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Nilesh kushwaha
पानी, तेल,खनिज सब निकाल लो,सब तेरा है मुझे मार खुद बच सको,तो बचा लो,सब तेरा है #NojotoQuote #पानी तेल खनिज सब निकाल लो सब तेरा है
#पानी तेल खनिज सब निकाल लो सब तेरा है
read moreNEERAJ SIINGH
अंदाज़ा मत लगाईये मेरी तन्हाइयों का हर रोज़ गहरी होती हैं शब्दों से बनी खान मेरी हर रोज़ निकालकर बाहर कर देता हूँ कुछ शब्द जो कौंधते हैं रहते हैं दिल में यूँही खान - जहां से खुदाई कर खनिज निकाले जातें हैं #neerajwrites #yqbaba #yqdada
खान - जहां से खुदाई कर खनिज निकाले जातें हैं #neerajwrites #yqbaba #yqdada
read morePoetry with Avdhesh Kanojia
क्या समय रूपी सिंह की यह कठोरतम दहाड़ है? या, पानी तुम हो नाराज़ हमसे कभी सूखा तो कभी बाढ़ है। ✍️अवधेश कनौजिया© क्या समय रूपी सिंह की यह कठोरतम दहाड़ है? या, पानी तुम हो नाराज़ हमसे कभी सूखा तो कभी बाढ़ है। ✍️अवधेश कनौजिया©
क्या समय रूपी सिंह की यह कठोरतम दहाड़ है? या, पानी तुम हो नाराज़ हमसे कभी सूखा तो कभी बाढ़ है। ✍️अवधेश कनौजिया©
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चाँद का टुकड़ा गोरी तोरा मुखड़ा चाँद का टुकड़ा रोटी रहती हरदम दुखड़ा।। बिन गलती के डांट मैं खाता तभी मैं रहता उखड़ा उखड़ा।। #चाँद_का_टुकड़ा क्या समय रूपी सिंह की यह कठोरतम दहाड़ है? या, पानी तुम हो नाराज़ हमसे कभी सूखा तो कभी बाढ़ है। ✍️अवधेश कनौजिया©
#चाँद_का_टुकड़ा क्या समय रूपी सिंह की यह कठोरतम दहाड़ है? या, पानी तुम हो नाराज़ हमसे कभी सूखा तो कभी बाढ़ है। ✍️अवधेश कनौजिया©
read moreRAVINANDAN Tiwari
अभिभव अंकुरित उपधा, बही विवरण वाणिज। विभव बटोरती बहुधा,नैन-तरन नाचीज़ ।। भाव संभव निरति विधा,कुचैन हरण खनिज। भवसंभव पूर्ति पौधा,वरण सुगंधा बीज।। ©RAVINANDAN Tiwari #हल्के_कलम पराजय भाव से कपट आरंभ होता है, लेखा-जोखा व्यवसायिक है ! अक्सर आँखों में तैरने वाली दौलत बटोर लेती है ! भाव से संभव है भक्ति , जो
#हल्के_कलम पराजय भाव से कपट आरंभ होता है, लेखा-जोखा व्यवसायिक है ! अक्सर आँखों में तैरने वाली दौलत बटोर लेती है ! भाव से संभव है भक्ति , जो
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क्या समय रूपी सिंह की यह कठोरतम दहाड़ है? या, पानी तुम हो नाराज़ हमसे कभी सूखा तो कभी बाढ़ है। हर तरफ़ पानी पानी हुआ पड़ा है देश भर में। कहीं पानी हमसे नाराज़ तो नहीं! #पानीनाराज़है #collab #yqdidi #YourQuoteAndMine Collaborating with You
हर तरफ़ पानी पानी हुआ पड़ा है देश भर में। कहीं पानी हमसे नाराज़ तो नहीं! #पानीनाराज़है #Collab #yqdidi #YourQuoteAndMine Collaborating with You
read moreHarshita Dawar
