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Nidhi''नन्ही क़लम''
विभिन्न रंगोसे तस्वीर मुक़म्मल हुई, ख्वाहिश-ए-दिलमें तबभी ख़लल हुई। दामन था पाक़, सिलवटे भी क़ुछ नटखट-सी, कतरा-ए-इश्क़, नीलाम-ए-तिफ्ल़ हुई ।Nidhi #विभिन्न #nanhikalam
Amit Singhal "Aseemit"
जब मस्तिष्क में विभिन्न विचारों की उपस्थिति हो जाए सघन, शांत स्वस्थ मन से बैठकर आप कीजिए चिंतन और मंथन। कुछ अनैच्छिक और दूषित विचारों का तुरंत कीजिए परित्याग, मन को प्रफुल्लित करने वाले क्रिया कलापों में लीजिए भाग। ©Amit Singhal "Aseemit" #जब #मस्तिष्क #में #विभिन्न
Pooja Udeshi
जैसे 5 उंगलिया बराबर नहीं होती वैसे ही इंसान भी अलग अलग दिखते हैं, अलग अलग प्रवित्ती के होते हैं, भगवान ने इंसान को बनाया, इंसान ने खुद को अच्छा याँ बुरा बनाया, कई लोग अच्छे काम कर खुश होते हैं पर कई लोग किसी का बुरा कर चोरी कर,गलत काम कर खुश होते हैं वो अपने आप को ऐसा ही बना लेते हैं, समाज मे ऐसे लोगो से सब परे ही रहना चाहते हैं क्यों कि गलत काम का फल बुरा ही होता हैं ये बात इंसान तब जानता हैं जब ठोकर खाता हैं, कई बार भावनाओ मे बह कर अच्छा इंसान भी पाप कर देता हैं उसे अपनी इन्द्रियों पर control नहीं रह पाता, इसलिए लोग meditaion करते हैं अपने मन आत्मा को शांत करने की खातिर आप अच्छे हों अच्छे ही बने रहो दुनियां की मत सुनो और आगे बड़ते जाओ, बुरे लोग टिक नहीं पाते और अच्छे लोग जीते जी या मर कर भी जन्नत पा लेते हैं वो चैन से मरते हैं क्यों की उन्होने कभी किसी का बुरा नहीं किया तो उनकी आत्मा भी प्रसन्न हैं और उन्हे मरने का भी कोई खोफ नहीं होता ये fact बात हैं आजमाँ कर देखना! ©POOJA UDESHI विभिन्न प्रकार के लोग #ZeroDiscrimination
विभिन्न प्रकार के लोग #ZeroDiscrimination
read moreEk villain
हमारी शिक्षा में हमें आधुनिक जगत में जीने के लिए तैयार किया परंतु हमारी अपनी परंपरा के बारे में बहुत कम ही सिखाया इन्हें हमने घर पर जाना यह कथन भले ही इस पुस्तक में लेखक दिए अमीषा और भाव राय के हो परंतु अधिकांश लोग इससे सहमत हो सकते हैं लेखक का यह मानना है कि भारत एकमात्र पूर्व कांस्य युग की सभ्यता की ओर हम अभी भी जीवित हैं परंतु का सहयोग की शेष सभी सभ्यता मृत हो चुकी है और बस अब संग्रहालय व शिक्षक संस्थाओं की दीवारों के अंदर भी जान खेलों के रूप में ही विद्यमान है हमारे लिए सबसे ज्यादा अनमोल हमारी संस्कृति ही है और हमारे पूर्वजों ने उसे बड़ी मुश्किल से से जलता हुआ जीवित रखा है ऐसे में यह कहा जा सकता है कि पुस्तक उन अनेक पुस्तकों में पहली है जिनमें भारतीय संस्कृति के विभिन्न पहलुओं पर आधुनिक परिसंघ और जीवनशैली के साथ चर्चा की गई है लेखक देने इसे कथन किताबों की आम आधुनिक शैली नहीं अपनाया है जिन्होंने एक परिकल्पना और अपने आकार दिया जाता है बल्कि इस पुस्तक में लेखक जाएं ने भारतीय उपनिषद की प्राचीन शैली को अपनाया है जो विभिन्न पक्षों को सामने रखती हैं साथ ही प्रयास भी किया है कि इन दृष्टिकोण से कोई सबक ना निकले बस संकेत रहे ताकि पाठक स्वयं अपनी सोच का निर्माण कर सकें बस दुख में 8 अध्याय हैं जिनमें से कुछ शीर्ष पर कार्यक्रम आखिरी है स्वाध्याय नाम धर्म ईश्वर का बोझ अपने मन की सुने नर्मदा की निष्ठा पर फिसलना भारी ©Ek villain # भारतीय संस्कृति के विभिन्न पहलू #humantouch
# भारतीय संस्कृति के विभिन्न पहलू #humantouch
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