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Vivem
ज़ुल्फ हैं बिखरे, रुख़्सार को चूमते उनके यूं; अब्र की आमद हुई हो, जैसे वादी में कहीं ©Vivem #thought #Love #romance #zulf #Rukhsaar #Abr #ज़ुल्फ #रुख़्सार #अब्र
رخسار سییدا
हाजत नहीं बनाओ की ऐ नाज़नीं तुझे ज़ेवर है सादगी तिरे रुख़्सार के लिए ©ʀᴜᴋʜsᴀʀ ɴᴀᴀᴢ हाजत नहीं बनाओ की ऐ नाज़नीं तुझे ज़ेवर है सादगी तिरे रुख़्सार के लिए
हाजत नहीं बनाओ की ऐ नाज़नीं तुझे ज़ेवर है सादगी तिरे रुख़्सार के लिए
read morePadmdhr Parasnath Dwivedi
छेड़ती हैं कभी लब को कभी रुख़्सारों को तुम ने ज़ुल्फ़ों को बहुत सर पे चढ़ा रक्खा है छेड़ती हैं कभी लब को कभी रुख़्सारों को तुम ने ज़ुल्फ़ों को बहुत सर पे चढ़ा रक्खा है
छेड़ती हैं कभी लब को कभी रुख़्सारों को तुम ने ज़ुल्फ़ों को बहुत सर पे चढ़ा रक्खा है
read moreVATSA
थे कब्र में, मेहबूब बनाया आपने यूं रुख़्सार से पर्दा, हटाया आपने कुछ मौत की आगोश में, पहले से थे मरे कुछ का वजूद तक, मिटाया आपने यूं रुख़्सार से पर्दा, हटाया आपने थी अमीरों के पास, लुटाने को महफिलें क्यूं गरीबों का ही घर, जलाया आपने यूं रुख़्सार से पर्दा, हटाया आपने मै भी वहीं कोने में बस, ताखता रहा जब तक मुझे ना पास, बुलाया आपने यूं रुख़्सार से पर्दा, हटाया आपने थी खुस्बुएं मीठी सी, लबों पे नमी थी फिर बालों का काला पर्दा, गिराया आपने यूं रुख़्सार से पर्दा, हटाया आपने ना आपने कुछ कहा, ना मैंने कुछ सुना फिरभी लगा कुछ, बुदबुदाया आपने यूं रुख़्सार से पर्दा, हटाया आपने मासूमियत दिल में मेरे, अबभी बची रही माना कि कुछ रहम, फ़रमाया आपने यूं रुख़्सार से पर्दा हटाया आपने मै आपको जानता था सर से पांव तक जब तक अपना तआ'रुफ़ कराया आपने यूं रुख़्सार से पर्दा हटाया आपने #पर्दा #वत्स #vatsa #dsvatsa #illiteratepoet #hindipoetry #hindipoem थे कब्र में, मेहबूब बनाया आपने यूं रुख़्सार से पर्दा, हटाया आपने कु
#पर्दा #वत्स #vatsa #dsvatsa #illiteratepoet #hindipoetry #HindiPoem थे कब्र में, मेहबूब बनाया आपने यूं रुख़्सार से पर्दा, हटाया आपने कु
read moreप्रथमेश विशाल
''चांद सा मुंह और तेरे रुख़्सारों पे घुंघराले बालों का ख़त जैसे, ग़ुंचा ब ग़ुंचा, गुल ब गुल, लाला ब लाला, बू ब बू''
''चांद सा मुंह और तेरे रुख़्सारों पे घुंघराले बालों का ख़त जैसे, ग़ुंचा ब ग़ुंचा, गुल ब गुल, लाला ब लाला, बू ब बू''
read moreAsif B. Pathan
तेरे "रुख़्सार" पर ढले हैं मेरी "शाम" के "किस्से....!! "ख़ामोशी" से "पढ़ा" हुआ "मोहब्बत" का "कलमा" हो तुम...💞 तेरे "रुख़्सार" पर ढले हैं मेरी "शाम" के "किस्से....!! "ख़ामोशी" से "पढ़ा" हुआ "मोहब्बत" का "कलमा" हो तुम...💞
