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Kavi Himanshu Pandey
धरा, जल, पवन सब साथ हैं, अब हलचल होनी चाहिये, समा बँधने को तैयार है, अब महफ़िल सजनी चाहिये! ........ Er. Himanshu Pandey ©Kavi Himanshu Pandey धरा, महफ़िल #beingoriginal #NojotoHindi
धरा, महफ़िल #beingoriginal Hindi
read moreIG @kavi_neetesh
White *मनहरण घनाक्षरी* ==================== प्रातकाल जागकर रवि को नमन कर, *हृदय आनंद भर सब मुसकाइए* | व्यस्त हैं मनुज सभी सजाने में घर अभी , *उत्सव सुखद रहें देव धरा आइए* | धन धान्य पूर्ण सदा वसुधा हमारी रहे , *ऐसे उपहार कर प्रभु आप लाइए* | भास्कर भुवन रवि दिव्य अरु तेज छवि , *नीतेश नमन करें तिमिर मिटाइए* ||१ 🪷🪷 *रूप चतुर्दशी की सभी को हार्दिक बधाई*🪷🪷 नरक निवारती ये पाप की विमोचनी ये, *कार्तिक चतुर्दशी जप दान कीजिए*| जप व्रत करें नर रमा पति देते वर, *आनंद जगत पर मोक्ष वर लीजिए*| जग का तिमिर हरे दीपक प्रकाश भरे, *दारिद्र मिटाने मात रमा वर दीजिए*| दुष्टता से मुक्ति मिले उर भाव शुभ पलें, *व्रत ले नीतेश आज भक्ति रस पीजिए*||२ ©IG @kavi_neetesh *मनहरण घनाक्षरी* ==================== प्रातकाल जागकर रवि को नमन कर, *हृदय आनंद भर सब मुसकाइए* | व्यस्त हैं मनुज सभी
*मनहरण घनाक्षरी* ==================== प्रातकाल जागकर रवि को नमन कर, *हृदय आनंद भर सब मुसकाइए* | व्यस्त हैं मनुज सभी
read moreबेजुबान शायर shivkumar
माँ दुर्गा का अष्टम स्वरूप माँ महागौरी सबके बिगड़े काज बनाती, अष्टमी के दिन पूजी जाती। दुर्गा का अष्टम स्वरूप, माँ महागौरी उनका रूप। चार भुजादारी माँ महागौरी, हाथ विराजे त्रिशूल, डमरु। उज्ज्वल, कोमल, श्वेत वर्ण, श्वेत वस्त्र, श्वेत आभूषण। वाहन गौरी का श्वेत बैल, हे श्वेतांबर धरा तुमको नमन। शांत मुद्रावली माँ महागौरी, महादेव सँग विराजे महामाई। करुणामयी, स्नेहमयी माता, ममता की मूरत है माता। हर लेती समस्त पापों को, मन से पूजन करे भक्त जो। श्वेत पुष्प अर्पित करें माँ को, नारियल पकवान भोग लगाएं माँ को। कन्या पूजन भक्त हैं करते, जयकारे मैया के सब लगाते। माँ महागौरी आशीष हमे दो, पुकार भक्तों की आप सुन लो। ©बेजुबान शायर shivkumar #navratri #navratri2024 #navratri2025 #navratri2026 #navratri2027 #नवरात्रि भक्ति गीत भक्ति ऑडियो गाना भक्ति सागर हिंदी भक्ति गाना भक्ति स
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read moreHeer
प्रेम को समझना हर किसी के बस की बात नहीं..... सच्चा प्रेम किसे कहते है ये सिखाने ही तो राधा कृष्ण मनुष्य रूप में धरा पर अवतरित हुए थे। हम म
read moreMAHENDRA SINGH PRAKHAR
गीत :- धरती माँ के सीने पर अब , नहीं लगाओ फिर से घाव । नही लौट वो फिर आयेंगे , करने धरती पर बदलाव ।। धरती माँ के सीने पर अब... यहीं तो जन्में वीर अनेक, आल्हा उदल और मलखान । भूल गये हो तुम सब शायद, वीर शिवा जी औ चौहान ।। धर्म और धरती माँ पर जो, दिए प्राण का है बलिदान । देख रहा मैं क्रूर काल को , जिसका होता बुरा प्रभाव ।। धरती माँ के सीने पर अब.... वही डगर फिर से चुन लो सब , जो दिखलाये थे रसखान । जिसको जी कर मीरा जी ने , पाया जग में था सम्मान ।। इसी