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अमर चव्हाण
रात्र मला नेहमी सांगते असं वेड्यासारखं जागु नकोस, आठवणी फार त्रास देतात प्रेमाच्या नादी तु लागु नकोस... - अमर चव्हाण प्रेमाच्या नादी लागू नकोस ! #love #pyaar #Single #Couplelove #Prem #motivation #Nojoto
प्रेमाच्या नादी लागू नकोस ! #Love #pyaar #single #couplelove #Prem #Motivation
read moreWaheed shayri guru
Pratik Patil Patu
गंभीर! घरात आहे एक चिमुकला त्याचा कोणी मित्रच नाही मैत्री करायला गेला तरी मैत्री त्याची होतच नाही! वाद पाहतो घरातले पोरं आणि बायकां मधले चिडतो - भडकतो म्हणत असतो माझं कोणी ऐकतच नाही! सारखा आजारी पडतो शरीराची त्याला साथच नाही गोळ्या - बिस्कीट, हवं नको बाकी कुणाला काळजीच नाही! रोज नकळत चुका करतो सुनेचा मग ओरडा खातो तरी विचारा गप्प राहतो अंगात त्याच्या त्राणच नाही! तसं करा! असं नको! अगदी बालिश हट्ट त्याचा! लहानग्या सारखं वागून सुद्धा, बाळ! त्याला कुणी म्हणतच नाही! गरज आहे ती फक्त याला चिमुकला म्हणून स्वीकारण्याची! गंभीर! #oldfather #yqtaai #oldagehome #childhood मनाला लागलं की, शेअर केलं जातं सांगावं लागत नाही!
गंभीर! #oldfather #yqtaai #oldagehome #Childhood मनाला लागलं की, शेअर केलं जातं सांगावं लागत नाही!
read moreKumar.vikash18
( "चंचल" ) मन भंवर मन मोर , मन चंचल चितचोर ! मन गोरा मन काला , मन हंस मतवाला ! मन पवन मन हिलोर , मन उङता चहुँ ओर ! मन चंदन मन निर्मल , मन अमृत का प्याला ! मन मुरली मन तान , मन राधा का श्याम ! चंचल ( "चंचल" ) मन भंवर मन मोर , मन चंचल चितचोर ! मन गोरा मन काला , मन हंस मतवाला ! मन पवन मन हिलोर , मन उङता चहुँ ओर !
चंचल ( "चंचल" ) मन भंवर मन मोर , मन चंचल चितचोर ! मन गोरा मन काला , मन हंस मतवाला ! मन पवन मन हिलोर , मन उङता चहुँ ओर !
read moreRajesh Khanna
मेरे दिल को तेरे चहरे के सिबाये कोई और चहेरा नजर नहीं आता अब ले लो दिल की बात भाले ही तुम मेरे पास नहीं हो पर दिल मन ही मन बातें कर लेता है ©Rajesh Khanna मन ही मन
मन ही मन
read moreAnupam Mishra
किसी पिंजरे में कैद पंछी की तरह जैसे हमारा मन भी कैद हो गया है, सामने खुली चांदनी नजर आती है पर चार दिवारियों के बाहर नहीं निकल पाती, कुछ रस्मों की दीवारें हैं कुछ मर्यादाओं की रेखाएं हैं और कुछ ऊसूलों की सलाखें हैं जिनको तोड़कर जाने की उम्मीद नहीं बस देखकर सुकून मिले अब वही सही, ऐसा नहीं कि भीतर जोश या हिम्मत नहीं पर यह सोचकर हूं मन को बांध लेती कि जब इस पंछी का अंत निश्चित है ही फिर क्यूं इसे खुले में छोड़ना कभी, येे बावला तो देख लेता है कभी भी कुछ भी और चाहता है कि सब मिल जाए उसे यहीं, बेहतर है कि ये पिंजरे में बंद रहे यूं ही पता नहीं फट पड़े कब कौन सी ज्वालामुखी। ©अनुपम मिश्र #मन #बावला मन
Rk Prajapati
मन ही मन को जानता, मन की मन से प्रीत। मन ही मनमानी करे, मन ही मन का मीत। मन झूमे मन बावरा, मन की अद्धभुत रीत। मन के हारे हार है, मन के
मन ही मन को जानता, मन की मन से प्रीत। मन ही मनमानी करे, मन ही मन का मीत। मन झूमे मन बावरा, मन की अद्धभुत रीत। मन के हारे हार है, मन के
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