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shamawritesBebaak_शमीम अख्तर
मर्द रोए क्यू नही...? दरअसल मर्द और औरत दोनो ही जन्मजात,इक दूजे के पूरक रहे है, लेकिन मर्द के नाजुक दिल को धीरे धीरे रौंदा गया, के मर्द रोते नहीं,कहकर उनके अश्कों को बहने से रोका गया... मर्द को दर्द नहीं होता,कहकर बताया और बनाया गया ,सख्त और निष्ठुर ,बार बार उनके नाजुक दिल को सख्त किया गया,वो रोना चाहते है, कभी कभी,फूट फूट कर,पर बिलाखिर उन्हें मर्द बनना ही पङा ..... औरत की हस्ती और लियाकते पल पल रोंधी गई,के औरत ये नहीं करती,वो नही करती,कहकर दबा दी गई, उनकी,बेशुमार हसरते,लियाकते,और काबिलीयते ...??? औरत ये,वो नहीं कर सकती,कहकर मेहदूद कर दी गई उनकी हदें... बार बार उनके स्त्रीत्व कोरोंधा दबाया गया,मारा गया वो भी कभी कभी हँसना चाहती थी,खिल खिलाकर ठहाके मारकर, पर बिलाखिर उन्हें औरत बनना पङा.....?? तो इस मुआश्रे में औरत कभी खुलकर हंसी नही..? और मर्द कभी रोए नहीं..?,🙏🙏🙏🙏 Blog By✍️ shamawritesBebaak ©shamawritesBebaak_शमीम अख्तर #mard मर्द क्यों रोए नही...? दरअसल मर्द और औरत दोनो ही जन्मजात,इक दूजे के पूरक रहे है, लेकिन मर्द के नाजुक दिल को धीरे धीरे कुचला गया,के मर
#mard मर्द क्यों रोए नही...? दरअसल मर्द और औरत दोनो ही जन्मजात,इक दूजे के पूरक रहे है, लेकिन मर्द के नाजुक दिल को धीरे धीरे कुचला गया,के मर
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मैं एक रोज समेट कर चल दूँगी अपनी सभी हसरते, मेरी पसंदीदा उल्फते और अलमारी में रखी अपने रंग बिरंगे लिबास,सब संभाल के रखे गए चुन-चुन कर लिए चुन्नी,दुपट्टे..... अच्छे बुरे वक्त में लिखी गई मेरी डायरियाँ और मन को बहलाने के लिए खुद् से लिखी गई गजल,नज़्म कोट्स,कविताएं.... वालिदेन से तोहफे में मिले सोने चाँदी के गहनें,कांच की हरी हरी चूड़ियां, वो गुलाबी लिपस्टिक,काजल, गुलाबजल की महक,हराम हलाल की तमीज,..... अकेलेपन को खर्च करने बाबत बनाई गई पेंटिंग, सिलाई और कपड़ों पर किए जाने वाले पेचवर्क कशीदे कई तरह के रंग-बिरंगे धागे और सरगम सुनाती पायजेबे.... घर के आंगन में छोटा सा खिज्र नुमा वो दरे दयार,जिसपे मैं बरसो बरस रहती रही,सब्जा उगाती,और वक्त बिताती रही.... घर से मिला चीड़चिड़ापन दुनिया भरकी वो इलाज की पर्चियां, और जानलेवाबिमारी की डिब्बे भरी गोली दवाइयां,.... वो मेरी हसीन प्यारी प्यारी मखमली बेटियों की, सुसराल को जाती हुई विदाईयां,और आईने से रूबरू होती हुई मेरी तुम्हारी परछाइयां..... मैं जब समेट कर चल दूंगी बावर्ची खाने की लजीज लज्जते, अपने दस्त में,उठा कर चल पडूंगी,तब ज्यों की त्यों सारी लियाकते अपने ही सिर पे टोकरी में धरकर...... अब बोलो क्या बचेगा,इस घर में,सिवाय तुम्हारी अना,जबर,और चंद जोड़ी कपड़ों के सिवा....????? shamawritesBebaak ©shamawritesBebaak_शमीम अख्तर #Baatein मैं एक रोज समेट कर चल दूँगी अपनी सभी हसरते, मेरी पसंदीदा उल्फते और अलमारी में रखी अपने रंग बिरंगे लिबास,सब संभाल के रखे गए चुन-चुन
#baatein मैं एक रोज समेट कर चल दूँगी अपनी सभी हसरते, मेरी पसंदीदा उल्फते और अलमारी में रखी अपने रंग बिरंगे लिबास,सब संभाल के रखे गए चुन-चुन
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