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Anubhav Dwivedi
पावन अमृत वृष्टि हेतु , फिर वर्षा ऋतु आई है। धरती ने इस निठुर तपन से , अब जाकर मुक्ति पाई है। पुष्प खिल उठे, जीव जागृत , मौसम ने ली अंगड़ाई है। पृथ्वी को हरित वसन ओढ़ाने , फिर वर्षा ऋतु आई है। उमड़-घुमड़ वर्षा ऋतु आई।😇 #rain #baarish #fun #enjoy #kavita #beyourself #livelifetothefullest #yqdidi
उमड़-घुमड़ वर्षा ऋतु आई।😇 #rain #baarish #Fun #Enjoy #kavita #beyourself #livelifetothefullest #yqdidi
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पावन अमृत वृष्टि हेतु , फिर वर्षा ऋतु आई है। धरती ने इस निठुर तपन से , अब जाकर मुक्ति पाई है। पुष्प खिल उठे, जीव जागृत , मौसम ने ली अंगड़ाई है। पृथ्वी को हरित वसन ओढ़ाने , फिर वर्षा ऋतु आई है। उमड़-घुमड़ वर्षा ऋतु आई।😇 #rain #baarish #fun #enjoy #kavita #beyourself #livelifetothefullest #yqdidi
उमड़-घुमड़ वर्षा ऋतु आई।😇 #rain #baarish #Fun #Enjoy #kavita #beyourself #livelifetothefullest #yqdidi
read moreMk haryanvi
टूट गई पलो की वो सीढ़ी या जिनसे मिलते थे पुराने रीति रिवाज़ अपनों को समान देने के वो मौके अब किस को याद है ना वो दादी रही ना वो नानी जो सुनाती थीं कहानी अब तो यू ट्यूब के बंड बाजे याद है। ©Mk Singh बैंड बाजे #OneSeason
बैंड बाजे #OneSeason
read moreShravan Goud
ज्ञान वही लोग ज्यादा देते हैं जो जीवन में कुछ कर नहीं पाते। थोथा चणा बाजे घणा।
थोथा चणा बाजे घणा।
read moreANITA SINGH(anu)
सांझ सुनहरी मीरा प्यारी मधुवन में नाचे राधा प्यारी श्याम सलोने बतिया तेरी न्यारी सखियां संग धुन बाजे बांसुरी प्यारी कहूं कैसे मै श्याम सलोने अंखियां तेरी प्यारी प्यारी! मनमोहक से नयन तुम्हारे कहूं कैसे ये रूप तिहारे जो मै जोगन हो जाऊं गाऊं गीत प्यारे प्यारे मंद मंद जो मुस्काए ये मुस्कान तुम्हारी कहो कैसे ना हो जाऊं मै श्याम तुम्हारी! छनक तेरी पैजनिया की खनखनाहट मेरी चूड़ियों की फिर वो धुन तेरी बासुंरी की कहो कैसे ना नाचूं मैं श्याम तेरी इस सुरीली मधुर रागिनी में कोयल बोले मीठी वाणी श्याम मांगे माखन मिश्री भोग लगाए हम भक्त तिहारे रुचि रुचि खाए माखन प्यारे। ©anu singh बांसुरी बाजे प्यारी प्यारी #moonlight
बांसुरी बाजे प्यारी प्यारी #moonlight
read moreRavindra Singh
'मां मेरा दिल उमड़ रहा है' मां मेरा दिल उमड़ रहा है,तेरे दरबार आने को, मुझे पता है तू भी बुला रही है मुझे अपने ह्रदय से लगाने को। पर पता न जाने क्यूं मेरे कदम रुक जाते हैं, पूंछू जो वजह इनसे रुकने की,तो ये बता ना पाते हैं। हे मां मेरी ,मेरी अर्जी है तेरे चरणों में, कोई कर तो ऐसा उपाय। कदम न रुकें मेरे रोकने से भी,जाऊं तेरी भक्ती में इस कदर समाय। आज तेरे आशीर्वाद से सब कुछ है मेरे पास,तेरी मूर्ति भी, पर वो शुकून नहीं जो कभी तेरे पास बैठ कर लिया करता था। तू सुनती थी मेरी बताई हर बात को, मैं सुन तेरी हर बात ,एक खूबसूरत जिंदगी जी लिया करता था। फिर एक दिन जा न जाने किसकी नजर लग गई मेरी भक्ति को, तू रूठी देखी मैंने अपने सपनों में,फिर भी न आ सका तुझे मैं मनाने को। मां मेरा दिल उमड़ रहा है,तेरे दरबार आने को, मुझे पता है तू भी बुला रही है,मुझे अपने ह्रदय से लगाने को। अपनी छत पर बैठा हूं देख रहा हुं होते हुए तेरा कीर्तन, हालांकि मेरा तन यहीं पर है,पहुंच चुका है दरबार तेरे मेरा मन। जलती हुई ज्योति ने जगमगाया तेरा दरबार है, भक्त तेरे मना रहे तुझे, कर तेरे नाम की पुकार है। बच्चे हो रहे बेसब्र,तेरा नाम का प्रसाद खाने को। मां मेरा दिल उमड़ रहा है,तेरे दरबार आने को, मुझे पता है तू भी बुला रही है मुझे अपने ह्रदय से लगाने को। ©Ravindra Singh मां मेरा दिल उमड़ रहा है.. #Navraatra
मां मेरा दिल उमड़ रहा है.. #Navraatra
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