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Prerana"Yukta"
White हृदय चन्द्रमा ! एक नया बहाना ढूंढता है, हवाओ मे बहता हुआ बातों की बाते करता है, मुस्कुराता मोह मोहि के मोह में, फिर एक नया बहाना ढूंढ़ता है । काली अंधेरी चादर में चुपके से, चंचल चित तकता है, बातों ही बातों में न जाने कितनी बाते बुनता है, फिर एक नया बहाना ढूंढता है। छू कर रजनी सी रश्मी, कुछ कौतुक सी बाते करता है, न जाने कैसी सी बाते करता है, न जाने कौन सी बाते सुनता है । एकांत अनवरत सी चित गंगा में, कोलाहल और ध्वनि संगीत सुनता है, प्रसंग प्रीत सब रीत यही है, हृदय चन्द्रमा ! एक नया बहाना ढूंढता है.... प्रेरणा "युक्ता" ©Prerana"Yukta" #moon
Nitin Kuvade
White हर्षित मन, शीतल गगन, शीतलता से भरी ये पवन, राग नया गुनगुना रही है,, खुशियों का समा, मन रमा, तपन से मुक्ति, शीत थमा, शरद ऋतू केसी आ रही है,,, अमृत बरसे, मन हर्ष हरषै, सब नैन मिलाये अम्बर से, शरद ऋतू ऐसी भा रही है,,, कृष्ण का रास, आज़ रात, गोपिया जोहे आज़ की बाट, गोपिया कृष्ण को पा रही है,,, सोलह कला, शशि ले चला, इठला जग निहारे चन्द्रकला,, सोलह कला जग पे छा रही है,,, चहके चकोर, मन में उठा शोर, चांदनी बरसे आज रात घनघोर, चांदनी चकोर को लुभा रही है,,, सौंदर्य प्रतीक, प्रेम पथिक, आभा है ऐसी अलौकिक, कलम मेरी रचना रचा रही है,,, शीतमय जग, शीतलता रग रग, श्रृद्धा शीश झुके, खुशि पग पग, शरद पूर्णिमा महत्व बता रही है,,, ✍️नितिन कुवादे.. ©Nitin Kuvade #Moon
Prabhat Kumar
White मुझे मुझसा कोई दीवाना ना मिला । दिल तोड़ा गया मेरा पर हरजाना ना मिला ।। यूं तो ठिकाने शराब के बहुत है मगर । उसकी आंखों से बढ़कर कोई मयखाना ना मिला ।। मैंने मोहब्बत में सब कुछ गवा दिया अपना । पर उसकी यादों के सिवा कोई खजाना ना मिला।। हाल पूछने पर अक्सर मुस्कुरा देता हूॅं । दर्द छुपाने का दूसरा कोई बहाना ना मिला ।। मैंने बहुत ढूंढा ठिकाने मोहब्बत के मगर । सारे जहाॅं में वफा-ए आशियाना ना मिला ।। वर्षों से लिख रहा हूॅं मैं मोहब्बत की दास्तां । मगर अब तक किसी से मुझको नजराना ना मिला।। ©Prabhat Kumar #Moon
Deepak Kumar 'Deep'
White अक्सर रात को आसमाँ देखकर तुम्हें निहारा करता हूँ। छुप जाते हो जब बीच बादलों में तुम्हें पुकारा करता हूँ। अक्सर रात को आसमाँ देखकर.. खुदा जाने दिल की आवाज़ तुम तक पहुँचती है या नहीं फिर हाथ उठाकर तुम्हें इशारा करता हूँ! अक्सर रात को आसमाँ देखकर.. जब भी देखता हूँ शबाब में चले आते हो ख्वाब में, तब खुद को आइने में सवाराँ करता हूँ। अक्सर रात को आसमाँ देखकर... ये जानते हुए भी तुम तक पहुँचना है नामुमकिन, फिर पानी में तुम्हारे अक्स को उतारा करता हूँ। अक्सर रात को आसमाँ देखकर... सोचता हूँ नज़र न लग जाए तुम्हें ज़माने की कहीं, नज़रों से बचाकर पानी में हलचल पैदा करता हूँ। अक्सर रात को आसमाँ देखकर... जानता हूँ तुम्हें ज़मीं पर लाना यूँ सितारों से दामन छुड़ाना नामुमकिन है, पर ये वो गुनाह है जिसे मैं बार बार करता हूँ। अक्सर रात को आसमाँ देखकर तुम्हें निहारा करता हूँ, छुप जाते हो जब बीच बादलों में तुम्हें पुकारा करता हूँ। ©Deepak Kumar 'Deep' #Moon
Schizology
It's Friday night It's Friday night Hanging with a friend Talking and chatting Enjoying each others company Until our night comes to the end Music playing We laugh and joke Mild conversations Telling stories of current events Pausing for the cause - a quick toke We write often Sharing an idea Creating a poem Separate results ,but come together Producing something we both agree Fifteen years And counting Friends throughout We have had a few disagreements But our friendship continues soundly ©Schizology It's friday night #Friday #poem✍🧡🧡💛 poetry in english
It's friday night #Friday poem✍🧡🧡💛 poetry in english
read moreShilpa priya Dash
White My secret ❤️ is "U" my 🌛 Dreaming of you has become the best part of my nightmare. Now don't you dare to deny your horror. Your icy touch soothes, yet sends shivers down my spine. Your cool temper may be lively, but it ceases to make me smile. The worst part? When you vanish into silence. Yes, my moon, My worst nightmare is your absence. ©Shilpa priya Dash #Moon
sammy
White lakan se lau jo lafz jo tujhe sunai de sab dekhe chand ko aur tu sirf mujhe dikhayi de! ©Samruddhi #Sad_shayri #moon#Moon love shayari
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read moreANKIT
White गहरे जख्मों को जो पीछे अब तुम छोड़ आए हो, नयी चोंटो के घावों को मुसलसल छोड़ ही दोगे। निश्छल प्रेम बंधन की, निरंतर धार को है छोड़ा, दिखावटी रिश्तों को भी तुम एक दिन छोड़ ही दोगे। छोड़ आए हो बेबाक जहाजो को तूफ़ानी दरिया में, इन डगमगाती नौकाओं को यकीनन छोड़ ही दोगे। ना गुरुर कर मुर्शीद खरीते के चार आने पर, उम्र भर की कमाई तुम पीछे छोड़ आए हो। वो मकसद जिसके खातिर छोड़ी है, चौखट पर बिलखती माँ तुमने, दुनिया भर के एबों को क्या पीछे छोड़ पाओगे..? ©ANKIT #Moon