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Rahul Raj
हर रोज खा जाते थे वो कसम मेरे नाम की सला अब पता चला जिंदगी धीरे-धीरे खत्म क्यों हो रही है
read moreBipin bhardwaj
हर रोज़ खा जाते थे वो कसम मेरे नाम की, आज पता चला की जिंदगी धीरे धीरे ख़त्म क्यूँ हो रही है.
हर रोज़ खा जाते थे वो कसम मेरे नाम की, आज पता चला की जिंदगी धीरे धीरे ख़त्म क्यूँ हो रही है.
read moreJeevan Rana
गुजरती रही जिंदगी धीरे धीरे, वो बैठा रहा यमुना तीरे। कभी यमुना को निहारे, तो कभी डूबते हुए को निकले। कुछ नहीं था उसके पास खाने को थे सिर्फ खीरे, गुजरती रही जिंदगी धीरे धीरे। सोचा बहुत समय है जिंदगी में सब कुछ कर लूंगा, पैसे कमाकर महल बनाके सोने से भर दूंगा। वो करता कुछ नहीं सिर्फ खाव बुनता था यमुना तीरे, गुजरती रही जिंदगी धीरे धीरे। सिर्फ सपने देखकर खुश हो जाए, काम धंधा कुछ न कर पाए। यमुना तीरे बांसुरी बजाए, अपने को श्रीकृष्ण बताए। अब उम्र निकल गई धीरे धीरे, कैसे महल बनाए यमुना तीरे। सोचा जिंदगी में अब क्या ही करूंगा, हो गई उमर पूरी अब तो मरूंगा। अब खाने को भी नही रहे खीरे , गुजरती रही जिंदगी धीरे धीरे। ©Jeevan Rana #गुजरती रही जिंदगी धीरे धीरे, वो बैठा रहा यमुना तीरे। कभी यमुना को निहारे, तो कभी डूबते हुए को निकले। कुछ नहीं था उसके पास खाने को थे सिर्फ
#गुजरती रही जिंदगी धीरे धीरे, वो बैठा रहा यमुना तीरे। कभी यमुना को निहारे, तो कभी डूबते हुए को निकले। कुछ नहीं था उसके पास खाने को थे सिर्फ
read moreAnkitPalWriter
#ऊमर_धीरे_धीरे ना मौका मिलेगा, कभी झंझटों से । जैसे भी हो कुछ, समय तो निकालो ।। जन्म आदमी का , मिले या मिले न फिर । चली जा रही है, ऊमर धीरे धीरे।। कवि अंकित पाल उत्तर प्रदेश जनपद आजमगढ़ ©AnkitPalWriter ऊमर धीरे धीरे #poetry #Ankitpalwriter #Nojoto #जिंदगी
ऊमर धीरे धीरे poetry #Ankitpalwriter #जिंदगी
read moreAnuj Ray
रोज नंगे पैर दरिया से गुजरना धुन कोई मीठी सी लव से गुनगुनाना.. बांसुरी की तान बनकर तुम मधुर . धीरे धीरे से मेरी जिंदगी में आना.. धीरे धीरे से मेरी जिंदगी में आना
धीरे धीरे से मेरी जिंदगी में आना
read morePrashant Kumar
जिंदगी का ये सफ़र कट ही जायेगा धीरे-धीरे, धुँधली यादों के बादल छट ही जायेगा धीरे-धीरे, सीने में कैद है जो दर्द का समंदर, बन के दरिया दूर निकल ही जायेगा धीरे-धीरे।PKM.. जिंदगी का सफ़र कट ही जायेगा धीरे-धीरे.....
जिंदगी का सफ़र कट ही जायेगा धीरे-धीरे.....
read moreSangeeta Verma
कूछ खास हो जाने लगे धीरे-धीरे वो मेरे दिल को भाने लगे तन्हा होती हूँ जरा भी मै धीरे-धीरे वो पास अपने बूलाने लगे कैसे करूँ यकीन मै धीरे-धीरे वो मूझ से नाराज रहेने लगे कहाँ ढूंढू गली गली मैं धीरे-धीरे वो मूझ से लूका छिपी रहेने लगे बहूत बाते होती है अकसर उनसे धीरे-धीरे वो मूझे अनदेखा करने लगे मेरा प्यार एक तरफा ही सही लगा यूँ आज धीरे-धीरे वो भी मूझे दिल से चहाने लगे । (चाँदनी) ©Sangeeta Verma धीरे-धीरे
धीरे-धीरे
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