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Drjagriti
White सब कुछ व्यर्थ है फिर भी जीवन के बहुत गहरे अर्थ है। ©Drjagriti #अर्थ मोटिवेशनल कोट्स हिंदी
#अर्थ मोटिवेशनल कोट्स हिंदी
read morePraveen Jain "पल्लव"
White पल्लव की डायरी आधे अधूरे फ़ैसले अन्याय का पोषण कर रहे है सियासतों के दबाकर केस, अराजकता को हवा दे रहे है दुरुपयोग कितना बढ़ गया कानूनों का व्यवस्थाये होती तार तार है टूट रहा सब्र का पैमाना माननीयो से कायम मिशाल नही कर पा रहे है मनमानियां सिर उठा चुकी है न्याय और नैतिकता के अभाव में देश गर्त की ओर जा रहा है रहनुमाओं के भेष में छ्ल बल बढ़ गया है सजा इन्हें कौन दे अब जब न्याय का सूरज ही अंधकार की ओर जा रहा हो प्रवीण जैन पल्लव ©Praveen Jain "पल्लव" #international_Justice_day जब न्याय का सूरज ही अंधकार की ओर जा रहा हो #nojotohhindi
#international_Justice_day जब न्याय का सूरज ही अंधकार की ओर जा रहा हो #nojotohhindi
read moreANATH SHAYAR
भरोसा का अर्थ है मां #follow #motivationकीआग #Motivational #Youtubeshorts #Youtube #youtubeShort
read moreharsha mishra
White कब तक😪 आंगन की किलकारियां क्यों सिसकियों में बदलतीं हैं? मेरे ही चश्में के शीशे मेरे आंखों में चुभतीं हैं। कभी पैरों पर खड़ी मै आज फर्श पर पड़ी थी मैं। मेरे जिस्म के लहू बताते हैं दरिंदों से कितना लड़ी थी मैं। मेरे कंठ की पुकार से कितनों को हंसाया मैंने । तोड़ गई वही गर्दन हाय कितना चिल्लाया मैंने। बदन तो मैंने ढका ही था मर्यादित मेरी काया थी। बताओ ना मेरी गलती अभी क्यों मंडराई बुरा साया थी? अरे मां ने कहा पापा ने कहा शिक्षक ने भी तो कहा था सच बोलो,,सच के लिए बोलो सच बोली तो मार दी गई मैं झुकी नहीं तो लुट ली गई मैं। हैवानियत का जनाजा कब निकलोगे दोस्तों? मोमबत्तियां बहुत जला ली हैवानों को कब जलाओगे दोस्तों? निर्भया की नजरों में भय का ठिकाना गूंजता है। इस दरिंदगी से हमें कब बचाओगे दोस्तों? जिस्म मेरा मर गया आत्मा रो रही है अब तक। मिलने से रही मुक्ति दोषी आजाद हैं जबतक दोषी आजाद हैं जबतक हर्षा मिश्रा रायपुर ©harsha mishra #kolkata #न्याय
juhi
White मिट्टी की मूरत से डरते हो ! क्यों , क्या वो नही दिखती धरती की जीवित नारियों में ! करते बहुत हो तुम सम्मान उनका , चढ़ाते फूल, माला और प्रसाद उनको , कभी हाथ जोड़, कभी घुटने टेक, और कभी कभी शष्टांग करते हो प्रणाम उनको ! जब उनके लिए है सम्मान , जिनको मानते हो भगवान, देवी , नारी स्वरूप समान ! तब क्यों नही , उनके लिए जो चलती फिरती है धरती पे, है सामने , तुम्हारे आस - पास देवी , माता , नारी के रूप में , होती है , मां ,बहन समान ! क्या फर्क है इनमे ?? क्यों दे नही पाते , समान सम्मान ? पुछती हूं ? क्या फर्क है मिट्टी की मूरत "माता" में और आपने घरों की "मां" में ? क्यों ऐसा भेद भाव क्यों दे नही पाते समान सम्मान ? ○ #एहसास #नेहाç ©juhi #न्याय #नारीशक्ति