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Stories related to कुंडल

kavi manish mann


होली के त्योहार  में, लगे  गले  मन  मीत।
क्रोध भाव को छोड़कर,करे प्रीत ही प्रीत।
करे  प्रीत  ही  प्रीत, बने  राधा  सी  गोरी।
अंग  अंग  में  रंग,  लगाए   चोरी   चोरी।
बोले ’मन’ कविराय,मिले सारे हमजोली।
पिये भंग  हैं  मग्न,झूमकर खेलें  होली।। #कुंडलियां #कुंडलियां_मन #मौर्यवंशी_मनीष_मन #yqdidi #होली #holi

kavi manish mann

कुंडलियां प्रथम प्रयास #कुंडलियां_मन #मौर्यवंशी_मनीष_मन #पेड़ #वृक्ष

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वृक्षों से जीव जगत के, वृक्ष से  ये संसार।
यदि वृक्ष न हों जगत में,तो जीवन बेकार।
तो जीवन बेकार, सुनो जग  के नर नारी।
मानसून  बेकार, रहे  चहुंँ  ओर अकाली।
बोलें ’मन’ कविराय,सुनो जी बात हमारी।
वृक्ष लगाओ हजार,रहे न फिर अकाली।। कुंडलियां प्रथम प्रयास

#कुंडलियां_मन
#मौर्यवंशी_मनीष_मन 
#पेड़ #वृक्ष

सतीश तिवारी 'सरस'

सतीश तिवारी 'सरस'

संत कबिरा की
बातें

©सतीश तिवारी 'सरस' #कुंडलिया_छंद

vinay vishwasi

कुंडलिया छंद

विद्यालय हैं गली - गली, मिले  नहीं  आचार।
शिक्षा अजी मकसद कहाँ,मकसद है व्यापार।
मकसद   है   व्यापार , फीस   लेते  मनमानी।
ऊँची   है   इमारत , नहीं  ज्ञान  की  निशानी।
शिक्षा की  बयार अब, कौन दिशा में है चली।
लुटने को विद्यालय , बन  रहे  हैं  गली- गली।।३।। #कुंडलिया_छंद
#विश्वासी

Uma Vaishnav

कुंडलियां - छंद 
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पावन मन को हम करे, लेकर हरि का नाम।
सुबह शाम हरि को भजे, यही  हमारा काम।।
यही  हमारा  काम, जपना  हरि  को हमेशा। 
जहां  कृष्ण का जाप , वहां नहीं रहे क्लेशा।। 
भज मन हरि को रोज, सुखी  रहे ये जीवन।
जप कर हरि का नाम,करे हम मन को पावन।। 
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©Uma Vaishnav #कुंडलियां

राजेंद्रभोसले

कुंडलिनी

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Balram Singh Thakur

कुंडलियाँ,,,,

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कवि प्रदीप वैरागी

कुंडलिया छंद :
संकट का यह दौर है,कट जायेगा मित्र। 
लेकिन मिट सकते नहीं,उर पर ऊभरे चित्र।। 
उर पर उभरे चित्र, विचित्र कलाकारी। 
पुलिस, डॉक्टर सब डटे,रात-दिन सेवा जारी। 
सेवा रूपी  नाव  ,रोल है  केवट का। 
आये कभी न और, दौर यह संकट का।। #कुंडलिया

कवि प्रदीप वैरागी

कुंडलिया छंद: 
मैंने जिससे की सदा,सीधे मुँह से बात,
उससे ही मुझको मिली, सदा घात पर घात।।
सदा घात पर घात, रात दिन सता रहा है। 
कितनी है औकात, हमें भी बता रहा है।। 
वैरागी कविराय,न जाता कोई कहने।
परेशान सब लोग,तमाशा देखा मैनें।। #कुंडलिया
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