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बेजुबान शायर shivkumar
// मेरी मोहब्बत का यही ये आख़िरी पड़ाव है // कि मैं जब रोऊँ तो तुझे कोई आहट न हो, मैं मुस्कुराउं झूठा और तुझसे कोई बनावट न हो, मैं दर्द लाख रखूँ अपने इस सीने में ,मगर तुझे कुछ आहें न हो ! मै जब टूट कर यु बिखरुं, तो तेरी इन बाहें न हो ! मेरी किसी भी तड़प में, तू शामिल न हो मेरा ये इश्क़ सामने रहे, मग़र क़ामिल न हो तेरी हर आजमाइश ही, मेरा ईमान बन जाए ! तुझे इतना चाहूं की , मेरा गुरूर में तु भगवान बन जाए ! ©बेजुबान शायर shivkumar // मेरी #मोहब्बत का यही ये #आख़िरी पड़ाव है // कि मैं जब रोऊँ तो तुझे कोई #आहट न हो, मैं मुस्कुराउं झूठा और तुझसे कोई #बनावट न हो, मैं #
Jitender Kumar
White इतनी मुद्दत बा'द मिले हो किन सोचों में गुम फिरते हो इतने ख़ाइफ़ क्यूँ रहते हो हर आहट से डर जाते हो तेज़ हवा ने मुझ से पूछा रेत पे क्या लिखते रहते हो काश कोई हम से भी पूछे रात गए तक क्यूँ जागे हो में दरिया से भी डरता हूँ तुम दरिया से भी गहरे हो कौन सी बात है तुम में ऐसी इतने अच्छे क्यूँ लगते हो पीछे मुड़ कर क्यूँ देखा था पत्थर बन कर क्या तकते हो जाओ जीत का जश्न मनाओ में झूटा हूँ तुम सच्चे हो अपने शहर के सब लोगों से मेरी ख़ातिर क्यूँ उलझे हो कहने को रहते हो दिल में फिर भी कितने दूर खड़े हो रात हमें कुछ याद नहीं था रात बहुत ही याद आए हो हम से न पूछो हिज्र के क़िस्से अपनी कहो अब तुम कैसे हो 'मोहसिन' तुम बदनाम बहुत हो जैसे हो फिर भी अच्छे हो मोहसिन ©Jitender Kumar #GoodMorning इतनी मुद्दत बा'द मिले हो किन सोचों में गुम फिरते हो इतने ख़ाइफ़ क्यूँ रहते हो हर आहट से डर जाते हो
#GoodMorning इतनी मुद्दत बा'द मिले हो किन सोचों में गुम फिरते हो इतने ख़ाइफ़ क्यूँ रहते हो हर आहट से डर जाते हो
read mores गोल्डी
आप वह दरवाज़े भी बंद देखेंगे जो कभी सिर्फ आपके क़दमों की आहट से खुल जाते थे...❤️🌻 ©s गोल्डी आप वह दरवाज़े भी बंद देखेंगे जो कभी सिर्फ आपके क़दमों की आहट से खुल जाते थे...❤️🌻
आप वह दरवाज़े भी बंद देखेंगे जो कभी सिर्फ आपके क़दमों की आहट से खुल जाते थे...❤️🌻
read moreParasram Arora
White बारिश की आहट का अहसास करा रहीं है ये बहती हुई मंनवभावन शीतल हवाएं. लगता है इस बार सूक चुकी झीले नए पानी से लबालब होंगी और दरार ग्रस्त खेत उम्दा फसल देने की. काबलियत हासिल. कर लेंगे ©Parasram Arora आहट
आहट
read moreAshraf Fani
White पूरी पूरी आधी चाहत बेचैनी से आती राहत एक अजीब सी हालत है या पागलपन की आहट है ©Ashraf Fani पूरी पूरी आधी चाहत बेचैनी से आती राहत एक अजीब सी हालत है या पागलपन की आहट है #ashraffani #engineers_day
पूरी पूरी आधी चाहत बेचैनी से आती राहत एक अजीब सी हालत है या पागलपन की आहट है #ashraffani #engineers_day
read moreSaba Rasheed
हर आहट से ख़ाइफ़ हैं साये से भी डरते हैं कुछ दु:ख दिलों में ऐसे गहरे गहरे उतरते हैं ©Saba Rasheed #आहट #दुःख #सायेसेडरतेहैं #साया #SAD #Fear #Poetry #Nojoto sad shayari sad shayari
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
White लावणी छन्द इस माँ से जब दूर हुआ तो , धरती माँ के निकट गया । भारत माँ के आँचल से तब , लाल हमारा लिपट गया ।। सरहद पर लड़ते-लड़ते जब , थक कर देखो चूर हुआ । तब जाकर माँ की गोदी में , सोने को मजबूर हुआ ।। मत कहो काल के चंगुल में , लाल हमारा रपट गया । जाने कितने दुश्मन को वह , पल भर में ही गटक गया ।। सब देख रहे थे खड़े-खड़े , अब उस वीर बहादुर को । जिसके आने की आहट भी , कभी न होती दादुर को ।। पोछ लिए उस माँ ने आँसूँ, जिसका सुंदर लाल गया । कहे देवकी से मिलने अब , देख नन्द का लाल गया ।। तीन रंग से बने तिरंगे , का जिसको परिधान मिले । वह कैसे फिर चुप बैठेगा , जिसको यह सम्मान मिले ।। सुबक रही थी बैठी पत्नी , अपना तो अधिकार गया । किससे आस लगाऊँ अब मैं , जीने का आधार गया ।। और बिलखते रोते बच्चे , का अब बचपन उजड़ गया । कैसे खुद को मैं समझाऊँ , पेड़ जमीं से उखड़ गया ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR लावणी छन्द इस माँ से जब दूर हुआ तो , धरती माँ के निकट गया । भारत माँ के आँचल से तब , लाल हमारा लिपट गया ।। सरहद पर लड़ते-लड़ते जब , थक कर देखो
लावणी छन्द इस माँ से जब दूर हुआ तो , धरती माँ के निकट गया । भारत माँ के आँचल से तब , लाल हमारा लिपट गया ।। सरहद पर लड़ते-लड़ते जब , थक कर देखो
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