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हेमराज हंस भेड़ा
सरासरीहन लबरी हिबै मोबाइल 📱 मा। सुंदर कानी कबरी हिबै मोबाइल 📱 मा।। कोऊ हल्लो कहिस कि आंखी भींज गईं काहू कै खुसखबरी हिबै मोबाइल मा।। अब ता दंडकबन से बातैं होती हैं राम कहिन की शबरी हिबै मोबाइल मा ।। बिश्वामित्र मिस काल देख बिदुरांय लगें अहा! मेनका परी हिबै मोबाइल मा।। क्याखर कासे प्रेम की बातैं होती हैं दबी मुदी औ तबरी हिबै मोबाइल मा।। नयी सदी के हमूं पांच अपराधी हन जात गीध कै मरी हिबै मोबाइल मा।। हंस बइठ हें भेंड़ा भिंड बताउथें बलिहारी जुग कै मसखरी हिबै मोबाइल मा।। बघेली साहित्य
बघेली साहित्य
read moreManish Shrivastava
लोकगीत तोरी कोमल जुवानी, तुतरयानी | जेठ जमके परो, देखो मछरयानी || होंठ तोरे लाल-लाल, गोरे थे गाल-गाल | 2 भरी दुपहरिया, नजरयानी | जेठ जमके परो, हो गई भुतरयानी || लगन लगीं देखो, कजरयानी |2 जेठ जमके परो, देखो मछरयानी || कारे-कारे गुदना परे, गोरे -गोरे गाल पे | कैसी हो गई है, देखो गुदरयानी | जेठ जमके परो, देखो मछरयानी || लेखक:-मनीष श्रीवास्तव (अर्श) गैरतगंज मो.9009247220 ©Manish Shrivastava लोकगीत
लोकगीत
read moreरौशन कुमार प्रिय
मोहन नंदलाल "बरसाने"वन आयो मोहन नंदलाल बरसाने वन आयो अहो बरसाने की गुंजरिया दधिया बेचे जाए, वाट मिले बनवारी हो,"कर" लियो बोलाय , "कर" लियो बोलय बैठ कदम के छइयां रे "दोना" बनवाय,दोना - दोना दधी बांटे हो दधी दियो लुटाय ,दधी दियो लुटाय ताहि समय हरि आयो मोहन नंदलाल बरसाने वन आयो....२ होली न खेले श्यामरो, आपन ससुरार भर पिचकारी मारे हो, रंग उरे गुलाल, रंग उरे गुलाल बेला फुले चमेला , जूही कंचनार , फुलवा लोरहे मलिनिया हो, गूथे नंदलाल, गूथे नंदलाल माला पिन्हे कन्हैया हो जसोदा जी के लाल जसोदा जी के लाल ताहि समय हरि आयो मोहन नंदलाल बरसाने बन आयो-२ हो ऊपर पहाड़ गरमोहवा , हो ऊपर पहाड़ गरमोहवा, हो नीचे बरय दुकान, बरय नय कतरय पनमा रस बीड़ा लगाय, रस बीड़ा लगाय बीड़ा न खा हय कन्हैया जसोदा जी के लाल , जसोदा जी के लाल ताहि समय हरि आयो मोहन नंद लाल बरसाने वन आयो तबला बजे मंजीरा , हो तबला बजे मंजीरा ढोलक धुधूआय ,बाजे सरंगिया रोंय रोंय हो रस बजे सितार, रस बाजे सितार ताहि समय हरी आयो मोहन ननंद लाल बरसाने वन आयो मोहन नंद लाल बरसाने वन आयो #लोकगीत