Written by Harshita ✍️ ✍️ #Jazzbaat कठोरतम तप कठोरतम तपस्या कठोर अभ्यास कठोरतम कार्रवाई। जिदंगी के कुछ कतरें टूटें। चीथडों को प्याली में भिर कर। रख दिया। कभी तो यूं खेंर ख़बर लूं। सुईं से सिलवाकर दिल के दराजों। में संजोलू शायद। मन को एकाग्र टूटे टुकड़े को। समेटे सीने में छिपें घाव गहरें ज़ख्मों। को लुभा दूं। किसी दिन पूंछ लूं ज़रा धीरे चल एं ज़िन्दगी। धीरे चल। चैंन छन्नीं में छन् मत। समेट लूं ख़ुद को। पिरोलूं एक हार गले में। आशायों के मोती बतौंर लूं। साजा लू ख़ुद को। इस खुलें आसमान में। उड़ने को पंख पसार लूं। #feelings #quote #yqdidi #yqquotes Written by Harshita ✍️ ✍️ #Jazzbaat कठोरतम तप कठोरतम तपस्या कठोर अभ्यास कठोरतम कार्रवाई। जिदंगी के कुछ क
संगीत कुमार
पृथ्वी पृथ्वी जीवन की जननी है। जीव-जन्तु की तरणी है।। जीवन का यह सार है। इसका गोल आकार है।। पृथ्वी जीवन की जननी है। जीवन से यह ओतप्रोत। नदी -झरना से घिरा परा।। वन-झाड़ी से हरा-भरा। हरियाली जीवन मे देती है। पृथ्वी जग की जननी है। आश्रय का यह द्वार खड़ा है। खनिज -संपदा से ओतप्रोत।। जल-जीवन से भरा परा है। रक्षा करना सब का काम है।। पृथ्वी जग की जननी है। पेड़ पौधा खूब लगाना है। जीवन को बचाना है।। जनसंख्या नियंत्रण करना है। अनावश्यक बोझ हटाना है।। पृथ्वी जीवन की जननी है। धरा को सजाना है। मानव अस्तित्व बचाना है।। पृथ्वी दिवस मनाना है। लोगों के बीच अलख जगाना है। पृथ्वी जग की जननी है। (संगीत कुमार /जबलपुर ) ✒️स्व-रचित कविता 🙏🙏 पृथ्वी पृथ्वी जीवन की जननी है। जीव-जन्तु की तरणी है।। जीवन का यह सार है। इसका गोल आकार है।। पृथ्वी जीवन की जननी है। जीवन से यह ओतप्रो
पृथ्वी पृथ्वी जीवन की जननी है। जीव-जन्तु की तरणी है।। जीवन का यह सार है। इसका गोल आकार है।। पृथ्वी जीवन की जननी है। जीवन से यह ओतप्रो
read moreमुखौटा A HIDDEN FEELINGS * अंकूर *
Maa MY FIRST poetry on MOM HOPE YOU LIKE माँ क्या है? माँ नूर है,हूर है माँ बेटे का गुरूर है। माँ दीप है,रूप है,धूप है। माँ नदी है,रती है सती है। माँ मन है,धून है, जूनून है। माँ दूर है,पास है,एहसास है। माँ अस्ल है,नस्ल है,वस्ल है। माँ प्यार है,व्यवहार है,संसार है। माँ सागर है,साहिल है,सैलाब है। माँ मंजिल है,रास्ता है,वास्ता है। माँ दौलत है,हसरत है,इनायत है। माँ चाहत है,आदत है,मोहब्बत है। माँ इबादत है,इज्ज़त है,इजाजत है। माँ सजदा है,मेहताब है,आफताब है। माँ अभेद्य है,अखंड है,प्रचंड है। माँ शब्द का अंत नही, माँ तो अनंत है। ~अंकुर (Dear Comrade) माँ क्या है? माँ नूर है,हूर है माँ बेटे का गुरूर है। माँ दीप है,रूप है,धूप है। माँ नदी है,रती है सती है। माँ मन है,धून है, जूनून है। माँ द
माँ क्या है? माँ नूर है,हूर है माँ बेटे का गुरूर है। माँ दीप है,रूप है,धूप है। माँ नदी है,रती है सती है। माँ मन है,धून है, जूनून है। माँ द
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