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Nilam Agarwalla
White ये नफरत की आग ही, करे सबको तबाह। पलभर में घर फूंक दे, निकले दिल से आह।। ले जाए जाने कहां, ये नफरत की आग। जाति-धर्म के नाम पर, पड़े दिलों पर दाग।। घृणा द्वेष से पूर्ण क्यूं, मानव अब तो जाग। कर देगी बर्बाद सब,ये नफरत की आग।। -निलम ©Nilam Agarwalla #आग
Ashok Verma "Hamdard"
White अच्छे थे वो, कच्चे घर भी, इमारतों में, इंतजाम बहुत है!! गाँव की गलियाँ, खाली पड़ी हैं, शहरों में, सामान बहुत है!! खुली हवा में, जो चैन मिलता, बंद कमरों में, धुआँ बहुत है!! न रिश्तों की अब, गर्मी बची है, पर तकनीकी, सम्मान बहुत है!! दादी-नानी की बातें छूटीं, मोबाईल में ही ज्ञान बहुत है!! सच्ची हंसी, कम दिखती अब, लेकिन चेहरे पर ,नकाब बहुत है!! सुख-सुविधाओं से घिरा इंसान, पर दिलों में, अरमान बहुत है!! दौड़ रही दुनिया, आगे बढ़ने को, फिर भी जीने में, थकान बहुत है!! सादगी की जो मिठास थी कभी, अब दिखावे में, ईमान बहुत है!! अकेले होते लोग भीड़ में, फिर भी दिखते, महान बहुत है!! *अशोक वर्मा "हमदर्द"*(कोलकाता) ©Ashok Verma "Hamdard" #गांव और शहर
#गांव और शहर
read moreDr. Bhagwan Sahay Meena
White बस जवानी का सौदा हुआ है शहर से मेरा... शहर ने कहा बूढ़े होकर गाँव लौट जाना... ©Dr. Bhagwan Sahay Meena #GoodMorning शहर
#GoodMorning शहर
read moreSunil Kumar Maurya Bekhud
आग उठती लपटें धुआँ उगलती जब जलती है आग कोई देखकर घेरे उसको कोई रहा है भाग किसी को जीवन दान करे यह किसी को देती कष्ट तपकर कोई स्वर्ण कहलाता कोई होता है नस्ट धधक रही हो अगर हृदय में बनकर के यह ज्वाला खतरोंसे है मनुज खेलता बन जाता मतवाला यही सृजन की जननी बेखुद यही मार्ग विध्वंशक पंच तत्व में शामिल है यह सभी झुकाएँ मस्तक ©Sunil Kumar Maurya Bekhud #आग
Bhupendra Rawat
White ज़ज़्बातों को मैंने अपने दबा कर रखा है शब्दों को मैने अपने छुपा कर रखा है चलाकियों से परखा है,जिसने मेरी शख्सियत को उन सबका हिसाब मैंने लगा कर रखा है ©Bhupendra Rawat #sad_quotes ज़ज़्बातों को मैंने अपने दबा कर रखा है शब्दों को मैने अपने छुपा कर रखा है चलाकियों से परखा है,जिसने मेरी शख्सियत को उन सबका हिसा
#sad_quotes ज़ज़्बातों को मैंने अपने दबा कर रखा है शब्दों को मैने अपने छुपा कर रखा है चलाकियों से परखा है,जिसने मेरी शख्सियत को उन सबका हिसा
read moreArun kumar
White जब Relation जबरदस्ती से चलने लगे तो ऐसे Relation को आग लगा देना चाहिये ©Arun kumar #sad_thoughts आग लगा दो
#sad_thoughts आग लगा दो
read moreLõkêsh
White कितने दर्द दबाए बैठे है, कितने जख्म छिपाये बैठे है ।यहां गांव सी भोर नहीं ,घर आंगन का छोर नहीं । नहीं यहां वो मित्र सखा,नहीं यहां वो सुख चैना। अब रास नहीं आते यह महल अटारी , हमको अपनी बस्ती प्यारी । पल पल हर पल संघर्ष यहां,खुशी का स्वांग रचाए बैठे है । न जाने इस शहर में , कितने दर्द दबाए बैठे है ... ©Lõkêsh शहर… #Poetry
शहर… #Poetry
read moreगुमनाम शायर
आज 15 अगस्त को 21 पेड़ लगा कर प्रकृति के सिंगार मे चार चाँद लगाने की छोटी सी कोशिश की गई, आप सभी से निवेदन है कि ज्यादा से ज्यादा पेड़ लगा क
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