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Pratibha Kamble
आज दिन है नारळी पौर्णिमा कोली बांधंवो का त्योहार बडा महत्व का कोली रहिवासी सागरतीर के नाव,जहाज है खडे बंदरपे कुछ दिन से आए नांगपंचमी,आए है नारली पौर्णिमा खौलता है तूफान संमुदर मे भरती के दिन मछली का प्रजनन काल यही बरसात बंद सारे जहाजो के व्यवहार कुछ दिन से कोली बांधवो का दिन खास सजाए कोलीवाडा सजाए,करे रंगरंगोटी जहाजो की बनाए मिष्टान्न नारली भात,नारीयल वडी,कलौंजी है नारीयल की सज-धज के कोली बांधव ,स्त्रिया पारंपारिक वस्त्र-सुवर्ण अंलकार भूषित निकले है छोटे-बडे,नाचते गाते ढोल ताशे पे बाजे पारंपारिक कोली गीत पहुचते सागरतीर करके कुंकूम-तिलक,पूजा आरती सागर की,जहाजो की दिखाए नैवेद्य मिष्टान्न अर्पण करे सागर को सुवर्ण श्रीफल सूर्यास्त को रखके साक्ष खौलता हुआ संमुदर ,भरती के दिन,वरुन देवता का स्थान सागर प्रसन्न करे सागर को मांगे वचन खौलते संमुद के रुद्र रुप से शांती के ,जीवन के,नाव को लगनै दो सागर धन,धंदे को आने दो बरकत जहाजो का व्यवहार हो जाए शुरू लोटते जब कोली बांधव कोलीवाडा, त्योहार का दिन है खास मनाए नारीयल फोडी ©Pratibha Kamble नारली पौर्णिमा #India2021
नारली पौर्णिमा #India2021
read moreSwarnima🌸
मीठा भात आधा हो फसाना तो दिल मसोसता है दौड़ता है बेहिसाब जैसे कोई बेसुरा राग बंद गली के बदबूदार माहौल से निकल रहा हो और गवैया जान के अंजान है कोई व्यथा जान ले वही शेर है बाकी घूरे मे पड़े ढेर से रत्ती भर ज्यादा नही तुम तुम्ही हो और मै मैं हूँ बस इतना ही सच है बाकी बचा फरेब तो अब मैं, जो इधर उधर बिखरा है चमचमाती परात मे समेट के धीरे धीरे आराम से बिनूंगा आज और रोज कभी कभी कंकड़ किटकेंगे पर समेटना नही छोड़ना,आदत नही बदलना उस रोज के उत्साह में जब बिना कंकड़ का भात गले में उतरेगा खुशबूदार, छिटका हुआ मीठा भात! मीठा भात
मीठा भात
read moreAmit Cool
लोग प्यार में धोखा खाते हैं, और एक मैं है। जो भात के साथ चोखा खाता हूं। अब बताओ बेहतर क्या हैं ??? #sunrays चोखा भात।
#sunrays चोखा भात।
read moreCopyright rprakash
रंगीत भात कांता, आज तीन वर्षाच्या पोरीला घेउनच कामावर आलेली... बाईसाहेब दसऱ्याचं धुनं काढनार त्यात उगा परत घरी यायला उशीर व्हायचा ...नवरा.. पोटात दारु गेली की सुद राहत नाही तिथं चिमुकल्या पोरीकडं कुठणं ध्यान देणार.. या काळजी पायी ती आधी मधी शेजारच्या आज्जीकडं पोरीला ठेवायची.. पण रोज रोज कुठं जमायचं.. म्हणून पोरीला सोबत आणलेलं .. धुनी-भांडी..कपडालत्ता....पडदे.. ब्ल्ँकेट असं काही बाही करत दसरा काढणं चालूच होतं.. हाॕलमध्ये बाईसाहेबाच्या छोटया पोराबरोबर चिमुकली पोर खेळत होती... पोराच्या हातात 'चकली' पाहुन पोरीला भुक लागली... कांतानं पिशवीतला छोटा डब्बा उघडुन तीच्या पुढ्यात ठेवला... डब्यातला 'रंगीत भात' पाहुन पोराचे डोळे दिपले... पोरगं रडतच आईला जाऊन बिलगलं.. त्यालाही तसा रंगीत भात हवा होता... बाईसाहेबांनी आश्चर्याने कांताकडे पहात विचारलं "कसला गं रंगीत भात..?" कांतानं शरमेनं खाली मान घातली... त्या नंतर कांता त्या घरी कधीच कामाला गेली नाही.. पुढे बऱ्याच दिवसांनी बाईसाहेबाला, कांता एका लग्नात अक्षता म्हणून फेकलेले 'रंगीत तांदुळ' ओटीत जमा करताना दिसली होती. ©लेखक :- आर.प्रकाश. लघुकथा-दिर्घव्यथा... रंगीत भात #LookingDeep
लघुकथा-दिर्घव्यथा... रंगीत भात #LookingDeep
read moreVishal
लाखों की थाली के सामने खड़ा, मैं भात-भात चिल्लाये जा रहा हूँ, मैं हिंदुस्तान हूँ, मैं फिर भी मुस्कराए जा रहा हूँ...। योग के प्रचार पर अरबों ख़र्च कर मैं बिन ऑक्सीजन के तड़पाया जा रहा हूँ, मैं हिंदुस्तान हूँ, मैं फिर भी मुस्कराए जा रहा हूँ...। #थाली #भात #योग #प्रचार #ऑक्सीजन #yqbaba