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gudiya

#NatureLove पृथ्वी पृथ्वी तुम घूमती हो तो घूमती चली जाती हो अपने केंद्र पर घूमने के साथ ही एक और केंद्र के चारों ओर घूमते हुए लगातार

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पृथ्वी 
पृथ्वी तुम घूमती हो 
तो घूमती चली जाती हो 

अपने केंद्र पर घूमने के साथ ही 
एक और केंद्र के चारों ओर घूमते हुए लगातार 

क्या तुम्हें चक्कर नहीं आते 
अपने आधे हिस्से में अंधेरा 
और आधे में उजाला लिए 
रात को दिन और दिन को रात करते 
कभी-कभी कांपती हो 
तो लगता है नष्ट कर दोगी अपना सारा घर बार 
अपनी गृहस्थी के पेड़ पर्वत शहर नदी गांव टीले
सभी कुछ को नष्ट कर दोगी 

पृथ्वी क्या तुम कोई स्त्री हो 
तुम्हारी सतह पर कितना जल है
तुम्हारी सतह के नीचे भी जल ही है
लेकिन तुम्हारे गर्भ में
गर्भ के केंद्र में तो अग्नि है 
सिर्फ अग्नि 

पृथ्वी क्या तुम कोई स्त्री हो 

कितने ताप कितने दबाव और कितनी आद्रता
अपने कोयलों को हीरो में बदल देती हो 
किन प्रक्रियाओं से गुजर कर 
कितने चुपचाप 
रतन से ज्यादा रतन के रहस्य से 
भरा है तुम्हारा ह्रदय 

पृथ्वी क्या तुम कोई स्त्री हो 

तुम घूमती हो 
तो घूमती चली जाती हो

-नरेश सक्सेना

©gudiya #NatureLove 
पृथ्वी 
पृथ्वी तुम घूमती हो 
तो घूमती चली जाती हो 

अपने केंद्र पर घूमने के साथ ही 
एक और केंद्र के चारों ओर घूमते हुए लगातार

धाकड़ है हरियाणा

#मेरी माँ आज सुबह 5.20बजे हमें छोड़कर चली गई, मेरे हाथों में ही ली अंतिम सांस, सुबह 10बजे गांव रामनगर (चरखी दादरी ) में होगा अंतिम संस्कार

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Anjali Singhal

"प्रेम की डोरी से तेरी, बँध चली मेरे मन की पतंग। डोर तू ये संभाले रखना हरदम, बन पतंग मैं उड़ती रहूँगी तेरे संग।।" #AnjaliSinghal #Shayari

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Ashraf Fani

काश ऐसा हो जाये!! चाँदनी रात हो दरिया हो हल्की घटा छाई हो भीनी ख़ुशबू सी तेरी याद भी लहराई हो मौसमों पे हल्की सी उदासी हो ख़ुशी भी थोड़ी छा

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काश ऐसा हो जाये!!

चाँदनी रात हो दरिया हो 
हल्की घटा छाई हो
भीनी ख़ुशबू सी तेरी 
याद भी लहराई हो
मौसमों पे हल्की सी उदासी हो 
ख़ुशी भी थोड़ी छाई हो
उस चाँदनी रात में 
तू भागी चली आई हो

काश ऐसा हो जाये!!

©Ashraf Fani काश ऐसा हो जाये!!

चाँदनी रात हो दरिया हो 
हल्की घटा छाई हो
भीनी ख़ुशबू सी तेरी 
याद भी लहराई हो
मौसमों पे हल्की सी उदासी हो 
ख़ुशी भी थोड़ी छा

Anjali Singhal

"मन में ये कैसी आस जगी, तुझसे मिलने की प्यास बढ़ी; निहारी जब तस्वीर तेरी, खिल-खिल मेरी साँस महकी। महकी इन साँसों से, बढ़ धड़कनें और तेज़ चल

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Anjali Singhal

"आज फिर भीगी हैं पलकें, आज फिर महसूस हुई तन्हाई। दिल को रुलाने देखो, यादों की बारात होती चली आई।।" #AnjaliSinghal #hindishayari #Shayari n