तेरे "रुख़्सार" पर ढले हैं मेरी "शाम" के "किस्से....!! "ख़ामोशी" से "पढ़ा" हुआ "मोहब्बत" का "कलमा" हो तुम...💞
read moreहिंदीवाले
अब मैं समझा तिरे रुख़्सार पे तिल का मतलब दौलत-ए-हुस्न पे दरबान बिठा रक्खा है ~क़मर मुरादाबादी ©हिंदीवाले अब मैं समझा तिरे रुख़्सार पे तिल का मतलब दौलत-ए-हुस्न पे दरबान बिठा रक्खा है ~क़मर मुरादाबादी # #alone
अब मैं समझा तिरे रुख़्सार पे तिल का मतलब दौलत-ए-हुस्न पे दरबान बिठा रक्खा है ~क़मर मुरादाबादी # #alone
read moreParastish
लगाना रंग कुछ ऐसे मिरे दिल-दार होली पर करे दो चार को घायल सर-ए-बाजार होली पर हवा में हो उठे हल-चल, बहारें रश्क कर बैठें यूँ सर से पा लगूँ मैं प्यार में गुल-बार होली पर निगाहों से छिड़क देना यूँ चश्म-ए-शोख़ का जादू लगें मय का कोई प्याला मिरे अबसार होली पर लबों की सुर्ख़ रंगत को, यूँ मलना तुम मिरे आरिज़ कि तितली गुल समझ के चूम ले रुख़्सार होली पर अबीरों ओ गुलालों से, हो फ़नकारी मुसव्विर सी धनक आ के गिरे दामन में अब के बार होली पर ©Parastish चश्म-ए-शोख़ - lovely eyes अब्सार - आँखें आरिज़ - रुख़्सार/गाल फ़नकारी - कलाकारी/ artistry मुसव्विर - चित्रकार/painter धनक - इंद्रधनुष/rai
चश्म-ए-शोख़ - lovely eyes अब्सार - आँखें आरिज़ - रुख़्सार/गाल फ़नकारी - कलाकारी/ artistry मुसव्विर - चित्रकार/painter धनक - इंद्रधनुष/rai
read morePrerit Modi सफ़र
अपनी दश्त सी मिज़्गाँ में पनाह देदे मुझे इन झील सी आँखों में डूबना है मुझे तेरे रुख़्सार से आफ़ताब उगता है रोज़ तेरी ज़ुल्फ़ों की तीरगी में छुपना है मुझे दश्त- घना जंगल मिज़्गाँ- eye lashes रुख़्सार- गाल आफ़ताब- सूरज तीरगी- अँधेरा #yqbaba #yqdidi #love #erotica #shayari #musingtime #romance
दश्त- घना जंगल मिज़्गाँ- eye lashes रुख़्सार- गाल आफ़ताब- सूरज तीरगी- अँधेरा #yqbaba #yqdidi love #erotica shayari #musingtime #romance
read morePrerit Modi सफ़र
तेरे रुख़्सार पे गिरती हुई ये ज़ुल्फ़ों से जैसे रात ये हो जाती है जब तू झपकती है मिज़्गाँ अपनी दश्त ये घने भी शरमा जाते हैं जब तू भरती है आहें सरगोशियों में हाए साँसे ये मेरी थम जाती हैं जब पकड़ती है तू हाथ मेरा क़ल्ब की धड़कन ये बढ़ जाती हैं तेरे अधरों पे ये तिल क्या क़यामत है गोया मुझे जैसे बोसा लेने को मनाते हैं रुख़्सार-गाल मिज़्गाँ- eye lashes दश्त- जंगल सरगोशियों- फुसफुसाहट क़ल्ब- दिल अधरों- upper lip गोया- जैसे बोसा- चुम्बन
रुख़्सार-गाल मिज़्गाँ- eye lashes दश्त- जंगल सरगोशियों- फुसफुसाहट क़ल्ब- दिल अधरों- upper lip गोया- जैसे बोसा- चुम्बन
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