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Pravina Chavan

#peotry /poetry in marathi language

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**पावसाच्या सरीत**

तपलेल्या धरेवर निळ्या नभातून,  
धारा झरती एकाएकी.  
फुलांची वलये लहरताना,  
मनांत मंद वारे पिऊन ठेकी.  

धुक्यातुनी येतो तो वास कर्दळीचा,  
शांततेत निनादतो नदीचा सूर.  
त्या पाण्यात तुझ्या पावलांचे स्पर्श,  
काळजात गूजले जसे गीतच अर्धसुर.  

घननिळ्या माळावर नाचतं हे जांभळं मळं,  
झाडाच्या पानातुन टिपे टिपे पडेती पाणी.  
जमिनीतुन पाझरणारा एकटा डोळा,  
नवख्या सृष्टीचा उठे नवा गाणी.  

असाच हा पाऊस मनावर कोसळतो,  
प्रत्येक थेंबात आठवणींचा झरा.  
आणि साऱ्या साऱ्या जगाशी जुळून,  
मी विसरतो आपला पावसाचा बहरा.  

माझ्या आतला झरा उसळतो पुन्हा,  
नभाच्या त्या लयीवर बिंदु.  
पावसाच्या सरीत नवा मी,  
पुन्हा कुठेतरी शोधतो स्वतःला, थोडा थेंबु, थोडा झिंदु.

©Pravina Chavan #peotry /poetry  in marathi language

Nitya

Marathi language day

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 Marathi language day

anku rwt

#ayurved

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Shubham Thakur Rajput

ayurved

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Sudeep Keshri✍️✍️

#ayurved

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भारत के किस वेद में मिलता है चिकित्सा सम्बन्धी ज्ञान?  ऋग्वेद का उपवेद है जिसका नाम आयुर्वेद है जिसमें चिकित्सा संबंधी ज्ञान है। #ayurved

Amol Sonawane

marathi language is very hard

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Rc Patel

#ayurved health

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Pradeep Kumar Roy

star ayurved

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vikrant world

कष्टसाध्य है यह प्रेम प्रिये, यह प्रेम नही है खेल प्रिये ।
तुम स्वर्णभस्म सी कोमल सी,मैं सदा सत्व गिलोय प्रिये ।।
 
तुम सुगंधनी चंदन सी, मैं कटु नीम की छाल प्रिये ।
तुम मादक आसव अरिष्ट सी, मैं बेस्वाद कषाय प्रिये ।।

तुम रसायनी बसंत मालती, मैं पाचक गंगाधर रस प्रिये ।
तुम अति उग्र हो चित्रक सी, मैं शांत सुधीर उशीर प्रिये ।।

तुम सुंदर हो हेमपुष्प सी, मैं तज्य कनक का शूल प्रिये ।
तुम सत्व सी सदा सुमंगल, मैं अति प्रवृति वात प्रिये ।।

तुम पारद सी चत चित चंचल, मैं कज्जली सा शांत प्रिये ।
तुम मनभावन सरकार वसंती की, मैं हेमंत की शीत प्रिये ।।

तुम कूपीपक्व सी आशुकारी, मैं विष सा व्यवायी प्रिये ।
तुम प्राणायाम सी हितकारी, मैं कष्टों का निदान प्रिये ।।

तुम अतुल्य ओज हृदय की, मैं असामान्य त्रिदोष प्रिये ।
तुम जाग्रत षट्चक्र सी, मैं खोया खोया सा मर्म प्रिये ।।

तुम सूत्र स्थान सी सूत्रधारणी, मैं अस्त व्यस्त विमान प्रिये ।
तुम मेरे आत्म गुणों के प्रभाव सी, मेरे ज्ञानेद्रियों का ज्ञान प्रिये ।।

कर दोष दूष्य को दूर प्रिये, सुख साध्य करो ये प्रेम प्रिये ।
हो निदान परिवर्जन आज, कर दोहृदय का समवाय सम्बंध प्रिये ।।

        ~ डॉ. विक्रांत शर्मा #Trending 
#ayurved

Dr urvashi malviya

Jai ayurved

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दोष ही शरीर का मूल है
अतः मनुष्य में दोष स्वाभाविक है! Jai ayurved
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