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ASHOK KUMAR POET
आज कविता नही चाहिए लोगो को यारो आज चाहिए मस्तराम की गरम मसाला स्टोरी । लड़के को लड़की की याद आती तब उठा फोन करता है बातें कहा हो जानू मुझे चैन नही आ रहा बिना तेरी बाहों के । लड़की बोली चुपकर पगले सो जा मुझे तो नही आती याद तेरी । मत परो प्यार व्यार के चक्कर में यारो इसमें दोखा खाना है फिर पूरी जिंदगी भर मूड पकड कर रोना है । चार दिनो का मेला है जग में यारों फिर वही अन्धेरा रहता है । दोस्तो पंसन्द आये तो पड़ते रहने के लिए फोलो करे । और आपकी कृपया होगी तो लिखता रहूँगा । आपका अपना अनुज अशोक कुमार poet सीख (छोटी कविता )
सीख (छोटी कविता )
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शहीद (छोटी कविता ) नमन करें उन वीरों को जो, हस्ते हस्ते चड़ गए फासी पर । देश की खातिर जान पर खेले, न परवाह की जीवन की । मात पिता परिवार को छोडा लड़ने देश की आजादी को । आजाद बिसमिल भगत नेता ने जान गवाई देश की खातिर । अंग्रेजो से लड़ते लड़ते झेले कष्ट अपार । दीवाने इतने हो गए जो फासी जेल काला पानी क्या है ये सजा इसे भी भूले चढ़ गए देश की खातिर हस्ते हस्ते फाँसी पर । 11 जून शहीद बिसमिल साहब जी की जयन्ती पर सभी नोजोटो परिवार को बिसमिल साहब जी की जयन्ती पर बधाई हो । आगे अशोक कुमार poet शहीद (छोटी कविता )
शहीद (छोटी कविता )
read moreप्रणाली कावळे
White कोण रक्षितो गर्भामधे...? कोण पुरवितो तेथे वारा...? कोण निर्मितो बाळासाठी जन्माआधिच अमृत धारा...? कोण छेडीतो श्वासांमधे...? प्रभूस्मरणाच्या मंजूळ तारा, कोण निर्मितो नाद अनाहत.....? ज्याने उजळे मनगाभारा. उजळविण्याला मनगाभारा कोण चेतवी अंतरज्योती...? करण्या निशिदिन स्मरण प्रभूचे कोण देतसे अखंड स्फुर्ती...? कोण घडवितो वटवृक्षाला..? कणा येवढ्या बिजामधूनी, कोण देतसे फळांस गोडी..? जिवन सोशून मातीमधूनी. कोकिळ कंठी कोणी दिधले..? गंधर्वांचे अपूर्व देणे, वसंत येता आम्रतरूवर कोण फुलवितो त्याचे गाणे..? कुणी रेखिले मोरपिसावरी..? रंग रेशमी इंन्द्रधनुचे, मेघ बरसता गर्द वनामधे कोण नाचतो त्याच्या संगे..? निद्रेतूनही नयनांमधे स्वप्न होऊनी कोण जागतो..? सुखदु:खामधे हृदयी राहून कोण अखंडीत सोबत करतो..? कोण..? कसे..? या प्रश्नापाठी आयुष्याची संध्या होते, शरण जाता श्री सदगुरूशी मग कर्त्याची ओळख होते. "कर्ता एक रघुनंदन" हे शरणांगत होताच उमगते, प्रश्न मनीचे विरून जाती एक तत्व हे मनी प्रगटते. गुरूकृपेच्या ऋणातुनी या कोण कसे होईल उतराई, हात मस्तकी सदैव वत्सल जैसा ठेवत असते आई... ©pranali kawale #sad_shayari छोटी कविता मराठी
#sad_shayari छोटी कविता मराठी
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इंसान का जन्म चाहे कितने भी बडे घर में क्यो न हो जाये यारो वह घर से नही अपने कर्मो से पहचाना जाता है । आज ये कहानी झूठी है यारो । आज चाचावाद भतीजा वाद ये बीमारी है यारो कहा आता है नाम अब स्टूडियो हम जैसे गरीबो का । आज हालत है देश की कुछ ऐसी यारो पैसा गरीब को हो या ना हो पर अस्त्र - शस्त्रों को जरूरी । कहत है यह जगत् व्यर्थ होत क्रोध तब बुद्धि नष्ट हो जात है तब आत् क्रोध । जब आत्मसम्मान होत है नष्ट यारो फिर न सूजे क्या सही क्या गलत । अशोक कुमार poet कहतेह भतीजा वाद [छोटी कविता ]
भतीजा वाद [छोटी कविता ]
read moreKumar Dilip Hiragar
अकेलापन तुमने देखा नही पर हमने उसको सहा है कैसे करु सजदे तुझे तूने तो हमे रुलाया है महेकदो मे जाम जो पिया तेरे सिवा नाम न कोई लिया है मरने की गुज़ारिश थी खुदा से खुदा ने भी तुझे जरिया बताया है -Kumar Dilip छोटी कविता दिलबर के नाम
छोटी कविता दिलबर के नाम
read moreKumar Dilip Hiragar
अकेलापन तुमने देखा नही पर हमने उसको सहा है कैसे करु सजदे तुझे तूने तो हमे रुलाया है महेकदो मे जाम जो पिया तेरे सिवा नाम न कोई लिया है मरने की गुज़ारिश थी खुदा से खुदा ने भी तुझे जरिया बताया है -Kumar Dilip छोटी कविता दिलबर के नाम
छोटी कविता दिलबर के नाम
read moreDevanand Jadhav
White कधी कधी माणसाला... इच्छा नसताना हसावं लागतं! "कसे आहात?" विचारलं तर, "मजेत आहे!" असंच सांगावं लागतं ©Devanand Jadhav #Thoughts #thought #कविता छोटी कविता मराठी