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Ek villain
मध्यवर्ग की राष्ट्रीय दल से कांग्रेस की अतिवादी वामपंथी की दिशा में विचलन की दो भाषणों में समझा जा सकता है करीब 73 वर्ष की अवधि से यह भाषण कांग्रेस में आई गिरावट को दर्शाती है इनमें पहला भाषण 1949 का है और दूसरा 2022 का है पहला भाषण संविधान सभा की बहस में 11 शुभम राव का था और दूसरा केरल के बयान आरडी से लोकसभा सांसद राहुल गांधी का जो उन्होंने बजट सत्र में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर चर्चा के दौरान दिया स्वतंत्र सेनानी और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के सदस्य शुभा राव ने संविधान के अनुच्छेद 1 से जुड़ी बहस में कहा था कि भारत नाम ऋग्वेद में उल्लिखित है साथ ही वायु पुराण में भी इन शब्दों में भारतीय सीमा का समाकलन किया गया एवं मध्यम चित्रम सुबह शुभ फलदायक होते हिमालय और दक्षिणी महासागर के उत्तर में जो भूमि स्थित है बहुत प्राचीन है कांग्रेसी गोराव 1949 में सार्वजनिक रूप से ऋग्वेद और वायु पुराण का उदाहरण देने के साथ ही अपने प्राचीन अधिक से भारत के सभ्य गत विरासत और सांस्कृतिक कड़ियों को जोड़ रहे थे यह भी उल्लेखनीय है कि 2022 में भारत की सीमा का वर्णन करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी यही परिणति उदाहरण दिया दरअसल 1949 के दौरान कि कांग्रेस पार्टी सभी वर्ग को समाहित करने वाली थी ©Ek villain #कांग्रेश की विखंडन वादी स्वर #selflove
vikk ji nojoto
मेरा love ऊर्जा के नियम जैसा नहीं था जो एक रूप से दूसरे रूप में बदल जाएगा , Life नाभिको के विखंडन सी टूटने लगी है पर फिर भी एक दिन में स्थाइत्व कोबाल्ट (Co) or (CN) साइनाइड जैसा पाऊंगा यही दिल में लगी आस है vikk ji मेरा love ऊर्जा के नियम जैसा नहीं था जो एक रूप से दूसरे रूप में बदल जाएगा , Life नाभिको के विखंडन सी टूटने लगी है पर फिर भी एक दिन में स्थाइ
मेरा love ऊर्जा के नियम जैसा नहीं था जो एक रूप से दूसरे रूप में बदल जाएगा , Life नाभिको के विखंडन सी टूटने लगी है पर फिर भी एक दिन में स्थाइ
read moreSunita D Prasad
कैसे.. नदियों के उद्गम से समागम तक पर्वतों के उत्थान से विखंडन तक जंगलों के बसने से उजड़ने तक की लंबी-लंबी यात्राएँ छोटी पड़ गईं एक दुख के समक्ष? और कैसे.. संसार का प्रत्येक दुःख पीड़ा और संताप नगण्य पड़ गया एक कविता के सम्मुख? शब्दों ने भली-भाँति सीखा अनुभूतियों को सोखना अभिव्यक्तियों को व्यक्त करना। दुख भी स्तब्ध है देखकर शब्दों की यह निपुणता।। --सुनीता डी प्रसाद💐💐 #शब्दों की निपुणता कैसे..... नदियों के उद्गम से समागम तक पर्वतों के उत्थान से विखंडन तक जंगलों के बसने से उजड़ने तक की लंबी-लंबी यात्राएँ छ
#शब्दों की निपुणता कैसे..... नदियों के उद्गम से समागम तक पर्वतों के उत्थान से विखंडन तक जंगलों के बसने से उजड़ने तक की लंबी-लंबी यात्राएँ छ
read moreDivyanshu Pathak
प्रेम पर्याय है समर्पण का ! मन का मन से संगम जैसा कुछ ! एक प्राण में दूसरा अर्पण होने का ! OPEN FOR COLLAB 😁 #enlightenmentisnot • A Challenge by Aesthetic Thoughts! • Collab on this beautiful bg and tell what according to you e
OPEN FOR COLLAB 😁 #enlightenmentisnot • A Challenge by Aesthetic Thoughts! • Collab on this beautiful bg and tell what according to you e
read moreDivyanshu Pathak
हिन्द का प्राचीन जीवन चाहते हो क्यों भला अब ? आधुनिकता के क़फ़स में फँसचुके हो तुम भला जब छोड़ दो अब तो लगाना तुम मुखौटे पश्चिमी सब लो बदल ख़ुद को निपुण कर,मुड़ के पीछे देखना क्यों ? अब इधर के ना उधर के इसलिए भी हैं भटकते छोड़कर अपने बसन्ती माह को तुम हो तड़पते श्रृंगार वसुधा का तुम्हें भाता नहीं है सरस्वती पूजन तुम्हें आता नही है शिव महोत्सव तुम हो पागल भूल बैठे प्यार को फूहड़ बनाकर गौरवान्वित हो भला क्यों ? प्यार होता क्या है पूछो तुम पिता से ? तुम को सूखे में रखा खुद गीले में सोई उस माँ से प्रेम तो दादी की गोदी में पला था इश्क़ दादा जी की उंगली से चला था फ़िर मोहब्बत में फ़ना ख़ुद के लिए क्यों ? 💕💕🙏😃🌷😊😆🌷😃 : प्रेम का उत्सव मनाने जब भी मैं निकला हूँ घर से डर सहम महबूब मिलता और बचता हूँ नज़र से है नहीं मंजूर सबको फिर भला ये फ़ितूर कैसा ?
