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अनिमेष मण्डल
"कृष्ण" कृष्ण हर नन्ही किलकारियो में है कृष्ण हर एक खुशियां है कृष्ण मुस्कान है होठो की कृष्ण नटखट सी पहचान है कृष्ण मूरत है प्रेम की कृष्ण सूरत है अटूट बन्धन की कृष्ण अलबेला है कृष्ण चित हरणे वाला है कृष्ण ही राम है कृष्ण ही विष्णु है कृष्ण ही संसार है कृष्ण त्याग है प्रेम का कृष्ण राग है जीवन का कृष्ण सुर है ,कृष्ण बांसुरी की धुन है । कृष्ण पूरी ब्रह्माण्ड है मगर अधूरे है राधा बिन । कृष्ण दोस्ती के अलाप है कृष्ण महाभारत का सार है कृष्ण गीता है कृष्ण ही रामायण की राम है कृष्ण विष्णु की पुराण है कृष्ण प्रकृति की पुकार है कृष्ण ग्वालों की शान है कृष्ण गौ पर विराजमान है कृष्ण मोर , राधिका, गोपियों संग नृत्यकर्ता है कृष्ण मोहने वाला माखनचोर है कृष्ण बाके बिहारी है कृष्ण गिरधर धारी है कृष्ण राधा के प्रीतम मीरा की भक्ति और रुक्मणि के पति देव इस संसार के सर्वत्र है कृति- अनिमेष मण्डल कृष्ण सुर है कृष्ण बांसुरी की धुन है #Janamashtmi2020
कृष्ण सुर है कृष्ण बांसुरी की धुन है #Janamashtmi2020
read moreSatish Kumar Meena
White संगीत के सात सुरों में असीम शक्ति है, ये अचल में भी हलचल पैदा कर देते हैं। ©Satish Kumar Meena संगीत के सुर
संगीत के सुर
read morePraveen Jain "पल्लव"
पल्लव की शायरी शायर हो, या कवि सभी के सुर में सुर मिलाता है अपना कुछ भी नही,सभी कीआवाजो को क़ई अंदाजों में,बुलंदी से महफ़िलो में पहुँचाता है कही इसका बिगड़ जाये मिजाज रंग सबका फीका पड़ जाता है प्रवीण जैन पल्लव ©Praveen Jain "पल्लव" #Mic सभी के सुर में सुर मिलाता है #Mic
B.L Parihar
. #_____बाँसुरी बाँसुरी बनाने वाले बताते हैं कि, इसके लिए आवश्यक बाँस को तिथि के अनुसार तोड़ा जाता है। पंचमी, सप्तमी, अष्टमी, नवमी, दशमी इन तिथियों पर अगर बाँस तोड़ा गया तो उसमें कीड़े लग जाते हैं। इसका कारण ये है कि, इन तिथियों का अंतिम अक्षर " मी " है जो " मैं " अथवा अहंकार का परिचायक है और अहंकार से कार्यनाश होकर बाँसुरी अधिक समय तक नहीं चलती, ऐंसी मान्यता है। कृष्ण भगवान का पसंदीदा वाद्य बाँसुरी है। एक बार कृष्ण के सभी सखा और गोपियों ने बाँसुरी से कहा कि, हम कृष्ण के इतने करीबी हैं, उनकी भक्ति करते, उनका गुणगान करते हैं, उनके आसपास घूमते रहते हैं, लेकिन वे हमें उतना भाव नहीं देते और तुम इतनी साधारण, ना रूप ना और कुछ, फिर भी भगवान तुम्हें होंठों से लगाए रहते हैं। आखिर तुमने ऐंसा कौनसा जादू किया है उनपर ?? बाँसुरी ने हँसकर कहा---" तुम मेरी तरह बनो फिर कृष्ण तुम्हें भी अपने करीब रखेंगे। मैं एकदम सीधी हूँ, ना कोई गाँठ और ना ही कोई मोड़ या घुमाव। मैं अंदर से पोली हूँ और उसी पोलेपन से मेरा सारा अहंकार निकल गया है। मेरे शरीर के 6 छिद्रों द्वारा काम, क्रोध, लोभ, मोह, मद, अहंकार सब मैंने बाहर फेंक दिए हैं। मेरी खुद की कोई आवाज नहीं है। मुझमें फूँक मारने पर ही मैं बोलती हूँ। जो जैंसी फूँक मारता है, मैं वैसा ही बोलती हूँ। " बाँसुरी का प्यारा उत्तर सुन सखा और गोपियाँ सभी निरुत्तर हो गए। #अहंकार_रहित_शरीर_ही, #श्री_हरी_की_बाँसुरी_है जय श्री कृष्ण🙏🏻 #NojotoQuote #कृष्णा कि बांसुरी #बांसुरी
Babita Buch
व एक समय था आपकी धुन पे हजारों गोपियां दिवानी थी ना जाने आपकी एक झलक पाने को कैसे कैसे बाहाने बनाती थी प्रेम वहीं है लोग वहीं है बांसुरी वहीं पर आपके जैसी पवित्रता दिखती नहीं ©Babita Bucha #बांसुरी
ऋचा
बांसुरी मैं भला कैसे कहूँ इतने निकट मेरे रहो श्वास जो मेरी रहीं हैं उनका स्वर बनके बहो मैं कहाँ से ढ़ूढ लाऊं साहसों की सीढ़ियां जिन पे चढ़ के जान पाऊँ सुर बसे तुम में कहाँ ईष्ट के तुम मुंहलगी हो मुझसे कैसे साम्य हो तुम अधर की शान ठहरीं मैं चरनरज भी कहाँ बांसुरी तुम कृष्ण की हर श्वास का निः श्वास हो मैं बड़ी अदना सी राधा तुमसी कैसे खास हूँ? ऋचा खरे स्वरचित बांसुरी
बांसुरी
read moreमाधुरी"मुस्कान"शर्मा
जिस पे दुनिया टिकी वो धुरी कर दिया। प्रेम ने बांस को बाँसुरी कर दिया।। तुमने आकर मेरी जिंदगी में सनम, सुनी मुस्कान को माधुरी कर दिया।। बांसुरी
बांसुरी
read moreऋचा
मैं भला कैसे कहूँ इतने निकट मेरे रहो श्वास जो मेरी रहीं हैं उनका स्वर बनके बहो मैं कहाँ से ढ़ूढ लाऊं साहसों की सीढ़ियां जिन पे चढ़ के जान पाऊँ सुर बसे तुम में कहाँ ईष्ट के तुम मुंहलगी हो मुझसे कैसे साम्य हो तुम अधर की शान ठहरीं मैं चरनरज भी कहाँ बांसुरी तुम कृष्ण की हर श्वास का निः श्वास हो मैं बड़ी अदना सी राधा तुमसी कैसे खास हूँ? ऋचा खरे स्वरचित #बांसुरी