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Stories related to बीरो भात भरण आयो

sunil kumar

भात

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स्मृति.... Monika

#janmashtami#आयो रे आयो जन्मदिवस आयोस्मृति.... मोनिका ✍️

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आयो रे आयो जन्मदिवस आयो
आयो रे आयो रे जन्मदिवस आयो 
मेरे मोहन का, मेरे साँवरे का

जग का पालनहार है वह
प्रेम सरस रसधार वह
बाँके बिहारी की बात अलग है 
गोपियन का श्रृंगार है वह

भायो रे भायो मन को मेरे भायो
आयो रे आयो जन्मदिवस आयो
मेरे मोहन का, मेरे साँवरे का ||

वृन्दावन की हर गली में
बस उसकी ही पुकार है
जन्मदिवस कान्हा का मेरे
सबके लिए त्योहार है 

लायो रे लायो खुशियाँ संग लायो
आयो रे आयो जन्मदिवस आयो
मेरे मोहन का, मेरे साँवरे का ||
©स्मृति... मोनिका ✍️

©स्मृति.... Monika #janmashtami#आयो रे आयो जन्मदिवस आयो#स्मृति.... मोनिका ✍️

Dayanand Kumar

#IndependenceDay सलाम उन बीरो का,,,

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आज सलाम उन बीरो को,
जिनके कारण ये दिन आता हे।
वह मां खुशनसीब होती हे,
बलिदान जिनके बच्चो का देश के काम आता है।

©Dayanand Kumar #IndependenceDay सलाम उन बीरो का,,,

Bibha Rani

आयो रे रक्षाबंधन का शुभ त्यौहार आयो

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Swarnima🌸

मीठा भात

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मीठा भात

आधा हो फसाना तो दिल मसोसता है
दौड़ता है बेहिसाब जैसे कोई बेसुरा राग बंद गली के बदबूदार माहौल से निकल रहा हो और गवैया जान के अंजान है
कोई व्यथा जान ले वही शेर है बाकी घूरे मे पड़े ढेर से रत्ती भर ज्यादा नही
तुम तुम्ही हो और मै मैं हूँ बस इतना ही सच है बाकी बचा फरेब 
 तो अब मैं,
जो इधर उधर बिखरा है चमचमाती परात मे समेट के धीरे धीरे आराम से बिनूंगा आज और रोज
कभी कभी कंकड़ किटकेंगे पर समेटना नही छोड़ना,आदत नही बदलना
 उस रोज के उत्साह में जब बिना कंकड़ का भात गले में उतरेगा
खुशबूदार, छिटका हुआ
मीठा भात! मीठा भात

Rajat N Bharadwaj

दशै आयो

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Amit Cool

#sunrays चोखा भात।

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लोग प्यार में धोखा खाते हैं,
और एक मैं है।
जो भात के साथ चोखा खाता हूं।

अब बताओ बेहतर क्या हैं ??? #sunrays चोखा भात।

Niklesh express Singh Yadav

याद आयो रे

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तुमसे दूर कैसे रह पाता, दिल से कैसे भूल पाता, काश। तुम आईना में बसी होती ,खुद को देखता तो तू ही नजर आती।  #NojotoQuote याद आयो रे

Kamalesh Verma

बिरा मायरो भरण

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Deepali Singh

फाल्गुन आयो... #Holi

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फगुआ आयो हर घर-दर दस्तक पीट के
करे ज़ोर फाल्गुन पूर्णिमा की गीत रे
थिरक-थिरक अल्पाये फाग-धमार रे 
लो आयो बसंत की होली हौले हौले 
दिख रहे खेतों में सरसों इठलाते से
मोहे गेहूँ के बालियाँ मंद मुस्काते हुए
खिले कुछ चेहरे नुर छलकाते हुए
शरम में सिमटे लाल-पीले गीले से
अंग-अंग बहके पानी के आग पे
मचले तन- मन मस्ती के राग में
कभी गुझिया पर ठंढई बहकाती हुई
तो आम मंजरी चंदन में लिपटाती हुई
हाँथ में पुए पकड़े,मुख में दबे दहीबड़े
स्वाद घोले वो गोल-गोल पूड़ी-छोले
जब ढोलक,झाँझ,मंजिरे बोले चींख के
बस पास एक-दूजे को सब खींच लें
ये रंग,गुलाल,धुरखेल जोड़े प्रीत रे
नृत्य-संगीत में झूमे उपर-नीचे भीग के 
मग्न हम बोले जोगी जी धीरे-धीरे! 
सा रा रा रा रा...जोगी जी धीरे-धीरे!

©Deepali Singh फाल्गुन आयो... 

#Holi
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