मीद #friends

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वैसे तो केंद्रीय बजट की घोषणा के लाभार्थी सभी राज्य होते हैं लेकिन इस बजट में उत्तराखंड जैसे सीमा हिमालय में छोटे राज्य को मुस्कुराने की कोई ठोस आधार भी दिए गए इस बार बजट में कुछ ना कुछ ऐसा जरूर की है कि जिससे कृपया वाहन के लिए उत्तराखंड में उपयोग भूमि के राज्य सरकार ईमानदारी से विशेष जीजा जी सब इसके काम करें जंगलों में परिवर्तन हो रहा है पहाड़ों की सीडी नुमा खेती फिर से हलाहल सकते हैं वित्त मंत्री सीता मरण के बजट में मोटा अनाज जैविक खेती फल और सब्जी जैसे शब्दों का उल्लेख पहाड़ के किसानों के लिए सौगात में तब्दील होता दिखाई दे रहा है इसके अलावा पर्वतमाला योजना छोटे शहरों के विकास से उड़ जा रे बना दिए संबंध घोषणाओं में अधिकारी अपने उत्तराखंड में दाढ़ी बना सकते हैं चुनाव में मोदी सरकार के बजट को राजनीतिक रुप से संभावना नहीं है प्रदेश भाजपा में ध्यान में होने वाले बजट चुनावी परिवेश में होने वाले बजट घोषणा की राजनीति व्याख्या को एक तरफ रखने व केवल प्रदेश के हितों को ही देखे तो इस बजट में काफी कुछ है सबसे पहले कृषि को देखें तो इसमें समूचे राज्य की किसानों के लिए इसे परिवहन है जिनका लाभ लिया जा सकता है

©Ek villain #दिल्ली ने दिखाई पहाड़ी प्रदेशों को उम्मीद

#friends

Sarbjit sangrurvi

प्रदेशों में मारे मारे फिरते हैं संगरूरवी @©®✍️ सरबजीत संगरूरवी की रचना और आवाज़

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Rakesh frnds4ever

#उलझन इस बात की है कि,,, हमें ...... उलझन किस बात की है अपनों से दूरी की या फिर किसी #मज़बूरी की खुद की नाकामी की या किसी परेशानी की दुनि

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उलझन इस बात की है कि   हमें .......उलझन किस बात की है
अपनों से दूरी की 
या फिर किसी मज़बूरी की
खुद की नाकामी की 
या किसी परेशानी की
दुनिया के झमेले की या  मन के अकेले की
पैसों की तंगी की 
या जीवन कि बेढंगी की
रिश्तों में कटाक्ष की 
या फिर किसी बकवास की
दुनिया की वीरानी की या फिर किसी तनहाई की
अपनी व्यर्थता की 
या ज़िन्दगी की विवशता की
खुद के भोलेपन की 
या फिर लोगो की चालाकी की
अपनी खुद की खुशी की 
या दूसरों की चिंता की
खुद की संतुष्टि की
 या फिर दूसरों से ईर्ष्या की
खुद की भलाई की
 या फिर दूसरों की बुराई की
धरती के संरक्षण की या फिर इसके विनाश की
मनुष्य की कष्टता की
 या धरती मां की नष्टता की
मानव की मानवता की 
या फिर इसकी हैवानियत की
बच्चो के अपहरण की या बच्चियों के अंग हरण की
प्यार की या नफरत की ,,जीने की या मरने कि,,,
विश्वाश की या धोखे की,, प्रयास की या मौके की
बदले की या परोपकार की,,, अहसान की या उपकार की
,,,,,,ओर ना जाने किन किन सुलझनों या उलझनों
 या उनके समस्याओं या समाधानों 
या उनके बीच की स्थिति या अहसासों की हमें उलझन है,,,
की हम किस बात की उलझन है..==...........

rkysky frnds4ever #उलझन इस बात की है कि,,,
हमें ......
उलझन किस बात की है
अपनों से दूरी की 
या फिर किसी #मज़बूरी की
खुद की नाकामी की 
या किसी परेशानी की
#दुनि

आलोक कुमार

आज की पीढ़ी की सच्चरित्र की हक़ीक़त

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बस यूँ ही चलते-चलते .........
जरा सोचिए कि आजकल हमलोग खुद को बेहतर बनाने के लिए कौन-कौन से गलत/अभद्र नुस्खें अपनाते जा रहे हैं. ना ही उस नुस्खें के चरित्र, प्रकरण एवं उसके कारण दूसरे मनुष्य, आसपास, समाज, देश व आगामी पीढ़ी पर असर का ख्याल रख रहें हैं, न ही ख़यालों को किसी को समझने का मौक़ा दे रहे हैं. बस अपने ही धुन में उल्टी सीढ़ी के माध्यम से अपने आप को आगे समझते हुए सचमुच में बारम्बार नीचे ही चलते जा रहे है. तो जरा एक बार फिर सोचिए कि उल्टी सीढ़ी उतरने और सीधी सीढ़ी चढ़ने में क्रमशः कितनी ऊर्जा, शक्ति और समय लगती होगी. यह भी पता चलता है कि आज की पीढ़ी की ऊर्जा और शक्ति का किस दिशा में उपयोग हो रहा है और शायद यही कारण है कि आज का "गंगु तेली" तो "राजा भोज" बन गया और "राजा भोज", "गंगु तेली" बन कर सब गुणों से सक्षम रहने के बावज़ूद नारकीय जीवन जीने को मजबूर है. यही हकीकत है हम अधिकतर भारतवासियों का...... आगे का पता नहीं क्या होगा. शायद भगवान को एक नए रूप में अवतरित होना होगा. आज की पीढ़ी की सच्चरित्र की हक़ीक़त

Raj

# इंसान की सफलता की#

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KUMARI USHA AMBEDKAR

मत की की मत

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Anuj Ray

# खुशबू की चरित्र की"

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KK Mishra

हंसी की सीफारिश की

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 हंसी की सीफारिश की

Nitish Aarya

सायरी की की दायरी

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संगीत कुमार

#HappyRoseDay धरती है इतिहासों की धर्म ,ज्ञान के भंडारों की विद्वानों की महानायक की वीरों और बलवानों की भाषा की संस्कृति की अधिकारियों की क

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धरती है इतिहासों की
धर्म ,ज्ञान के भंडारों  की
विद्वानों की महानायक की
वीरों और बलवानों की
भाषा की संस्कृति की
अधिकारियों की कर्मवीरों की
बिहार है पहचानों की
ऋषियो की भगवानों की
धर्म और विचारों की
धरती है बलिदानो की
बिहार तो है सबके सम्मान की

©संगीत कुमार #HappyRoseDay धरती है इतिहासों की
धर्म ,ज्ञान के भंडारों  की
विद्वानों की महानायक की
वीरों और बलवानों की
भाषा की संस्कृति की
अधिकारियों की क
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