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Sk

एक उमर बीत चली है तुझे चाहते हुए, तू आज भी बेखबर है कल की तरह।

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White एक उमर बीत चली है तुझे चाहते हुए, तू आज भी बेखबर है कल की तरह।

©Sk एक उमर बीत चली है तुझे चाहते हुए, तू आज भी बेखबर है कल की तरह।

puja udeshi

#बुढ़ापा #pujaudeshi Kavi Himanshu Pandey MD Raja chetan parihar Arshad Siddiqui Dr. uvsays बुढ़ापा क्यो आता हैं????? जवानी ले जाता हैं,

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White बुढ़ापा क्यो आता हैं????? जवानी ले 
जाता हैं, एक नहीं 100 दर्द दिए जाता हैं 
शरीर क्यो कमजोर पड़ जाता हैं सहारा 
भी छूट जाता हैं जब पति चला जाता हैं 
अब उम्मीद बेटे से वो भी बहु की सुनता हैं 
कोई शिकवा शिकायत नहीं करती दिन तो 
कट ही जाता हैं मौत का इंतज़ार कर रही 
हूँ कब चली जाऊ...... क्या पता  बेटा भी 
 शायद यही चाहता हैं 🥹

©puja udeshi #बुढ़ापा #pujaudeshi  Kavi Himanshu Pandey  MD Raja  chetan parihar  Arshad Siddiqui  Dr. uvsays बुढ़ापा क्यो आता हैं????? जवानी ले 
जाता हैं,

MAHENDRA SINGH PRAKHAR

ग़ज़ल :- लोग वह खुशनसीब होते हैं साथ जिनके हबीब होते हैं अपनी हम क्या सुनाये अब तुमको  हम से पैदा गरीब होते हैं तुमने देखा न ढंग से शायद किस त

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White ग़ज़ल :-
लोग वह खुशनसीब होते हैं
साथ जिनके हबीब होते हैं
अपनी हम क्या सुनाये अब तुमको 
हम से पैदा गरीब होते हैं
तुमने देखा न ढंग से शायद
किस तरह बदनसीब होते हैं 
पास जिनके हो रूप की दौलत
 उनके लाखों रक़ीब होते हैं 
प्यार जिनको हुआ नहीं दिल से
वो कहाँ फिर करीब होते हैं
जो न करते यकीं वफ़ा पे अब
बस वही बदनसीब होते हैं
पास ख़ुद ही ख़ुशी चली आती 
जिनके अच्छे नसीब होते हैं
दिल से कैसे अमीर वो होगें
जिनके ऐसे मुज़ीब होते हैं 
तू नहीं सोचना प्रखर अब कुछ
दिल के रिश्ते अजीब होते है 
महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR ग़ज़ल :-
लोग वह खुशनसीब होते हैं
साथ जिनके हबीब होते हैं
अपनी हम क्या सुनाये अब तुमको 
हम से पैदा गरीब होते हैं
तुमने देखा न ढंग से शायद
किस त

MAHENDRA SINGH PRAKHAR

कुण्डलिया छन्द :- राधा-राधा जप रहे , देखो बैठे श्याम । आ जायें जो राधिका , तो पायें आराम ।। तो पायें आराम , चैन की वंशी बोले । फिर यमुना के

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कुण्डलिया छन्द :-

राधा-राधा जप रहे , देखो बैठे श्याम ।
आ जायें जो राधिका , तो पायें आराम ।।
तो पायें आराम , चैन की वंशी बोले ।
फिर यमुना के तीर , प्रेम के वह रस घोले ।।
ग्वाल-बाल का साथ , करे जिनका दुख आधा ।
वह ही है घनश्याम , चली जिनके सह राधा ।।

महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR कुण्डलिया छन्द :-

राधा-राधा जप रहे , देखो बैठे श्याम ।
आ जायें जो राधिका , तो पायें आराम ।।
तो पायें आराम , चैन की वंशी बोले ।
फिर यमुना के
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