💕💕🙏😃🌷😊😆🌷😃 : प्रेम का उत्सव मनाने जब भी मैं निकला हूँ घर से डर सहम महबूब मिलता और बचता हूँ नज़र से है नहीं मंजूर सबको फिर भला ये फ़ितूर कैसा ?
read moreNadbrahm
मिथिला इतिहास के एक बड़े हिंस्से में अपने उत्कर्ष पतन के अनगिनत किस्सों को समेटे है। वैदिक काल मे जो क्षेत्र मानव विकाश के लिए विमर्श , संवाद व विद्या साधना की भूमि रही है। ज्ञान का प्रभाव ऐसा की दुनियां के समस्त विद्वान अपने ज्ञानी होने के सामाजिक प्रमाण हेतु जनक सभा मे आकर अपनी विद्वता सिद्ध करते थे। वैदिक उपनिषद के तत्व ज्ञान का प्रवाह ऐसा की वहाँ का राजा स्वयं को राज पद , संपदा व सामाजिक मान अपमान से मुक्त यहाँ तक कि इस भौतिक देह की सीमाओं से भी मुक्त था। इसी ज्ञान के आधार पर मिथिला के सभी सम्राट विदेह कहलाते थे बिना देह अर्थात भौतिक सीमाओं से परे ज्ञान पुंज। उसी धरती पर कणाद, गौतम,अष्टावक्र जैसे तत्व ज्ञानी का ज्योति फैला। संख्या, मीमांसा के सिद्धि की ये धरती भी काल क्रम में अपने पराभव को नही रोक पाई। काल चक्र में माता जानकी की ये भूमि विप्पनता, अशिक्षा व दरिद्रता का दंश झेलने लगी। राजनीतिक वेदी पर इस क्षेत्र का विखंडन भी भारत व नेपाल के हिस्से में हो गया। इस अंतहीन यात्रा में ज्ञान भले लोप हुआ पर लोक कलाएं आज भी अपने मिथिला के अस्तित्व का गीत सब को सुनाती है। भित्ति चित्र व अहिपन ( अल्पना ) से बढ़ते हुए आज मिथिला पैंटिग उसी मिथिला की खास संस्कृति के किस्से सुनाती है। यह पैंटिग हर पर्व त्योहारों में मिट्टी पर बनी, आँगन में बनी, मिट्टी के घर को लेब कर उस के दीवारों को सजाया नव जीव आवाहन की प्रक्रिया में भी तांत्रिक पैंटिग बन कोहबर( नव विवाहिता के लिए विशेष कमरा) में नव दंपति में लिए उत्तम ऊर्जा का संवाहक बानी । आज मिथिला से बाहर फैसन का भी रूप ले चुकी हमारी संस्कृति की ये अंतहीन कहानी है। हाँ मिथिला की बाते युगों से पुरानी है। #मिथिला #root #culture_and_civilisation #untoldstory ©BK Mishra मिथिला इतिहास के एक बड़े हिंस्से में अपने उत्कर्ष पतन के अनगिनत किस्सों को समेटे है। वैदिक काल मे जो क्षेत्र मानव विकाश के लिए विमर्श , संवाद
मिथिला इतिहास के एक बड़े हिंस्से में अपने उत्कर्ष पतन के अनगिनत किस्सों को समेटे है। वैदिक काल मे जो क्षेत्र मानव विकाश के लिए विमर्श , संवाद
read moreAuthor Munesh sharma 'Nirjhara'
प्रेम बनाता है...मिटाता नहीं...🌹 कैप्शन में पढ़ें..... 'प्रेम' एक ऐसा शब्द जिसे सुनने मात्र से मन प्रसन्न हो जाये!हृदय काल्पनिक जगत में विचरण करने लगे! उमंग हिलोरें उठने लगें!मन पवन हो जाये!आसपास
'प्रेम' एक ऐसा शब्द जिसे सुनने मात्र से मन प्रसन्न हो जाये!हृदय काल्पनिक जगत में विचरण करने लगे! उमंग हिलोरें उठने लगें!मन पवन हो जाये!आसपास
read moreAK__Alfaaz..
आग्रह की वाणी, अवसादित हो गयी, जब विखंडन रचित किया गया, उसके हृदय का, और..उसके जीवन के, प्रत्यय की आत्मियता, उपसर्ग की पगड़ियों मे लिपट, मर्यादा के बंधेज मे, बँधकर रह गयी, कि..जैसे, आँखों से बहता नमक, हृदय के घावों पर उसके, अपना वियोग मलता है,— % & #पूर्ण_रचना_अनुशीर्षक_मे #अग्निशिखा आग्रह की वाणी, अवसादित हो गयी, जब विखंडन रचित किया गया, उसके हृदय का,
#पूर्ण_रचना_अनुशीर्षक_मे #अग्निशिखा आग्रह की वाणी, अवसादित हो गयी, जब विखंडन रचित किया गया, उसके हृदय का,
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