धरा पर राम नाम का , हनुमत करते थे गुणगान । नहीं हुई है अब भी देरी , जला हृदय में प्रेम अलाव ।। धरती माँ के सीने पर अब.... निर्मल पावन गंगा कहती , यह है परशुराम का धाम । रूष्ट नहीं कर देना उनको , झुककर कर लो उन्हें प्रणाम ।। अधिक बिलंब उचित क्यों करना , बढ़कर लो अब तुम संज्ञान । ईर्ष्या द्वेष मिटाओ जग से , पनपे हृदय प्रेम के भाव ।। धरती माँ के सीने पर अब..... नीर नदी का सूख रहा है , आज जमा ले अपना पाँव । गली-गली कन्या है पीडित, भूखे ग्वाले घूमें गाँव ।। झुलस रहें हैं राही पथ के , बता मिले कब शीतल छाँव । धीरे-धीरे प्रकृति सौन्दर्य , में दिखता क्यों हमें अभाव ।। धरती माँ के सीने पर अब.... धरती माँ के सीने पर अब , नहीं लगाओ फिर से घाव । नही लौट वो फिर आयेंगे , करने धरती पर बदलाव ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR गीत :- धरती माँ के सीने पर अब , नहीं लगाओ फिर से घाव । नही लौट वो फिर आयेंगे , करने धरती पर बदलाव ।। धरती माँ के सीने पर अब... यहीं तो जन्
गीत :- धरती माँ के सीने पर अब , नहीं लगाओ फिर से घाव । नही लौट वो फिर आयेंगे , करने धरती पर बदलाव ।। धरती माँ के सीने पर अब... यहीं तो जन्
read moreसंस्कृतलेखिकातरुणाशर्मा-तरु
सर्वेभ्यः स्वातन्त्र्यदिवसस्य शुभकामना🇮🇳🙏 आप सभी को स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं स्वरचित संस्कृत रचना शीर्षक अस्माकं प्रियं भार
read moreMAHENDRA SINGH PRAKHAR
गीत :- जन्मदिवस की आप , बधाई मेरी ले लो । रोग न आये द्वार , दवाई मेरी ले लो ।। जन्मदिवस की आप बधाई... किया दुआ हर बार , शरण प्रभु की मैं जाकर । गया खुशी से फूल , आज उपहार वह पाकर ।। लाया हूँ सौगात , वहीं मैं तुमको देने । जीवन हो खुशहाल , कमाई मेरी ले लो । जन्मदिवस की आप, बधाई .... तुमको करूँ प्रसन्न , गीत वह लिखकर लाया । पास न मेरे और , कहीं कोई धन माया ।। देना था उपहार , जन्मदिन तेरा आया । रूठो मत अब आप , मिठाई मेरी ले लो ।। जन्मदिवस की आप , बधाई..... जीवन है संग्राम , नही डर कर तुम भागो । छोड़ो विस्तर आज , नींद से अब तो जागो ।। रहें कलम में धार , मातु से यह वर माँगूं सुन लो मेरी बात , खुदाई मेरी ले लो । जन्मदिवस की आप , बधाई ... लड्डू मोती चूर , मिठाई सारे लाये । तेरे लिए बहार , गुलाबी हम ले आये ।। मैं तो रहा अनाथ , धरा के देखे मेले । भू पे आयी नींद , चटाई मेरी ले लो .... जन्मदिवस की आप , बधाई...... राधे-रानी मातु , वचन देकर यह बोली । जा खुशियों में झूम , भरी मैं तेरी झोली ।। हो जीवन आनंद , तुम्हारा वर मैं पाया । झूठ न बोलूँ आज , गवाही मेरी ले लो ।। जन्मदिवस की आप, बधाई..... जन्मदिवस की आप , बधाई मेरी ले लो । रोग न आये द्वार , दवाई मेरी ले लो ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR गीत :- जन्मदिवस की आप , बधाई मेरी ले लो । रोग न आये द्वार , दवाई मेरी ले लो ।। जन्मदिवस की आप बधाई... किया दुआ हर बार , शरण प्रभु की मैं जा
गीत :- जन्मदिवस की आप , बधाई मेरी ले लो । रोग न आये द्वार , दवाई मेरी ले लो ।। जन्मदिवस की आप बधाई... किया दुआ हर बार , शरण प्रभु की मैं जा
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